51 करोड़ का जुर्माना 4 हजार में बदला, क्यों विवादों में आए IAS नागार्जुन गौड़ा?
IAS नागार्जुन गौड़ा इन दिनों विवादों में हैं। आरोप है कि उन्हें एक कंपनी पर लगाए गए 51 करोड़ रुपये के जुर्माने को 4 हजार रुपये में बदल दिया।

विवादों में हैं IAS नागार्जुन गौड़ा, Photo Credit: Khabargaon
डॉ. नागार्जुन गौड़ा, 2019 बैच के मध्य प्रदेश काडर के IAS। वर्तमान में मध्य प्रदेश में खण्डवा ज़िला पंचायत के CEO के पद पर आसीन हैं। यूं तो नागार्जुन साल 2022 में चर्चा में आए थे जब उन्होंने अपनी बैचमेट IAS श्रुति जयंत देशमुख से शादी की थी। तब खबरों में इनकी लव स्टोरी और शादी की तैयारियों की चर्चाएं थी। इसके अलावा फेसबुक, यूट्यूब और इंस्टाग्राम की दुनिया में भी नागार्जुन आपको कभी UPSC एस्पिरैंट्स को मोटिवेशन देते तो कभी अपनी सक्सेस स्टोरी सुनाते दिख जाएंगे लेकिन अब नागार्जुन एक बार फिर से चर्चा में हैं। इस बार मुद्दा है एक आरोप। आरोप कि नागार्जुन ने एक कंपनी पर लगे 51 करोड़ 67 लाख रुपये के जुर्माने को केवल 4 हजार 32 रुपयों में तब्दील कर दिया। खबरों में इसे एक बड़ा गोलमाल बताया गया। एक RTI कार्यकर्ता ने यह भी दावा किया कि ऐसा करने के लिए नागार्जुन और उनके एक साथी IAS ने 10 करोड़ रुपये की घूस भी ली है।
क्या है यह मामला, कौन हैं IAS जिनपर घूस लेकर जुर्माने की राशि घटाने का आरोप लगा और क्यों नागार्जुन गौड़ा को सेलिब्रिटी IAS कहा गया? आइए सब जानते हैं।
मध्य प्रदेश के हरदा ज़िले के एक सामाजिक कार्यकर्ता हैं। नाम आनंद जाट। वह सूचना के अधिकार (RTI) के तहत स्थानीय भ्रष्टाचार और अवैध खनन के मामलों को उजागर करने के लिए जाने जाते हैं। बीते दिनों आनंद मीडिया के सामने आए और कुछ कागजात के हवाले जानकारी दी कि मध्य प्रदेश काडर के दो IAS अफसरों ने मिलकर मध्य प्रदेश सरकार को 51 करोड़ रुपये का नुकसान कराया। इनमें से एक थे- हरदा में ADM के पद पर तैनात डॉ. नागार्जुन बी गौड़ा। जिस कंपनी को इन अफसरों ने राहत दी उसका नाम है- पाथ इंडिया।
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क्यों लगा 51 करोड़ का जुर्माना?
विवाद का मूल है- इंदौर-बैतूल नेशनल हाइवे निर्माण में अवैध मिट्टी खनन घोटाला। करीब 55 पन्नों की एक रिपोर्ट दिखाते हुए आनंद दावा करते हैं कि पाथ इंडिया कंपनी ने इंदौर-बैतूल नेशनल हाइवे (NH-47) के फोर-लेन निर्माण का ठेका लिया। स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स में दर्ज किया गया कि इस काम के लिए कंपनी ने मशीनों से मिट्टी/मोरम निकालने का काम शुरू किया लेकिन यह खुदाई तय सीमा से ज्यादा होने लगी। आरोप लगे कि पाथ इंडिया ने बिना अनुमति के 50-60 फीट गहरी खुदाई की जिससे इलाका खाई में तब्दील हो गया। इसकी वजह से निजी, सरकारी और तो और आदिवासियों की जमीनें भी प्रभावित हुई।
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दावे के मुताबिक कंपनी ने 19 अलग-अलग खसरा संख्या यानी प्लॉट्स पर 3,44,509.68 घन मीटर खुदाई कर दी। दावा किया गया कि यह खुदाई सड़क निर्माण के लिए जरूरी थी लेकिन जब खुदाई से गांव वालों को दिक्कत हुई तो उन्होंने इसका विरोध किया। इस मामले पर नजर रखने वाले अधिवक्ता ने स्थानीय मीडिया से हुई बातचीत में बताया- कंपनी की मनमानी के विरोध में ग्रामीणों ने करीब 45 दिन तक धरना भी दिया लेकिन अफसरों ने अवैध खनन करने वाले कंपनी पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं की। जब दबाव बना तो फिर इस मामले में साल 2022 में पहली जांच हुई।
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रहटगांव तहसीलदार ने कंपनी के साइट पर निरीक्षण किया। दावे के मुताबिक बिना किसी फोटो/वीडियो/पंचनामे के मौखिक बयानों के आधार पर रिपोर्ट तैयार की गई। रिपोर्ट में बताया गया कि जांच के बाद कंपनी ने 3,44,509.68 घन मीटर में से केवल ने 2.688 घन मीटर खनन को अवैध स्वीकारा। इसके बाद खनिज विभाग ने अवैध खनन का मूल्यांकन भी किया। जांच कमेटी ने पूरी जांच की और साल 2023 में एडीएम कोर्ट ने तहसीलदार की रिपोर्ट और खनिज विभाग के मूल्यांकन के आधार पर कंपनी पर कुल 516764520 रुपये का जुर्माना लगाया। इसमें अवैध खनन के लिए 25 करोड़ 83 लाख रुपये और इतनी ही राशि मध्य प्रदेश खनिज नियम 2022 के तहत पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने के लिए। जिस वक्त कंपनी पर यह जुर्माना लगाया गया तब हरदा के अडिशनल कलेक्टर IAS प्रवीन फूल पगारे थे। उनकी ही निगरानी में जांच और जुर्माने की पूरी प्रकिया हुई थी।
नागार्जुन गौड़ा ने क्या किया?
