राजधानी दिल्ली स्थित आंबेडकर यूनिवर्सिटी के पांच छात्र नेताओं के खिलाफ सख्त कार्रवाई करते हुए तीन छात्रों को निकाल दिया है और दो की यूनिवर्सिटी में एंट्री बंद कर दी है। इन छात्रों नेताओं को पांच महीने पहले कथित रैगिंग के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के चलते सस्पेंड किया गया था। यूनिवर्सिटी प्रशासन के इस फैसले से कैंपस में नए सिरे से विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए हैं। छात्र नेताओं ने प्रशासन से इस फैसले पर छात्र प्रशासन से जवाब मांग रहे हैं।
निष्कासित छात्र प्रशासन के इस फैसले को दिल्ली हाई कोर्ट में चुनौती देने की बात भी कह रहे हैं। इस बीच सोमवार को छात्रों ने दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना के घर के बाहर विरोध प्रदर्शन किया। वीके सक्सेना आंबेडकर यूनिवर्सिटी के चांसलर हैं और छात्र उनसे यूनिवर्सिटी के इस कथित मनमाने फैसले पर ऐक्शन लेने की मांग कर रहे हैं।
जिन छात्रों के खिलाफ कार्रवाई की गई है, उनमें छात्र परिषद के दो पदाधिकारी भी शामिल हैं। छात्रों का आरोप है कि पांच महीने से सस्पेंड किए गए छात्रों के साथ यूनिवर्सिटी अन्याय कर रही है। छात्र परिषद ने भी इस फैसले को लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन बताते हुए निंदा की है और पांचों छात्रों की तत्काल बहाली की मांग की है।
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उपराज्यपाल के घर के बाहर प्रदर्शन
सोमवार को छात्रों ने अंबेडकर यूनिवर्सिटी के चांसलर और दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना के घर के बाहर विरोध प्रदर्शन किया। इस विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व स्टूडेंट फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसएफआइ) दिल्ली राज्य समिति ने किया। एसएफआई के छात्र नेताओं का कहना है कि यूनिवर्सिटी प्रशासन को इस फैसले पर जवाब देना चाहिए। अभी तक यूनिवर्सिटी प्रशासन ने इस मुद्दे पर कोई बयान नहीं दिया है। कैंपस में लगातार विरोध प्रदर्शनों के कारण माहौल तनावपूर्ण बन गया है।
छात्रसंघ प्रतिनिधि भी निष्कासित
जिन पांच छात्रों के खिलाफ कार्रवाई हुई है उनमें छात्रसंघ के चुने हुए प्रतिनिधि भी हैं। अंबेडकर यूनिवर्सिटी के छात्रसंघ की कोषाध्यक्ष शरण्या और छात्र परिषद पार्षद शुभोजीत के साथ-साथ एसएफआई दिल्ली की राज्य समिति सदस्य शेफाली को निष्काषित किया गया है।
यूनिवर्सिटी प्रशासन के इस फैसले पर शुभोजीत ने कहा, 'हम पांचो रो मूल रूप से रैगिंग की एक घटना के खिलाफ बोलने के लिए सस्पेंड कर दिया गया था, जिसके कारण यूनिवर्सिटी में एक छात्र के आत्महत्या करने की नौबत आ गई थी। यूनिवर्सिटी प्रशासन ने हमारे खिलाफ बहुत अनुचित कार्रवाई की है, जबकि हम तो बस उस स्थिति से निपटने के लिए संस्थान से मदद मांग रहे थे।'
निष्कासित छात्र नेता शरण्या ने कहा, 'दिल्ली हाई कोर्ट ने यूनिवर्सिटी को उचित प्रक्रिया का पालन करने और सुनवाई करने का आदेश दिया है। इसके बावजूद यूनिवर्सिटी प्रशासन ने छात्रों के खिलाफ प्रचार जारी रखा। प्रदर्शन कर रही छात्राओं को कथित तौर पर प्रशासन के हाथों शारीरिक हमले और छेड़छाड़ का सामना करना पड़ा था।'
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यूनिवर्सिटी ने क्या कहा?
यूनिवर्सिटी प्रशासन ने कहा कि यूनिवर्सिटी ने हाईकोर्ट के आदेश का पालन करते हुए सुनवाई पूरी की और इसमें जरूरी प्रक्रिया का पालन किया गया। इस मामले में 3 नवंबर को अगली सुनवाई होगी। यह मामला अभी कोर्ट में है इसलिए यूनिवर्सिटी इस पर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहती।