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रोज करते हैं 'नमः शिवाय' का जाप, तो जानिए क्या है इन 5 अक्षरों का मतलब

भगवान शिव को समर्पित 'नमः शिवाय' मंत्र का विशेष महत्व है। आइए जानते हैं, क्या है इस मंत्र का अर्थ और इससे जुड़ी मान्यताएं।

Image of Om Namah Shivay

सांकेतिक चित्र।(Photo Credit: Freepik)

भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए उनके मंत्र और स्तोत्र के जाप बहुत ही प्रभावशाली होती है। इन सबमें 'ॐ नमः शिवाय' महादेव का सबसे पवित्र और शक्तिशाली मंत्र माना जाता है। यह पांच अक्षरों वाला पंचाक्षरी मंत्र शिवभक्तों के लिए मोक्ष का द्वार खोलने वाला मंत्र कहा जाता है। वेद, उपनिषद और पुराणों में इसकी महिमा का विस्तार से वर्णन किया गया है। मान्यता है कि इस मंत्र का निरंतर जाप करने से न सिर्फ मन को शांति मिलती है, बल्कि यह व्यक्ति के समस्त दुखों का नाश कर उसे आध्यात्मिक उन्नति की ओर अग्रसर करता है।

पौराणिक मान्यता और महत्व

पुराण के अनुसार, 'नमः शिवाय' मंत्र स्वयं भगवान शिव का स्वरूप है। जब सृष्टि की उत्पत्ति हुई, तब सबसे पहले यह दिव्य ध्वनि प्रकट हुई थी। इसे पंचाक्षरी इसलिए कहा जाता है क्योंकि इसमें पांच अक्षर हैं - न, म, शि, वा, य। ये पांच अक्षर पंचतत्वों (पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश) के प्रतीक माने जाते हैं, जिनसे सम्पूर्ण ब्रह्मांड बना है।

 

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'न' (पृथ्वी तत्व)

'न' अक्षर पृथ्वी तत्व का प्रतीक है। यह स्थिरता, धैर्य और सहनशीलता का प्रतिनिधित्व करता है। जब कोई व्यक्ति 'न' का जाप करता है, तो उसमें संतुलन और मानसिक स्थिरता का विकास होता है।

'म' (जल तत्व)

'म' अक्षर जल तत्व को दर्शाता है। जल की तरह ही यह अक्षर भावना, करुणा और प्रेम को जाग्रत करता है। कहा जाता है कि यह शरीर और मन की शुद्धि में सहायक होता है।

'शि' (अग्नि तत्व)

'शि' अग्नि तत्व का प्रतीक है, जो जीवन में शक्ति, ऊर्जा और साहस को दर्शाता है। भगवान शिव को अग्नि स्वरूप भी माना जाता है। इस अक्षर का जाप आत्मबल और आध्यात्मिक ज्ञान को बढ़ाता है।

'वा' (वायु तत्व)

'वा' वायु तत्व को दर्शाता है, जो जीवनदायिनी शक्ति है। वायु ही प्राण है, जिससे जीवन चलता है। इस अक्षर का जाप करने से व्यक्ति के अंदर सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और वह रोगों से दूर रहता है।

 

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'य' (आकाश तत्व)

'य' आकाश तत्व का प्रतीक है, जो अनंतता, स्वतंत्रता और आत्मज्ञान को दर्शाता है। यह अक्षर ब्रह्मांड से जोड़ने वाला माना जाता है और आत्मा को परमात्मा से मिलाने में सहायक माना जाता है।

शिव के आशीर्वाद का स्रोत

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस मंत्र का जाप करने से न केवल पंचतत्व संतुलित होते हैं, बल्कि यह शिव की कृपा प्राप्त करने का सबसे सरल और प्रभावशाली मार्ग भी माना जाता है। मान्यता है कि जो व्यक्ति सच्चे हृदय से इस मंत्र का जाप करता है, उसके जीवन से सभी प्रकार की नकारात्मक ऊर्जा दूर हो जाती है और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है।

 

Disclaimer- यहां दी गई सभी जानकारी सामाजिक और धार्मिक आस्थाओं पर आधारित हैं।

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