कंपनी ने तुरंत ही जुर्माने के पैसे अदा नहीं किए। कंपनी भी लगातार अपना पक्ष रखते हुए आवाज़ उठाती रही। दोनों पक्षों के दलीलों और सुनवाइयों का दौर चला। साल आया 2025, IAS नागार्जुन गौड़ा को हरदा का ADM बनाया गया। एक्टिविस्ट आनंद ने आरोप लगाया कि हरदा में तैनाती के बाद नागार्जुन ने इस मामले की समीक्षा की। पुरानी जांच में खामियां पाईं और पाया कि अंधेरी खेड़ा में खनन के लिए सिर्फ पाथ कंपनी ने ही नहीं बल्कि दूसरे भूमि स्वामियों ने भी परमीशन ली थी।
इसके बाद एडीएम नागार्जुन गौड़ा ने 51 करोड़ के जुर्माने वाले आदेश को बदला। कंपनी पर अवैध खनन के लिए 51 करोड़ रुपयों के बजाए अब 4032 रुपये की राशि तय की। इसमें इसमें अवैध उत्खनन के लिए 2016 रुपये और इतनी ही राशि पर्यावरण क्षतिपूर्ति के लिए तय की। दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के मुताबिक, जुर्माने की राशि घटाने के बाद एडीएम नागार्जुन गौड़ा ने कहा था कि खनिज विभाग की लापरवाही के कारण यह स्पष्ट नहीं हो पाया कि वास्तविक अवैध खनन किसने किया।
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इस नए आदेश के सामने आने के बाद ग्रामीणों का विरोध शुरू हुआ। एक्टिविस्ट आनंद जाट ने RTI लगाई और एडीएम कोर्ट से जानकारी निकाली। जानकारी इकट्ठा की और मीडिया के सामने आकर आरोप लगाए कि IAS नागार्जुन गौड़ा ने ज़िला कलेक्टर के साथ मिलकर कंपनी के हक में ऐसा आदेश दिया। इसके साथ ही आनंद जाट ने यह भी आरोप लगाया कि 51 करोड़ के इस जुर्माने को 4 हज़ार में तब्दील करने के एवज में इन लोगों ने 10 करोड़ रुपये की रिश्वत भी ली है। आनंद दावा करते हैं कि विभाग के एक कर्मचारी ने इस बात की पुष्टि भी की कि पाथ कंपनी और IAS अधिकारियों के बीच हुई रिश्वत की लेन देन हुई।
बहरहाल, आनंद इस मुद्दे को ऊपर तक ले जाना चाहते हैं और IAS के कथित भ्रष्टाचार की जांच कराना चाहते हैं। उनका कहना है कि अगर एक अफसर जिसने अभी केवल चंद साल की ही नौकरी की है, वह एक जि़ला स्तर पर ही इस तरह से भ्रष्टाचार करेगा तो फिर आगे चल कर जब उसे पूरे जि़ले या राज्य या केंद्र के स्तर पर कोई बड़ी जिम्मेदारी मिलेगी तब उसकी कार्यशैली से क्या कुछ हो सकता है।
हमने इस मामले पर IAS नागार्जुन बी गौड़ा से भी संपर्क करने की कोशिश की। उनसे उनका पक्ष जानने के लिए उनके CUG नंबर पर कॉल भी किया और उनके सरकारी ई-मेल पर मेल भी। नागार्जुन अब खंडवा ज़िला पंचायत के सीईओ हैं। हमने 6 अक्टूबर 2025 को खंडवा ज़िले की आधिकारिक वेबसाइट पर दिए CUG नंबर पर फोन किया लेकिन फोन लगा नहीं। न मैसेज डिलीवर हुआ। हमने उन्हें 6 अक्टूबर को एक ईमेल भी किया था। यह खबर लिखे जाने और इस पर वीडियो बनाए जाने तक उनका जवाब आया नहीं है। अगर उनका जवाब आता है तो इस मामले पर उनका क्या कहना है आपको वह भी बताएंगे।
डॉक्टरी से सिविल सर्विस में कैसे आए नागार्जुन गौड़ा?
