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1 जनवरी को ही क्यों मनाया जाता है अंग्रेजी नववर्ष, क्या है इसके पीछे की वजह?

कई साल से पूरे विश्व में 1 जनवरी के दिन ही अंग्रेजी नववर्ष मनाया जाता है। आइए जानते हैं कि इसी दिन न्यू ईयर क्यों मनाया जाता है।

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प्रतीकात्मक तस्वीर: Photo Credit: AI

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हर साल 1 जनवरी को पूरी दुनिया में नए साल का जश्न मनाया जाता है लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि इस तारीख को अंग्रेजी नववर्ष के रूप में मनाने के पीछे एक लंबा और रोचक इतिहास छिपा है। रोमन सभ्यता से लेकर आधुनिक ग्रेगोरियन कैलेंडर तक, कई ऐतिहासिक फैसलों, शासकों की नीतियों और प्रशासनिक जरूरतों ने 1 जनवरी को साल की शुरुआत का दर्जा दिलाया। आज भले ही यह दिन जश्न, संकल्प और नई शुरुआत का प्रतीक बन चुका हो लेकिन इसकी जड़ें प्राचीन काल की राजनीति, धर्म और कैलेंडर सुधारों से गहराई से जुड़ी हुई हैं। यही वजह है कि 1 जनवरी को नया साल मनाने की परंपरा सिर्फ एक तारीख नहीं, बल्कि सदियों के इतिहास का परिणाम है।

प्राचीन रोमन कैलेंडर से शुरुआत

  • शुरुआत में प्राचीन रोम का कैलेंडर बिल्कुल अलग था।
  • रोम का पहला कैलेंडर रोमुलस ने बनाया था, जिसमें सिर्फ 10 महीने थे।
  • यह साल मार्च (March) से शुरू होता था, क्योंकि यह युद्ध और खेती का मौसम माना जाता था।
  • मान्यता के अनुसार, जनवरी और फरवरी तब कैलेंडर में शामिल ही नहीं थे।

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जनवरी महीने का जुड़ना

  • लगभग 713 ईसा पूर्व, रोमन राजा न्यूमा पोम्पिलियस ने कैलेंडर में दो नए महीने जोड़े-
  • January (जनवरी)
  • February (फरवरी)
  • जनवरी का नाम रोमन देवता Janus के नाम पर रखा गया।

Janus कौन थे?

  • Janus को दो मुख वाला देवता माना जाता था।
  • मान्यता के अनुसार, उनका एक मुख अतीत की ओर देखता था और दूसरा भविष्य की ओर देखता था।
  • इसलिए जनवरी को नई शुरुआत और पुराने साल के अंत का प्रतीक माना गया।

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1 जनवरी को नया साल कब बना?

शुरुआत में नया साल फिर भी मार्च से ही शुरू होता था लेकिन 153 ईसा पूर्व, रोमन सीनेट ने फैसला किया कि सरकारी कार्यकाल और प्रशासनिक साल 1 जनवरी से शुरू होगा। इसकी वजह थी, युद्ध की योजना, नए कौंसल्स (शासक अधिकारी) का पदभार ग्रहण और शासन व्यवस्था में सुविधा। इसी के साथ धीरे-धीरे 1 जनवरी को ही नया साल मान लिया गया।

जूलियन कैलेंडर और जूलियस सीजर

46 ईसा पूर्व, रोमन सम्राट जूलियस सीजर ने बड़ा कैलेंडर सुधार किया। उन्होंने Julian Calendar लागू किया, जिसमें  साल की लंबाई तय की, लीप ईयर की व्यवस्था की और 1 जनवरी को आधिकारिक नववर्ष घोषित किया। यहीं से 1 जनवरी को नया साल मनाने की परंपरा मजबूत हुई।

ईसाई धर्म और विरोध

जब यूरोप में ईसाई धर्म फैला, तब चर्च को यह परंपरा पसंद नहीं थी क्योंकि 1 जनवरी को रोमन देवताओं से जोड़ा जाता था। इसे मूर्तिपूजक परंपरा माना गया। इसलिए मध्यकाल में कई देशों ने नया साल 25 मार्च, ईस्टर या क्रिसमस के आसपास मनाना शुरू कर दिया।

ग्रेगोरियन कैलेंडर और अंतिम मुहर

1582 में, पोप ग्रेगरी XIII ने Gregorian Calendar लागू किया, जो आज पूरी दुनिया में इस्तेमाल होता है।

 

इस कैलेंडर में 1 जनवरी को ही आधिकारिक रूप से नया साल तय किया गया। धीरे-धीरे यूरोप, फिर पूरी दुनिया ने इसे अपना लिया।

भारत में 1 जनवरी क्यों मनाया जाता है नया साल?

भारत में परंपरागत रूप से विक्रम संवत, शक संवत, चैत्र प्रतिपदा और बैसाखी जैसे अलग-अलग नववर्ष होते हैं।

 

लेकिन ब्रिटिश शासन के दौरान Gregorian Calendar अपनाया गया। सरकारी, कानूनी और अंतरराष्ट्रीय काम इसी कैलेंडर से होने लगे, इसलिए 1 जनवरी को अंग्रेजी नववर्ष के रूप में मनाया जाने लगा।

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