हिंदू धर्म में श्रावण मास को बहुत ही पवित्र और पूजन योग्य महीना माना गया है। यह मास विशेष रूप से भगवान शिव की भक्ति और उपासना के लिए जाना जाता है। श्रावण मास को कई क्षेत्रों में ‘सावन’ भी कहा जाता है। इस पूरे महीने में शिव भक्त व्रत, पूजा, रुद्राभिषेक और जलाभिषेक के माध्यम से भगवान शिव को प्रसन्न करने का प्रयास करते हैं।
श्रावण मास की शुरुआत आमतौर पर आषाढ़ पूर्णिमा के अगले दिन से होती है और यह भाद्रपद अमावस्या तक चलता है। यह महीना बरसात के मौसम में आता है, जब प्रकृति भी हरी-भरी हो जाती है। इस समय शिवलिंग पर जल चढ़ाने की परंपरा होती है, जिससे एक आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार होता है।
यह भी पढ़ें: मध्यमहेश्वर: यहां भगवान शिव ने पांडवों को बैल रूप में दिए थे दर्शन
श्रावण सोमवार से जुड़ी मान्यताएं
श्रावण सोमवार को ‘सावन सोमवार व्रत’ रखा जाता है। मान्यता है कि जो व्यक्ति पूरे श्रावण मास में सोमवार के दिन व्रत रखकर विधिवत पूजा करता है, उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। विशेषकर कुंवारी कन्याएं अच्छा जीवनसाथी पाने के लिए यह व्रत रखती हैं और विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए इस दिन व्रत करती हैं।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, जब समुद्र मंथन हुआ था, तब सबसे पहले विष निकला था, जिसे भगवान शिव ने पी लिया था ताकि संसार की रक्षा हो सके। उस समय श्रावण मास चल रहा था और तभी से यह महीना भगवान शिव से जुड़ा हुआ माना गया। इसी कारण इस मास में शिवजी को जल, बेलपत्र, धतूरा, भस्म और भांग चढ़ाने का महत्व बताया गया है।
2025 में सावन सोमवार की प्रमुख तिथियां इस प्रकार रहेंगी:
श्रावण मास 11 जुलाई 2025, शुक्रवार से आरंभ होकर 9 अगस्त 2025, शनिवार तक चलेगा। इस साल, चार सावन सोमवार व्रत पड़ेंगे:
पहला सोमवार – 14 जुलाई 2025
दूसरा सोमवार – 21 जुलाई 2025
तीसरा सोमवार – 28 जुलाई 2025
चौथा सोमवार – 4 अगस्त 2025
यह भी पढ़ें: कौन हैं देवी बगलामुखी, जिन्हें कहा जाता है देवी पार्वती का उग्र रूप
श्रावण मास के नियम
श्रावण मास में भक्त लोग मांस, मदिरा, प्याज और लहसुन जैसे तामसिक भोजन से परहेज करते हैं। साथ ही संयमित जीवन जीने और सात्विक आहार लेने की परंपरा है। सुबह जल्दी उठकर स्नान कर शिव मंदिर जाना या घर में ही शिवलिंग पर जल चढ़ाना, 'ॐ नमः शिवाय' मंत्र का जाप करना और शिव चालीसा या शिवपुराण का पाठ करना इस माह में विशेष पुण्यदायक माना जाता है।
सावन सोमवार के दिन व्रती सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करते हैं, स्वच्छ वस्त्र पहनते हैं और व्रत का संकल्प लेते हैं। दिनभर फलाहार करते हैं और भगवान शिव की पूजा करते हैं। शाम को दीप जलाकर शिवलिंग पर जल, दूध, शहद, बेलपत्र आदि चढ़ाकर विशेष प्रार्थना की जाती है। व्रत का पारण शाम को पूजा के बाद किया जाता है।