लड़कियों का तस्कर एप्सटीन कौन था जिसके नाम पर मस्क ने ट्रंप को घेरा?
एलन मस्क ने 'एप्सटीन फाइल्स' का जिक्र करके डोनाल्ड ट्रंप पर हमला बोला है और अचानक से जेफ्री एप्सटीन का नाम चर्चा में है। पढ़िए इसकी पूरी कहानी क्या है।

जेफ्री एप्सटीन, डोनाल्ड ट्रंप और एलन मस्क, Photo Credit: Khabargaon
साल 2005, फरवरी का महीना था। अमेरिका में फ्लोरिडा का पाम बीच इलाका। यह एक ऐसी जगह है, जहां सूरज की पहली किरणें भी शायद इजाजत लेकर अंदर आती हैं। ऐसी ही एक सुबह थी। एक पंद्रह साल की लड़की थी, जिसे हम 'मैरी' (बदला हुआ नाम) कहेंगे, अजीब सी बेचैनी और थोड़ी उम्मीद के बीच फंसी थी। उसे एक बहुत अमीर और पावरफुल आदमी के घर 'मसाज' के लिए जाना था। बदले में कुछ सौ डॉलर मिलने थे। ये पैसे उसके और उसके परिवार के लिए बहुत बड़ी रकम थी। मैरी कोई प्रोफेशनल मसाजर नहीं थी। वह तो बस एक आम स्कूल जाने वाली लड़की थी। उसके अपने सपने थे। छोटी-छोटी इच्छाएं थीं और शायद कुछ मजबूरियां भी थीं। उसे एक दूसरी लड़की लेकर आई थी। उसने मैरी को समझाया था कि अगर घर का मालिक उम्र पूछे, तो खुद को 18 साल का बताना।
मैरी नहीं जानती थी कि यह बुलावा सिर्फ एक मसाज का नहीं, बल्कि एक ऐसे घिनौने जाल में फंसने का पहला कदम था, जो अनगिनत मासूम जिंदगियों को निगल चुका था। एक ऐसा जाल जिसे बड़ी सफाई और बेरहमी से बुना था जैफ्री एप्सटीन नाम के शख्स ने – एक ऐसा नाम जो आने वाले सालों में दौलत, अय्याशी, ताकत के गलत इस्तेमाल और यौन शोषण का एक भयानक और घिनौना चैप्टर लिखने वाला था।
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Time to drop the really big bomb:@realDonaldTrump is in the Epstein files. That is the real reason they have not been made public.
— Elon Musk (@elonmusk) June 5, 2025
Have a nice day, DJT!
यह कहानी है जैफ्री एप्सटीन की, वह शख्स जिसने अमेरिकी सियासत में सालों से भूचाल खड़ा किया हुआ है। एप्सटीन का नाम एक बार फिर खबरों में है। हुआ यह कि 5 जून (2025) को टेस्ला के सीईओ एलन मस्क और अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच कहा-सुनी हो गई। मस्क ने चुनाव के समय ट्रंप को जिताने में खूब मदद की थी लेकिन अब दोनों में ठनी हुई है। इसी बीच मस्क ने एक ट्वीट किया। इसमें उन्होंने एक चौंकाने वाला दावा किया। एलन मस्क ने कहा कि एप्सटीन की फाइलें इसलिए पब्लिक नहीं की जा रहीं क्योंकि उनमें डोनाल्ड ट्रंप का भी नाम है। क्या है जेफ्री एप्सटीन की कहानी? ट्रंप का इस केस से क्या लेना-देना है? चलिए, शुरू से शुरू करते हैं।
जैफ्री एप्सटीन: मामूली शुरुआत से अरबपति
जैफ्री एडवर्ड एप्सटीन का जन्म 20 जनवरी, 1953 को हुआ था। न्यूयॉर्क के ब्रुकलिन के एक आम मिडिल क्लास यहूदी परिवार में। उसके पिता, सेमुर एप्सटीन, न्यूयॉर्क के पार्क डिपार्टमेंट में एक छोटे-मोटे ग्राउंड्सकीपर का काम करते थे। उसकी माँ, पॉला, एक इंश्योरेंस कंपनी में क्लर्क थीं। जेम्स पैटरसन अपनी किताब 'फिल्थी रिच' में एप्सटीन के बचपन के दोस्त गैरी ग्रॉसबर्ग के हवाले से लिखते हैं कि सेमुर और पॉला बहुत अच्छे इंसान थे। एप्सटीन बचपन से ही पढ़ाई में काफी तेज था। खासकर गणित में उसकी समझ बहुत अच्छी थी। इसी वजह से उसने स्कूल में दो क्लास जंप कर लिए थे। उसकी एक और बचपन की दोस्त, बेवर्ली डोनाटेली, याद करती हैं कि एप्सटीन पियानो भी बहुत अच्छा बजाता था।
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एप्सटीन केस पर लिखी किताब 'परवर्जन ऑफ जस्टिस' में पत्रकार जूली के। ब्राउन बताती हैं कि एप्सटीन ने न्यूयॉर्क के मशहूर कूपर यूनियन कॉलेज में एडवांस्ड मैथ की पढ़ाई शुरू की लेकिन उसने कभी ग्रेजुएशन की डिग्री पूरी नहीं की। सत्तर के दशक की शुरुआत में एप्सटीन ने न्यूयॉर्क के अमीर लोगों के बच्चों के लिए बने मशहूर डाल्टन स्कूल में गणित और फिजिक्स पढ़ाना शुरू कर दिया। यह नौकरी उसे स्कूल के उस वक्त के हेडमास्टर डोनाल्ड बार ने दी थी। डोनाल्ड बार खुद भी विवादों में रहने वाले आदमी थे। वह बाद में अमेरिका के अटॉर्नी जनरल बने विलियम बार के पिता थे। डाल्टन में पढ़ाते हुए ही एप्सटीन की पहुंच वाले लोगों से जान-पहचान होने लगी। यहीं उसकी मुलाकात एलन "ऐस" ग्रीनबर्ग से हुई। ग्रीनबर्ग उस समय वॉल स्ट्रीट की जानी-मानी ब्रोकरेज फर्म बेयर स्टर्न्स के एक टॉप अधिकारी थे। ग्रीनबर्ग भी आम बैकग्राउंड से उठकर वॉल स्ट्रीट की ऊंचाई पर पहुंचे थे। वह एप्सटीन की समझदारी और आगे बढ़ने की चाहत से काफी इंप्रेस हुए। 1976 में एप्सटीन बेयर स्टर्न्स में शामिल हो गया।
एप्सटीन ने बहुत तेज़ी से अमीर ग्राहकों के लिए मुश्किल टैक्स बचाने के तरीके बनाने में महारत हासिल कर ली लेकिन 1981 में पैसे के लेन-देन में कुछ गड़बड़ियों और एक एसईसी जांच के चलते उसे बेयर स्टर्न्स छोड़ना पड़ा। इसके बाद उसने अपनी कंसल्टिंग फर्म, 'इंटरनेशनल एसेट्स ग्रुप' (IAG) शुरू की। इसी दौरान, उसने स्पेन की अमीर एक्ट्रेस एना ओब्रेगॉन के पिता के डूबे हुए पैसे निकलवाने में मदद की। इसके बदले उसे मोटी फीस मिली।
अस्सी के दशक के आखिर में एप्सटीन की जिंदगी में स्टीवन हॉफेनबर्ग आया। हॉफेनबर्ग 'टावर्स फाइनेंशियल कॉर्पोरेशन' नाम की एक डेट-कलेक्शन एजेंसी चलाता था। जूली के. ब्राउन 'परवर्जन ऑफ जस्टिस' में विस्तार से बताती हैं कि कैसे हॉफेनबर्ग और एप्सटीन ने मिलकर इन्वेस्टर्स के साथ सैकड़ों मिलियन डॉलर की धोखाधड़ी की। यह उस समय अमेरिका के इतिहास का सबसे बड़ा पोंजी स्कैम माना गया। हॉफेनबर्ग को तो इस मामले में अठारह साल की जेल हुई लेकिन एप्सटीन एक बार फिर अजीब तरह से कानून की पकड़ से साफ बच गया।
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नब्बे के दशक की शुरुआत एप्सटीन के लिए एक सुनहरा मौका लेकर आई। उसकी मुलाकात 'एल ब्रांड्स' के अरबपति सीईओ लेस्ली वेक्सनर से हुई। एल ब्रांड्स एक कॉन्ग्लोमेरेट है, जिसमें विक्टोरिया सीक्रेट जैसी कंपनियां शामिल हैं। वेक्सनर ने एप्सटीन पर इतना भरोसा किया कि उसे अपने अरबों डॉलर के बहुत बड़े फाइनेंशियल एम्पायर को संभालने की लगभग पूरी छूट दे दी। इसमें टैक्स प्लानिंग, निवेश, चैरिटी के काम और निजी मामले भी शामिल थे। एप्सटीन ने वेक्सनर की न्यूयॉर्क की बहुत बड़ी हवेली भी अपने नाम करवा ली। इसी दौलत और पहुंच के सहारे एप्सटीन ने ताकतवर लोगों के उस खास सर्किल में अपनी जगह बनाई। इसी सर्किल ने बाद में उसके घिनौने अपराधों पर पर्दा डालने में अहम भूमिका निभाई।
घिलेन मैक्सवेल और मासूमियत का शिकार
पाम बीच, फ्लोरिडा का वह खूबसूरत इलाका। अपनी खूबसूरती और अमीरी के लिए दुनिया भर में मशहूर है। जैफ्री एप्सटीन के लिए ये मासूम जिंदगियों को फंसाने का सबसे बड़ा अड्डा बन चुका था। उसकी शानदार कोठी, नंबर 358 एल ब्रिलो वे (358 El Brillo Way) बाहर से जितनी शानदार दिखती थी, अंदर से उतनी ही डरावनी और घिनौनी साजिशों का सेंटर थी। जूली के. ब्राउन अपनी किताब में लिखती हैं कि कम से कम छह सालों तक एप्सटीन और उसके शातिर साथी इसी कोठी में मिडिल स्कूल और हाई स्कूल की मासूम लड़कियों को लाते रहे। ये बात है मोटे तौर पर 1990 के दशक के आखिर से लेकर 2000 के दशक के बीच की। तरीका बहुत सीधा और बेरहम था: मसाज के बदले अच्छे पैसे देने का झांसा।
ये लड़कियां, जिनकी उम्र अक्सर तेरह से सोलह साल के बीच होती थी, ज्यादातर गरीब और मुश्किल पारिवारिक हालात से आती थीं। उन्हें पैसों की सख्त जरूरत होती थी। एप्सटीन इसी मजबूरी का फायदा उठाता था। 'परवर्जन ऑफ जस्टिस' के मुताबिक, कोठी में पहुंचने पर इन लड़कियों को न सिर्फ गलत तरीके से छुआ जाता था, बल्कि कई बार उनके साथ रेप जैसी वहशियाना हरकतें भी होती थीं। इसके बाद उन्हें दो सौ से तीन सौ डॉलर थमा दिए जाते थे। फिर और ज्यादा पैसों का लालच देकर उन्हें अपनी दूसरी सहेलियों को इस दलदल में खींच लाने के लिए मजबूर किया जाता था। इस तरह एप्सटीन ने युवा और मासूम लड़कियों की एक ऐसी 'सप्लाई चेन' बना रखी थी जो उसकी हवस की आग को लगातार हवा देती रहे।
