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विजया एकादशी पर इन बातों का ध्यान रखकर करें भगवान विष्णु की उपासना

भगवान विष्णु की उपासना के लिए एकादशी व्रत का विशेष महत्व है। आइए जानते हैं विजया एकादशी व्रत से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण नियम और उनका महत्व।

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भगवान विष्णु।(Photo Credit: Creative Image)

भगवान विष्णु की उपासना के लिए एकादशी व्रत को बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, एकादशी व्रत के दिन भगवान विष्णु की उपासना करने से व्यक्ति को सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। बता दें कि प्रत्येक मास के कृष्ण और शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि के दिन भगवान विष्णु को समर्पित एकादशी व्रत का पालन किया जाता है।

 

वैदिक पंचांग के अनुसार, 24 फरवरी के दिन विजया एकादशी व्रत का पालन किया जा रहा है। आइए जानते हैं कि इस दिन क्या-क्या करना चाहिए और इस व्रत के नियम क्या हैं।

 

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विजया एकादशी व्रत के नियम

वैदिक शास्त्रों के अनुसार, विजया एकादशी के दिन पूजा-पाठ के साथ-साथ स्नान-ध्यान का भी विशेष महत्व है। इस दिन पवित्र स्नान करने से विशेष लाभ प्राप्त होता है। यदि संभव न हो तो घर पर ही पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करें। ऐसा करने से भी पुण्य प्राप्त होता है।

 

शास्त्रों में बताया गया है कि एकादशी व्रत के दिन दोपहर के समय नहीं सोना चाहिए, क्योंकि इससे व्रत का फल नष्ट हो जाता है। इस दौरान भजन-कीर्तन करें या कथा का पाठ करें। यदि शरीर में थकान महसूस हो रही हो तो थोड़ी देर लेटकर आराम करें। इससे अच्छा महसूस होगा।

 

एकादशी व्रत के दिन भूलकर भी तामसिक भोजन का सेवन नहीं करना चाहिए, क्योंकि इससे देवी-देवता क्रोधित हो जाते हैं। इस विशेष दिन पर फलाहार या निराहार व्रत ही सबसे उत्तम माना जाता है। जो लोग व्रत का पालन नहीं कर रहे हैं, उन्हें भी इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि प्याज-लहसुन के सेवन से बचें और चावल का भी सेवन न करें। साथ ही, इस दिन मांस-मदिरा का सेवन वर्जित है।

 

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एकादशी व्रत के दिन भगवान विष्णु की उपासना शांत मन से की जानी चाहिए। इसलिए इस दिन क्रोध से दूर रहें और किसी के प्रति भी बुरे शब्दों का प्रयोग न करें, क्योंकि इससे पूजा का फल नष्ट हो जाता है। साथ ही, इस दिन किसी के प्रति द्वेष की भावना मन में न लाएं, क्योंकि इसका भी बुरा प्रभाव पड़ता है।

 

एकादशी व्रत के दिन भगवान विष्णु की उपासना के साथ-साथ माता लक्ष्मी की उपासना का भी विधान है। इसलिए इस दिन माता लक्ष्मी को गंध, पुष्प, धूप, दीप आदि अर्पित करें और उनके मंत्रों का जाप करें। पूजा के दौरान विष्णु सहस्रनाम स्तोत्र और श्री लक्ष्मी स्तोत्र का पाठ करें। इससे पूजा का प्रभाव बढ़ जाता है।

 

Disclaimer- यहां दी गई सभी जानकारी सामाजिक और धार्मिक आस्थाओं पर आधारित हैं।

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