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श्रीमल्लिकार्जुन स्वामी मंदिर में PM मोदी ने किए दर्शन, इसे बनवाया किसने था?

आंध्र प्रदेश के श्रीशैलम में स्थित श्री भ्रामरांबा मल्लिकार्जुन स्वामी मंदिर 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। हाल ही में इस मंदिर में प्रधानमंत्री मोदी ने दर्शन-पूजन किया है।

Sri Bhramaramba Mallikarjuna Swamy Temple

श्री भ्रामरांबा मल्लिकार्जुन स्वामी मंदिर: Photo Credit: Wikipedia

आंध्र प्रदेश के श्रीशैलम में स्थित श्री भ्रामरांबा मल्लिकार्जुन स्वामी मंदिर को लेकर श्रद्धालुओं में इस समय विशेष उत्साह देखने को मिल रहा है। भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में शामिल यह मंदिर न सिर्फ धार्मिक दृष्टि से बल्कि ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व के लिए भी बेहद खास माना जाता है। इस पवित्र स्थल की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यहां एक ही परिसर में भगवान शिव और माता पार्वती की संयुक्त आराधना होती है। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इस मंदिर में दर्शन-पूजन किया है। दर्शन-पूजन के बाद मंदिर के मुख्य पुजारी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को श्री स्वामी और माता भ्रामरांबा की तस्वीर और वस्त्र भेंट किया था।

 

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, जब भगवान कार्तिकेय नाराज होकर दक्षिण दिशा की ओर चले गए थे, तब माता पार्वती और भगवान शिव भी अपने पुत्र को मनाने श्रीशैलम पहुंचे और यहीं रुक गए थे। द्रविड़ स्थापत्य शैली में बना यह भव्य मंदिर दक्षिण भारत की प्राचीन कला, आस्था और भक्ति का प्रतीक माना जाता है। यहां के ऊंचे गोपुरम (शिखर), नक्काशीदार स्तंभ (पिलर) और विशाल प्रांगण श्रद्धालुओं को दिव्यता का अनुभव कराते हैं। मान्यता है कि इस मंदिर में दर्शन और पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

 

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मंदिर से जुड़ी पौराणिक कथा

मंदिर से जुड़ी पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान शिव और माता पार्वती के पुत्र कार्तिकेय और गणेश के विवाह के समय भगवान कार्तिकेय क्रोधित होकर दक्षिण की ओर चले गए और क्रौंच पर्वत पर जाकर बस गए। कथा के अनुसार, अपने पुत्र के प्रति स्नेह की वजह से भगवान शिव और माता पार्वती भी वहां पहुंचे और वहीं निवास करने लगे। यही स्थान आगे चलकर श्रीशैलम कहलाया।

 

एक अन्य मान्यता के अनुसार, माता सती के शरीर का एक हिस्सा यहीं गिरा था, इसी वजह से यह स्थान महाशक्ति पीठ के रूप में भी प्रसिद्ध है। साथ ही यह भी कहा जाता है कि भगवान शिव को यहां मल्लिका (जैस्मिन) के फूलों से पूजा गया था, इसलिए उनका नाम 'मल्लिकार्जुन' पड़ा।

 

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मंदिर का इतिहास

इस मंदिर का इतिहास हजारों वर्ष पुराना बताया जाता है। कहा जाता है कि सातवाहन, इक्ष्वाकु, चौलुक्य, काकतीय और विजयनगर साम्राज्यों के राजाओं ने इस मंदिर के निर्माण और विस्तार में योगदान दिया है।

 

मान्यता के अनुसार, काकतीय काल की रानी मेलाम्बा ने मंदिर के गर्भगृह और मुख्य मंडप का निर्माण करवाया था। बाद में विजयनगर शासकों ने मंदिर के प्रवेश द्वार और प्राचीरों को मजबूत बनाया। यह मंदिर दक्षिण भारत के कई राजवंशों की भक्ति, कला और स्थापत्य का जीवंत प्रमाण माना जाता है।

मंदिर की बनावट

मल्लिकार्जुन स्वामी मंदिर द्रविड़ शैली में बना हुआ है। मंदिर के ऊंचे-ऊंचे गोपुरम (द्वार टॉवर), विशाल प्रांगण, सुंदर नक्काशी वाले स्तंभ और विशाल सभामंडप इसकी खूबसूरती को और बढ़ाते हैं। मंदिर के चारों ओर ऊंची पत्थर की दीवारें हैं।

 

मुख्य गर्भगृह में भगवान शिव ज्योतिर्लिंग के रूप में विराजमान हैं, जबकि पास ही भ्रामरांबा देवी का मंदिर स्थित है। मंदिर परिसर में सहस्रलिंगेश्वर मंदिर, नादिकेश्वर मूर्ति और पांडवों द्वारा स्थापित लिंग भी देखने को मिलते हैं।

 

मंदिर की विशेषताएं

इस मंदिर की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यह एकमात्र ऐसा स्थान है जहां ज्योतिर्लिंग और शक्ति पीठ दोनों एक साथ हैं। मंदिर के पास स्थित 'पाताल गंगा' नामक पवित्र नदी में श्रद्धालु स्नान करके पूजा करते हैं। माना जाता है कि इस नदी का जल पापों को धो देता है। यहां सहस्रलिंगेश्वर के नाम से एक क्षेत्र भी है, जहां हजारों शिवलिंग एक ही पत्थर पर उकेरे गए हैं। महाशिवरात्रि, कार्तिक पूर्णिमा और चैत्र नवरात्रि के समय मंदिर में भव्य उत्सव मनाए जाते हैं।

मंदिर तक पहुंचने का रास्ता

श्रीशैलम आंध्र प्रदेश के नल्लमाला पर्वत श्रृंखला में स्थित है। यहां पहुंचने के लिए निकटतम रेलवे स्टेशन मार्कापुर रोड है, जो यहां से लगभग 85 किलोमीटर दूर है।
सड़क मार्ग से भी श्रीशैलम आसानी से पहुंचा जा सकता है। हैदराबाद, कुरनूल और नेल्लोर से नियमित बस सेवाएं उपलब्ध हैं।

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