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इस पूरे घिनौने नेटवर्क को चलाने में एप्सटीन अकेला नहीं था। उसकी सबसे बड़ी और सबसे शातिर साथी थी घिलेन मैक्सवेल। घिलेन, ब्रिटिश मीडिया टाइकून रॉबर्ट मैक्सवेल की बेटी थी। रॉबर्ट मैक्सवेल का खुद का अतीत भी विवादों से भरा रहा। जूली के. ब्राउन बताती हैं कि 1998 के आसपास, घिलेन मैक्सवेल ने पाम बीच काउंटी के कॉलेजों, आर्ट स्कूलों, स्पा और फिटनेस सेंटरों में घूम-घूमकर युवा और खूबसूरत लड़कियों की तलाश शुरू कर दी थी। वह उन्हें एप्सटीन के लिए 'मसाज थेरेपिस्ट' या 'पर्सनल असिस्टेंट' की अच्छी नौकरी का झांसा देती थी। एप्सटीन के घर का स्टाफ, भी इस बात का गवाह था कि मैक्सवेल नियमित रूप से बहुत कम उम्र की लड़कियों को घर लाती थी। वह लड़कियां कभी-कभी उसकी अपनी बेटी जितनी छोटी दिखती थीं। मैक्सवेल लड़कियों को यह विश्वास दिलाने में माहिर थी कि एप्सटीन एक भला और दयालु इंसान है जो उनकी मदद करना चाहता है।
जूली के. ब्राउन 'परवर्जन ऑफ जस्टिस' में इंटरलोकेन आर्ट्स सेंटर की एक घटना का भी जिक्र करती हैं। वहां एप्सटीन और मैक्सवेल ने 1994 में एक तेरह साल की लड़की को अपना निशाना बनाया था। वह लड़की वहां गायकी सीख रही थी। उस लड़की की मां ने बाद में बताया कि एप्सटीन ने उनकी बेटी की कम उम्र और उसके पिता की हाल ही में हुई मौत से पैदा हुई कमजोरी का फायदा उठाने की कोशिश की थी। एप्सटीन ने खुद को उस लड़की का 'गॉडफादर' बताने की कोशिश की थी।
कैसे खुली एप्सटीन की कहानी?
एप्सटीन का खौफ और उसके नेटवर्क का असर इतना जबरदस्त था कि शिकार हुई ज्यादातर लड़कियाँ सालों तक चुप रहने पर मजबूर हो जाती थीं। उन्हें डर था कि अगर उन्होंने मुंह खोला तो कोई उनकी बात पर यकीन नहीं करेगा और एप्सटीन अपनी दौलत और ऊंची पहुंच के दम पर उन्हें या उनके परिवार को भारी नुकसान पहुंचा सकता है लेकिन हर जुर्म अपने पीछे कुछ निशान छोड़ जाता है। मार्च 2005 में, एक गुमनाम फोन कॉल ने पाम बीच पुलिस को एप्सटीन के इस घिनौने खेल की पहली, हल्की सी ही सही, पर अहम जानकारी दी। एक घबराई हुई महिला ने अपनी चौदह साल की सौतेली बेटी के यौन शोषण का शक जताया। लड़की को उसकी एक दोस्त, जो खुद एप्सटीन के लिए लड़कियों की भर्ती का काम करती थी, एप्सटीन के घर लाई थी।
इसके बाद पाम बीच पुलिस की डिटेक्टिव मिशेल पैगन ने मामले की शुरुआती जांच की। उनके ट्रांसफर के बाद, यह केस डिटेक्टिव जो रिकेरी के हाथों में आया। जूली के. ब्राउन बताती हैं कि रिकेरी एक ईमानदार अफसर थे लेकिन यह केस उनकी ज़िंदगी का सबसे मुश्किल और दिमाग को झकझोर देने वाला केस साबित होने वाला था। रिकेरी और उनकी टीम ने लगभग तीन दर्जन लड़कियों से बात की और एप्सटीन के खिलाफ एक मजबूत क्रिमिनल केस तैयार किया। उनके पास लड़कियों के बयानों को पक्का करने के लिए ढेरों सबूत थे। इनमें फोन रिकॉर्ड्स, मैसेज, पैसों के लेन-देन के कागज, एप्सटीन के प्राइवेट जेट के उड़ान भरने के मैनिफेस्ट और दूसरे गवाहों के बयान शामिल थे।
