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मयुरानाथस्वामी मंदिर: तमिलनाडु के इस मंदिर में खास क्या है?

तमिलनाडु का मयिलाडुथुराई जिले में स्थित पदीथुराई विश्वनाथर मंदिर अपनी नक्काशी और पौराणिक मान्यता के लिए प्रसिद्ध है। यह मंदिर भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित है।

Mayuranathaswami Temple gate

मयुरानाथस्वामी मंदिर गेट: Photo Credit: Wikipedia

तमिलनाडु का मयिलाडुथुराई जिला अपनी धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत के लिए खास पहचान रखता है। यहां स्थित पदीथुराई विश्वनाथर मंदिर, जिसे स्थानीय लोग मयुरानाथस्वामी मंदिर के नाम से भी जानते हैं। यह मंदिर यहां के स्थानीय लोगों की आस्था का एक प्रमुख केंद्र माना जाता है। यह मंदिर कावेरी नदी के तट पर बसा हुआ है और इसकी पौराणिक कथा इसे और भी विशेष बनाती है। मान्यता है कि देवी पार्वती ने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए यहां मोर के रूप में कठोर तपस्या की थी। उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर शिव जी ने उन्हें दर्शन दिए और मयुरानाथस्वामी के रूप में पूजित हुए। 

 

मंदिर में भगवान शिव पदीथुराई विश्वनाथर और माता पार्वती अबयांबिके के रूप में विराजमान हैं। श्रद्धालुओं का विश्वास है कि यहां पूजा करने से पापों का नाश होता है, विवाह में आ रही अड़चनें दूर होती हैं और संतान सुख की प्राप्ति होती है। मंदिर का विशाल गोपुरम और गर्भगृह चोल और पांड्य कालीन स्थापत्य कला की झलक प्रस्तुत करता है। 

 

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मंदिर से जुड़ी पौराणिक कथा

इस मंदिर की कथा भक्तों के बीच प्रचलित है। प्रचलित कथा के अनुसार, देवी पार्वती ने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए मोर (मयूर) के रूप में यहां कठोर तप किया था। इसी वजह से इस स्थान का नाम मयिलाडुथुराई पड़ा, जिसका अर्थ है, मोर का नृत्य स्थल। कथा के अनुसार, है कि भगवान शिव ने यहां देवी के तप से प्रसन्न होकर दर्शन दिए और मयुरानाथस्वामी के रूप में पूजित हुए।

 

पूजा और मान्यता

इस मंदिर में मुख्य रूप से भगवान शिव की पूजा पदीथुराई विश्वनाथर या मयुरानाथस्वामी के रूप में की जाती है। यहां देवी पार्वती को अबयांबिके स्वरूप में पूजा जाता है। माना जाता है कि इस मंदिर में दर्शन और पूजा करने से पापों का नाश होता है, विवाह में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं और संतान सुख की प्राप्ति होती है।

विशेषता

  • यह मंदिर पांड्य और चोल कालीन स्थापत्य कला का उत्कृष्ट उदाहरण है।
  • यहां सालभर धार्मिक अनुष्ठान और उत्सव होते हैं, विशेषकर महाशिवरात्रि और नवरात्रि में।
  • मंदिर का गर्भगृह और विशाल गोपुरम (प्रवेश द्वार) अपनी नक्काशी और शिल्पकला के लिए प्रसिद्ध है।

 

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यहां तक पहुंचने का मार्ग

  • नजदीकी रेलवे स्टेशन: मयिलाडुथुराई रेलवे स्टेशन से मंदिर करीब 3-4 किमी दूरी पर है।
  • सड़क मार्ग: यह स्थान तमिलनाडु के प्रमुख शहरों जैसे चिदंबरम (40 किमी), तंजावुर (90 किमी) और चेन्नई (270 किमी) से सड़क मार्ग से जुड़ा हुआ है।
  • नजदीकी एयरपोर्ट: यहां का नजदीकी एयरपोर्ट तिरुचिरापल्ली है, जो इस जगह से लगभग 130 किमी दूर है।

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