हिन्दू धर्म में भगवान विष्णु की उपासना के लिए एकादशी व्रत को सबसे फलदाई माना जाता है। विष्णु पुराण, स्कन्द पुराण जैसे पौराणिक धार्मिक ग्रंथों में भी इस व्रत का उल्लेख विस्तार से किया गया है। बता के कि आज के दिन स्मार्त संप्रदाय में पापमोचिनी एकादशी व्रत रखा जा रहा है और कल यानी 26 मार्च के दिन वैष्णव पापमोचिनी एकादशी व्रत रखा जाएगा।
वैष्णव सम्प्रदाय में भगवान विष्णु और उनके सभी अवतारों की उपासना को प्रधान माना जाता है। साथ ही इस्कॉन से जुड़े भक्त वैष्णव तिथि के अनुसार, ही व्रत का पालन करते हैं। आइए जानते हैं, किस समय पूजा करना रहेगा फलदाई?
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वैष्णव पापमोचिनी एकादशी 2025 तिथि
वैदिक पंचांग के अनुसार, चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि 26 मार्च सुबह 03 बजकर 50 मिनट पर समाप्त हो रही है। बता दें कि इस सिद्ध योग दोपहर 12 बजकर 26 मिनट तक रहेगा और इसके साध्य योग शुरू हो जाएगा। यह दोनों ही योग पूजा-पाठ के लिए श्रेष्ठ माने जाते हैं। साथ ही प्रातः पूजा के लिए शुभ समय सुबह 04 बजकर 44 मिनट से सुबह 05 बजकर 35 मिनट के बीच का समय रहेगा, बता दें कि यह ब्रह्म मुहूर्त काल है।
वैष्णव एकादशी पूजा विधि
पापमोचिनी एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान-ध्यान करें और पूजा-स्थल की साफ-सफाई करके, पवित्र जल से शुद्ध करें। इसके बाद हाथ में जल में लेकर व्रत का संकल्प लें और भगवान विष्णु की विधिवत उपासना करें।
पूजा में भगवान विष्णु को चंदन, तिल, गंध, पीले पुष्प इत्यादि अर्पित करें। साथ ही मिठाई और फल का भोग अर्पित करें। इस बात का ध्यान रखें कि भोग में तुलसी का पत्ता जरूर हो। ऐसी मान्यता है कि बिना तुलसी के भगवान भोग और पूजा स्वीकार नहीं करते हैं।
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एकादशी पूजा के दौरान भगवान विष्णु के मंत्र, स्तोत्र और स्तुति का पाठ करें। साथ ही जो लोग व्रत का पालन कर रहे हैं, उन्हें विष्णु सहस्रनाम स्तोत्र का पाठ जरूर करना चाहिए। इसके बाद पूजा के अंत में आरती के साथ पूजा संपन्न करें।
Disclaimer- यहां दी गई सभी जानकारी सामाजिक और धार्मिक आस्थाओं पर आधारित हैं।