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पुलिस ने अक्टूबर 2005 में एप्सटीन के पाम बीच वाले घर की तलाशी भी ली लेकिन, जब 20 अक्टूबर, 2005 को रिकेरी और उनकी टीम सर्च वारंट लेकर एप्सटीन की कोठी पहुंची, तो उन्हें लगा कि एप्सटीन को इसकी पहले से ही खबर लग चुकी थी। घर के छह कंप्यूटर हार्ड ड्राइव रहस्यमयी तरीके से गायब थे। उनकी जगह सिर्फ झूलती हुई तारें बची थीं। जिन नंगी तस्वीरों और अजीब कलाकृतियों का ज़िक्र कई लड़कियों ने अपने बयानों में किया था, उनमें से भी ज्यादातर गायब थीं। यह साफ था कि एप्सटीन और उसके वकील सबूत मिटाने की पूरी कोशिश कर रहे थे।
बिल क्लिंटन और 'स्वीटहार्ट डील'
जैफ्री एप्सटीन की बेहिसाब दौलत के साथ-साथ उसके ऊंचे राजनीतिक कांटेक्ट्स भी उसकी सबसे बड़ी ताकत थे। इन कांटेक्ट्स ने न सिर्फ उसे समाज के ऊंचे लोगों में जगह दिलाई, बल्कि कानून के शिकंजे से बचने में भी बार-बार उसकी मदद की। एप्सटीन के दोस्तों और जान-पहचान वालों की लिस्ट में कई बड़े और असरदार नाम शामिल थे। इनमें अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बिल क्लिंटन और बाद में राष्ट्रपति बने डोनाल्ड ट्रंप भी खास हैं।
'परवर्जन ऑफ जस्टिस' के अनुसार, क्लिंटन ने एप्सटीन के कुख्यात प्राइवेट जेट पर कई बार उड़ानें भरीं। इस जेट को मीडिया और कुछ पीड़ितों ने 'लोलिता एक्सप्रेस' का नाम दिया था। इन यात्राओं में 2002 और 2003 में अफ्रीका, यूरोप और एशिया के दौरे शामिल थे। ये यात्राएं अक्सर क्लिंटन ग्लोबल इनिशिएटिव के तहत इंसानियत के कामों के लिए बताई जाती थीं। हालांकि, फ्लाइट लॉग्स और कुछ गवाहों के बयानों से यह भी पता चलता है कि इन यात्राओं का मकसद हमेशा वैसा नहीं होता था जैसा दिखाया जाता था। एप्सटीन अक्सर अपनी इन नजदीकियों का रौब अपनी शिकार लड़कियों पर डालता था। उन्हें यह कहकर इंप्रेस करने की कोशिश करता था कि उसके कितने ऊंचे कांटेक्ट्स हैं। एक पीड़िता, ने 2019 में एक मुकदमे के दौरान बताया था कि एप्सटीन ने उसे विमान में यह कहकर डराया था कि तुम मेरे 'अच्छे दोस्त' बिल क्लिंटन की पसंदीदा सीट पर बैठी हो। क्लिंटन के प्रवक्ता ने हमेशा इन यात्राओं को ऑफिशियल और इंसानियत से जुड़ा मिशन बताया है और एप्सटीन के अपराधों की जानकारी होने से इनकार किया है।
जूली के. ब्राउन अपनी किताब में 1998 के नए साल के दिन हुई एक रहस्यमयी घटना का भी ज़िक्र करती हैं। उस समय राष्ट्रपति क्लिंटन और उनका परिवार अमेरिकी वर्जिन आइलैंड्स में छुट्टियां मना रहा था। उनकी सुरक्षा में लगे तीन अमेरिकी कस्टम एजेंटों की स्पीडबोट एप्सटीन के लिटिल सेंट जेम्स आइलैंड के पास एक चट्टान से टकरा गई थी। इस हादसे में एक एजेंट की मौत हो गई थी और दो अन्य गंभीर रूप से घायल हो गए थे। उस समय एप्सटीन आधिकारिक तौर पर उस द्वीप का मालिक नहीं बना था लेकिन स्थानीय लोगों में यह कानाफूसी हमेशा रही कि क्लिंटन की सुरक्षा में लगे एजेंट इतनी तेज रफ्तार से उस खतरनाक और सुनसान इलाके में क्या कर रहे थे। वही इलाका जो बाद में एप्सटीन का कुख्यात 'पीडोफाइल आइलैंड' बना।
ये तो थे डेमोक्रेटिक पार्टी के साथ एप्सटीन के संबंध लेकिन उसकी पकड़ रिपब्लिकन खेमे में भी कुछ कम नहीं थी। जब पाम बीच पुलिस और फिर एफबीआई ने एप्सटीन के खिलाफ अपनी जांच तेज की तो उसने अपनी कानूनी बचाव टीम में ऐसे वकीलों को शामिल किया जिनके संबंध उस समय के राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू. बुश के प्रशासन से गहरे थे। इनमें केनेथ स्टार जैसे नामी वकील भी शामिल थे। स्टार ने नब्बे के दशक में बिल क्लिंटन के खिलाफ व्हाइटवाटर और मोनिका लेविंस्की मामलों की जांच का नेतृत्व किया था और क्लिंटन के महाभियोग में अहम भूमिका निभाई थी।
इन्हीं राजनीतिक और कानूनी तिकड़मों का नतीजा था- एक 'स्वीटहार्ट डील'। मियामी के अमेरिकी अटॉर्नी, एलेग्जेंडर अकोस्टा ने इस विवादित समझौते को हरी झंडी दी। इस समझौते के तहत, एप्सटीन पर लगे गंभीर फेडरल सेक्स ट्रैफिकिंग के आरोप हटा लिए गए। बदले में उसने फ्लोरिडा राज्य में वेश्यावृत्ति के लिए उकसाने और नाबालिगों को वेश्यावृत्ति के लिए खरीदने जैसे हल्के आरोपों को कबूल किया। उसे सिर्फ 18 महीने की सजा सुनाई गई। जिसमें से भी उसने ज्यादातर समय पाम बीच काउंटी जेल के एक खास 'वर्क रिलीज' प्रोग्राम के तहत जेल के बाहर अपने शानदार ऑफिस में बिताया।
सबसे ज्यादा चौंकाने वाली और शर्मनाक बात यह थी कि इस नॉन-प्रॉसिक्यूशन एग्रीमेंट (NPA) को पीड़िताओं से पूरी तरह से गुप्त रखा गया। अमेरिका के क्राइम विक्टिम्स राइट्स एक्ट के तहत, पीड़िताओं को किसी भी प्ली बार्गेन (समझौते) के बारे में बताने और अदालत में अपनी बात रखने का पूरा अधिकार है लेकिन जैफ्री एप्सटीन के मामले में इन सभी कानूनी और नैतिक अधिकारों की सरेआम धज्जियाँ उड़ा दी गईं। यह तथाकथित स्वीटहार्ट डील न सिर्फ एप्सटीन को बचाती थी, बल्कि उसके साथियों को भी भविष्य की किसी भी कानूनी कार्रवाई से लगभग पूरी तरह सुरक्षा देती थी।
डोनाल्ड ट्रंप और जेफ्री एपस्टीन का रिश्ता!
