निजी संस्थान की 17 छात्राओं से यौन शोषण के आरोपी और खुद को संत बताने वाले चैतन्यानंद सरस्वती के काले कारनामे लगातार सामने आ रहे हैं। पुलिस जांच में खुलासा हुआ है कि सरस्वती न सिर्फ महिलाओं और स्टाफ की प्राइवेट फोटो खींचता था, बल्कि उनसे अश्लील चैट करता था और एक मोबाइल ऐप के जरिये कैंपस और हॉस्टल में लड़कियों की जासूसी भी करता था। आरोप लगने के बाद से चैतन्यानंद फरार चल रहा था, पुलिस ने उसे रविवार को आगरा से गिरफ्तार किया है।
पुलिस ने बताया कि उसकी तीन महिला सहयोगियों के साथ आमने-सामने बैठाकर पूछताछ की जा रही है। यह तीनों महिलाएं सगी बहनें हैं। इनमें से एक संस्थान की डीन थी और बाकी दो हॉस्टल की वार्डन थीं, जो पीड़ित छात्राओं को धमकाकर आरोपी के गंदे मैसेज डिलीट करवाती थीं। पुलिस के मुताबिक, आरोपी का ऑफिस किसी लग्जरी सुइट की तरह बनाया गया था, जिससे वह महिलाओं को प्रभावित कर सके। वह उन्हें महंगे तोहफे और ज्वैलरी देता और योग करते हुए फोटो और वीडियो भेजने के लिए कहता था।
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पुलिस को मिले ये सबूत
पुलिस ने बताया कि आरोपी चैतन्यानंद के मोबाइल फोन से उसके शिकारी जैसे व्यवहार के सबूत मिले हैं। पुलिस ने जानकारी देते हुए बताया कि चैतन्यानंद के फोन में छात्राओं और स्टाफ की प्राइवेट तस्वीरें, महिला फ्लाइट अटेंडेंट्स के साथ ली गई सेल्फियां और महिलाओं के डिस्प्ले पिक्चर के स्क्रीनशॉट मिले हैं।
एक अधिकारी ने कहा, 'गिरफ्तारी से कुछ दिन पहले की चैट्स में वह महिलाओं से संबंध बनाने की कोशिश कर रहा था। एक बातचीत में उसने महिला से खुद को रिझाने के लिए कहा और उसे हग और किस वाले इमोजी भेजे थे। उसने इस काम के लिए ऑनलाइन पेमेंट भी किया था।'
पुलिस के मुताबिक, वह महिलाओं को फ्लाइट अटेंडेंट या संस्थान में नौकरी दिलाने का झांसा देकर बातचीत शुरू करता था। उसके मोबाइल में एक ऐसा ऐप भी मिला जिससे वह कैंपस और हॉस्टल में लड़कियों पर नजर रखता था।
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ट्रैकिंग से बचने के लिए करता था इन चीजों का इस्तेमाल
एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया, 'जांच में सामने आया कि फरार रहते समय उसने ट्रैकिंग से बचने के लिए लंदन के नंबरों का इस्तेमाल किया था। आखिरकार उसका IP ऐड्रेस ट्रेस कर उसे पकड़ा गया।' पुलिस के अनुसार, सरस्वती अक्सर बड़े लोगों के नाम लेकर खुद को बचाने की कोशिश करता था। वह पुलिस को चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया का नाम लेकर धमकाता और पीएमओ से जुड़ाव का झूठा दावा भी करता था।
आरोपों को बताया झूठा
अधिकारियों ने कहा कि सरस्वती जांच में बिल्कुल सहयोग नहीं कर रहा है। 'उसने अपने कामों पर कोई पछतावा नहीं दिखाया और अक्सर जांचकर्ताओं को गुमराह करने की कोशिश करता रहता है।' पुलिस के मुताबिक, जब भी उससे पूछताछ होती है, वह बार-बार झूठ बोलता है। पुलिस ने बताया, 'वह तभी झूठा जवाब देता है, जब उसे दस्तावेज और डिजिटल सबूत दिखाए जाते हैं।' बीते सोमवार को उसे संस्थान के कैंपस भी ले जाया गया था, जिससे उन जगहों की पहचान करवाई जा सके जहां उसने छात्राओं को निशाना बनाया था।