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माघ में कल्पवास क्यों करते हैं लोग, किन देवताओं का यह महीना है?

हिंदू धर्म और भारतीय संस्कृति के अनुसार माघ महीने के दौरान प्रयागराज के संगम तट पर कल्पवास का बहुत महत्व माना जाता है। माघ महीने को सभी महीनों में सबसे उत्तम माना जाता है।

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प्रतीकात्मक तस्वीर, AI Generated Image

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हिंदू धर्म और भारतीय संस्कृति में माघ महीने के दौरान प्रयागराज के संगम तट पर कल्पवास का विशेष महत्व माना जाता हैहिंदू मान्यताओं के अनुसार माघ कोमासोत्तम मास’, यानी सभी महीनों में सबसे श्रेष्ठ कहा गया हैइस महीने में संगम तट पर रहकर एक माह तक सादा, संयमित और नियमबद्ध जीवन जीने की परंपरा को कल्पवास कहा जाता हैकल्पवास का अर्थ है तय समय तक संगम के किनारे निवास कर खुद को पूरी तरह आध्यात्मिक साधना और भक्ति में लगाना

 

पौराणिक कथाओं में बताया गया है कि सृष्टि की रचना के बाद ब्रह्मा जी ने प्रयाग में ही अश्वमेध यज्ञ किया थाऐसी मान्यता है कि माघ महीने में सभी देवी-देवता और तीर्थराज संगम तट पर वास करते हैं, जिससे यह स्थान और भी पवित्र हो जाता हैपद्म पुराण के अनुसार, माघ में संगम स्नान और कल्पवास करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है

 

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कल्पवास क्यों करते हैं लोग?

'कल्प' का अर्थ होता है- एक लंबी अवधि या कायाकल्प (परिवर्तन) और 'वास' का अर्थ है- निवासशास्त्रों के अनुसार, माघ में संगम तट पर कल्पवास करने से व्यक्ति के जन्म-जन्मांतर के पाप कट जाते हैं और वह आध्यात्मिक रूप से शुद्ध होता हैकल्पवास केवल नदी के किनारे रहना नहीं है बल्कि यह बेहद कड़े नियमों का पालन है

 

कल्पवासी दिन में केवल एक बार सात्विक भोजन करते हैंयह मन और शरीर को अनुशासित करने का तरीका हैमत्स्य पुराण और पद्म पुराण के अनुसार, माघ मास में तीर्थराज प्रयाग में कल्पवास करने से मोक्ष का मार्ग प्रशस्त होता हैकल्पवासी (कल्पवास करने वाला व्यक्ति) एक महीने तक सांसारिक मोह-माया से दूर रहता है

कल्पवास के मुख्य नियम

  • दिन में तीन बार (सुबह, दोपहर, शाम) गंगा स्नान करना
  • स्वयं पकाकर केवल एक समय शुद्ध शाकाहारी भोजन करना
  • बिस्तर के बजाय जमीन पर पुआल या चटाई बिछाकर सोना
  • पूर्ण ब्रह्मचर्य का पालन करना और क्रोध, लोभझूठ से दूर रहना
  • दान-पुण्य करना और निरंतर सत्संग सुनना

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माघ मास के प्रमुख देवता

  • माघ का महीना मुख्य रूप से भगवान विष्णु और सूर्य देव को समर्पित है लेकिन प्रयागराज के संदर्भ में इसमें अन्य देवताओं का भी वास माना जाता है।
  • ऐसा कहा जाता है कि माघ मास में सभी देवी-देवता और ऋषि-मुनि अदृश्य रूप में प्रयागराज में निवास करते हैं, इसलिए इस समय वहां की गई भक्ति का फल अनंत गुना बढ़ जाता है
  • भगवान विष्णु को माघ मास का मुख्य देवता माना जाता हैमान्यता है कि इस महीने वे जल में निवास करते हैं, इसलिए सूर्योदय से पूर्व स्नान उन्हें अत्यंत प्रिय है
  • माघ में ही सूर्य 'मकर राशि' में प्रवेश करते हैंइस महीने सूर्य की उपासना से आरोग्य और तेज प्राप्त होता हैगोस्वामी तुलसीदास जी ने रामचरितमानस में लिखा है:

'माघ मकर गति रबि जब होई, तीरथपतिहिं आव सब कोई' अर्थात् जब सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है तब सभी लोग तीर्थराज प्रयाग की ओर खिंचे चले आते हैं

  • प्रयागराज में संगम तट पर भगवान शिव का भी विशेष महत्व हैकल्पवासी शिव की आराधना कर अपनी तपस्या की पूर्णता मांगते हैं
  • गंगा, यमुना और सरस्वती तीन नदियों (त्रिवेणी) को साक्षात देवी माना जाता है, जिनके मिलन स्थल पर स्नान ही कल्पवास का आधार है

नोट: इस खबर में लिखी गई बातें धार्मिक और स्थानीय मान्यताओं पर आधारित हैं। हम इसकी पुष्टि नहीं करते हैं।


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