सालों तक जैफ्री एप्सटीन का मामला कानूनी फाइलों और मीडिया की सुर्खियों से लगभग गायब सा रहा। वह अपनी आलीशान जिंदगी जीता रहा। दुनिया भर में घूमता रहा और अपने प्राइवेट आइलैंड 'लिटिल सेंट जेम्स' पर अय्याशियां करता रहा। जिसे लोग अब 'पीडोफाइल आइलैंड' के नाम से जानने लगे थे। एलेग्जेंडर अकोस्टा, जो बाद में डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन में लेबर सेक्रेटरी बने, हमेशा यही सफाई देते रहे कि उन्होंने 2008 में उस समय के सबूतों और हालात को देखते हुए सबसे समझदारी भरा फैसला लिया था लेकिन जूली के. ब्राउन की मियामी हेराल्ड में छपी इन्वेस्टिगेटिव सीरीज 'परवर्जन ऑफ जस्टिस' और उसके बाद आई उनकी इसी नाम की किताब ने इस पूरे मामले की परतें खोलकर रख दीं और अकोस्टा के दावों पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए। इस सीरीज के कारण ही जनता का भारी दबाव बना। जुलाई 2019 में, न्यूयॉर्क के दक्षिणी जिले के फेडरल प्रॉसिक्यूटर्स ने एप्सटीन को एक बार फिर सेक्स ट्रैफिकिंग के नए आरोपों में गिरफ्तार कर लिया। इस गिरफ्तारी के कुछ ही दिनों बाद, यानी 6 जुलाई को, जब एप्सटीन पेरिस से अपने प्राइवेट जेट से न्यू जर्सी के एयरपोर्ट पर उतरा, तो एफबीआई एजेंट उसका इंतज़ार कर रहे थे। उसे गिरफ्तार कर लिया गया।
अब, कहानी के इसी मोड़ पर एलन मस्क का ट्वीट सामने आता है- ट्रंप समर्थकों के बीच लंबे समय से यह मांग रही है कि एपस्टीन फ़ाइल्स सार्वजनिक की जाएं।
एपस्टीन फ़ाइल्स हैं क्या?
दरअसल, एपस्टीन केस में एक कांस्पीरेसी थ्योरी चलती है। जिसके अनुसार एपस्टीन के साथ साथ कई बड़े नाम सेक्स ट्रैफिकिंग में शामिल थे। जिन्हें छिपाया जा रहा है। जनवरी 2024 में जेफ्री एप्सटीन से जुड़े कुछ कोर्ट डॉक्यूमेंट्स पब्लिक भी किए गए थे। असल में, ये फाइलें 2015 के एक पुराने कोर्ट केस से निकली हैं। इन फाइलों में पीड़ितों के बयान, पुराने पुलिस रिकॉर्ड और ईमेल शामिल हैं। इनसे एप्सटीन के जुर्म के तरीकों और उसके नेटवर्क की जानकारी मिलती है।
लिस्ट में बिल क्लिंटन, दिवंगत महारानी एलिजाबेथ द्वितीय के बेटे प्रिंस एंड्रयू और डोनाल्ड ट्रंप जैसे कई बड़े नाम हैं। एपस्टीन फ़ाइल्स के अनुसार दिवंगत प्रिंस एंड्रयू पर यौन शोषण के गंभीर आरोप हैं। इस मामले में उन पर एक कोर्ट केस भी चलता था। इसी तरह फ़ाइलों में बिल क्लिंटन का जिक्र भी आता है। एक बयान के मुताबिक, एप्सटीन ने कहा था कि "क्लिंटन को जवान लड़कियां पसंद हैं"। ट्रंप का जिक्र एक कैसिनो जाने के संबंध में हुआ है। हालांकि, यहां साफ़ कर दें कि इन फाइलों में ट्रंप पर किसी गलत काम का सीधा आरोप नहीं लगाया गया है। एपस्टीन केस को लेकर कई लोग मानते हैं कि अभी सारी फाइलें सार्वजनिक नहीं की गई है क्योंकि इससे और बड़े लोगों पर गाज गिर सकती है। मस्क इसी मामले में ट्रंप पर निशाना साध रहे हैं। मस्क का कहना है कि फ़ाइल सार्वजनिक ना करने का असल कारण है कि इसमें ट्रंप का नाम भी शामिल है।
असलियत क्या है?