अब उन अफसर की भी बात कर लेतें हैं जिनके इर्द-गिर्द ये पूरे आरोप घूम रहे हैं। जैसा कि हमने वीडियो की शुरुआत में ही बताया, डॉ. नागार्जुन बी गौड़ा 2019 बैच के मध्य प्रदेश काडर के अफसर हैं। मूलत: कर्नाटक से ताल्लुक रखते हैं। 1992 में जन्मे नागार्जुन गौड़ा ने राजीव गांधी यूनिवर्सिटी ऑफ हेल्थ साइंसेज, कर्नाटक से मेडिसिन सर्जरी में MBBS पूरा किया। कर्नाटक के मंड्या इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज़ में रेज़िडेंट डॉक्टर के तौर पर सेवाएं भी दे रहे थे लेकिन फिर मन बना सिविल सेवा में आने का लेकिन तैयारी के लिए वक्त नहीं था। मीडिया में दिए हुए इंटरव्यूज़ में नागार्जुन कहते हैं कि उन्हें रोज़ सुबह 9:30 बजे से शाम 4:30 बजे तक अस्पताल में रहना पड़ता था और उसके बाद वह कम से कम 6 घंटे रोज़ UPSC की पढ़ाई के लिए निकालते थे। वह भी सेल्फ स्टड़ी। कोचिंग क्यों नहीं? इसका जवाब देते हुए नागार्जुन कहते हैं- 'अगर मेरे पास उस समय कोचिंग लेने के पैसे होते, तो मैं ज़रूर लेता लेकिन आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी, इसलिए मैंने सेल्फ-स्टडी का रास्ता चुना।'
बहरहाल, डॉक्टरी के साथ तैयारी करते हुए नागार्जुन ने UPSC CSE 2018 परीक्षा पास की। सेल्फ-स्टडी से परीक्षा पास करने वाले नागार्जुन को रैंक मिली 418वीं। रैंक तो ज्यादा थी लेकिन OBC की नॉन क्रीमीलेयर वाली कैटेगरी से आने वाले नागार्जुन को IAS की पोस्ट मिल गई। तब नागार्जुन को मणिपुर काडर अलॉट हुआ था लेकिन 2021 में शादी के वक्त उन्होंने अपना काडर बदलना चाहा, जिसे केंद्र सरकार ने मंजूरी कर लिया। जुलाई 2021 से नागार्जुन मध्य प्रदेश काडर में आए और इसी काडर की IAS सृष्टि देशमुख से शादी की।
सृष्टि देशमुख ने भी UPSC CSE 2018 की परीक्षा पास की थी। सृष्टि ने अपने पहले प्रयास में ही 5वीं रैंक हासिल की थी। दोनों की शादी की खबरों में बताया गया कि सृष्टि देशमुख और डॉ. नागार्जुन की मुलाकात UPSC की ट्रेनिंग के दौरान हुई, फिर 2022 में दोनों ने शादी कर ली। फिलहाल सृष्टि देशमुख बुरहानपुर ज़िला पंचायत में CEO के पद पर हैं। बुरहानपुर से करीब 70 किलोमीटर की दूरी पर डॉ. नागार्जुन खण्डवा ज़िला पंचायत में CEO के पद पर हैं।
अब तक तो इनकी चर्चा मिसाल के तौर पर होती थी। खास कर नागार्जुन गौड़ा की जो कभी एस्पिरेंट्स को मोटिवेट करते दिखते थे, भरोसा दिलाते थे कि सेल्फ स्टड़ी से भी UPSC क्रैक की जा सकती है। एस्पिरेंट्स भी उन्हें सुनना पसंद करते थे। करें भी क्यों न, उनके ही बीच से उनके जैसा कोई वह बना जो लाखों एस्पिरेंट्स बनना चाहते हैं। इसलिए डॉ नागार्जुन की अच्छी खासी फैन फॉलोविंग भी बन गई है। इस नौकरशाह कपल ने मिलकर एथिक्स पर किताब भी लिखी है लेकिन वही अब करप्शन के आरोपों से घिरे हुए हैं। बहरहाल, अवैध खनन के चार्जेस को कम करने के इस आरोप के बारे में सरकारी दफ्तरों में मंथन जारी है।
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