जूली के. ब्राउन 'परवर्जन ऑफ जस्टिस' में विस्तार से बताती हैं कि कैसे डोनाल्ड ट्रंप और एप्सटीन के बीच पुराने और कई बार अजीब संबंध थे। 2002 में ट्रंप ने न्यूयॉर्क मैगज़ीन को दिए एक इंटरव्यू में एप्सटीन को 'शानदार आदमी' (terrific guy) बताया था और यह भी कहा था- 'उसे भी मेरी तरह खूबसूरत औरतें पसंद हैं और उनमें से कई काफी कम उम् कीर होती हैं।' हालांकि, बाद में ट्रंप ने एप्सटीन से दूरी बना ली थी। कहा जाता है कि इसकी एक वजह यह थी कि एप्सटीन पर पाम बीच स्थित ट्रंप के आलीशान मार-ए-लागो क्लब के एक सदस्य की बेटी के साथ छेड़छाड़ का आरोप लगा था। जिसके बाद ट्रंप ने उसे क्लब से बैन कर दिया था। एक और किस्सा 2004 के एक रियल एस्टेट सौदे से जुड़ा है, जिसे लेकर दोनों के बीच मनमुटाव हो गया था।
'परवर्जन ऑफ जस्टिस' में "केटी जॉनसन" नाम की एक महिला के सनसनीखेज आरोपों का भी विस्तृत ज़िक्र है। केटी जॉनसन ने दावा किया था कि 1994 में जब वह सिर्फ तेरह साल की थी, तब डोनाल्ड ट्रंप और जैफ्री एप्सटीन दोनों ने न्यूयॉर्क में एप्सटीन की आलीशान कोठी पर होने वाली पार्टियों के दौरान उसका कई बार यौन शोषण और बलात्कार किया था। इन गंभीर आरोपों की स्वतंत्र रूप से कभी पुष्टि नहीं हो पाई और डोनाल्ड ट्रंप ने हमेशा इन्हें सिरे से नकारा है।
10 अगस्त, 2019 को, अपनी गिरफ्तारी के कुछ ही हफ्तों बाद, जैफ्री एप्सटीन न्यूयॉर्क की मेट्रोपॉलिटन करेक्शनल सेंटर की अपनी जेल की कोठरी में रहस्यमयी हालात में मृत पाया गया। अधिकारियों ने मौत का कारण आत्महत्या बताया लेकिन इस पर भी कई गहरे सवालिया निशान लगे। खासकर यह देखते हुए कि कुछ हफ्ते पहले भी उसने आत्महत्या की नाकाम कोशिश की थी। जेल के दो गार्डों पर ड्यूटी में लापरवाही बरतने और रिकॉर्ड में हेरफेर करने के आरोप भी लगे। इन हालात ने इस थ्योरी को और हवा दी कि जैफ्री एप्सटीन को हमेशा के लिए चुप करा दिया गया क्योंकि वह कई बेहद ताकतवर और प्रभावशाली लोगों के काले कारनामों का राजदार था।
जूली के. ब्राउन अपनी किताब में इस बात की ओर भी इशारा करती हैं कि ऐसी पक्की संभावना थी कि एप्सटीन के पास अपने अमीर और ताकतवर दोस्तों की आपत्तिजनक स्थितियों की वीडियो टेप्स और तस्वीरें मौजूद थीं। जिनका इस्तेमाल वह उन्हें ब्लैकमेल करने और अपने कंट्रोल में रखने के लिए करता था। शायद यही एक बड़ी वजह थी कि इतने सारे प्रभावशाली लोग इतने सालों तक उसके अपराधों पर पर्दा डालने और उसे बचाने की कोशिशों में लगे रहे।
यह कहानी अभी खत्म नहीं हुई है। एप्सटीन की मौत के बाद, उसके अपराधों की सबसे बड़ी साथी, घिलेन मैक्सवेल पर कानून का शिकंजा कसा। जुलाई 2020 में उसे गिरफ्तार किया गया। लंबे मुकदमे के बाद, दिसंबर 2021 में, जूरी ने उसे नाबालिग लड़कियों की सेक्स ट्रैफिकिंग में मदद करने जैसे कई गंभीर मामलों में दोषी पाया। जून 2022 में, मैक्सवेल को 20 साल जेल की सजा सुनाई गई। जैफ्री एप्सटीन भले ही इस दुनिया से जा चुका हो लेकिन अमेरिकी पॉलिटिक्स में उसका भूत ज़िंदा है और मस्क और ट्रंप के बीच कहासुनी ने इसे एक बार फिर सुर्खियों में ला दिया है।
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