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असम की सरकारी जमीनों को लेकर क्यों बरपा हंगामा? प्रदर्शनकारियों की मांग क्या है?

असम के कार्बी आंगलोंग जिले में सोशल एक्टिविस्ट, आम लोग और स्थानीय नेता पिछले आठ दिनों से अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल कर रहे हैं। आइए जानते हैं इसकी वजह क्या है...

Karbi Anglong protest

प्रतीकात्मक तस्वीर। Photo Credit- Sora

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असम के पश्चिमी कार्बी आंगलोंग जिले में पिछले आठ दिनों से अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल लगातार जारी है। सैकड़ों युवा इस हड़ताल में भाग ले रहे हैं। विरोध-प्रदर्शन का नेतृत्व युवा नेता और सोशल एक्टिविस्ट लित्सोंग रोंगफर कर रहे हैं। इसके साथ ही इसमें कई छात्र प्रतिनिधि और सिविल सोसाइटी के लोग भी शामिल हैं। यह अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल आदिवासियों और मूल निवासियों की जमीन के लिए हो रही है। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि वे आदिवासी समुदायों के सामूहिक हित में काम कर रहे हैं।

 

इस अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल की वजह से कार्बी आंगलोंग ऑटोनॉमस काउंसिल (KAAC) पर दबाव बढ़ गया है। इस प्रदर्शन और भूख हड़ताल में आम लोगों के शामिल होने की वदज से कार्बी काउंसिल के ऊपर प्रोफेशनल ग्रेज़िग रिजर्व (PGR), विलेज ग्रेज़िग रिजर्व (VGR) के साथ में अलग-अलग सरकारी विभागों की जमीनों सहित सुरक्षित सरकारी जमीनों पर कथित गैर-कानूनी कब्जे के खिलाफ कार्रवाई करने का दबाव है। ऐसे में आइए समझते हैं कि आखिर यह पूरा मामला क्या है...

 

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लित्सोंग रोंगफर कर रहे अगुवाई

सोशल एक्टिविस्ट लित्सोंग रोंगफर इस अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल की अगुवाई कर रहे हैंहालांकि प्रदर्शन स्थल पर कोई खास संगठनों का बैनर नहीं लगाया गया है, लेकिन प्रदर्शनकारी आदिवासी जमीन के अधिकारों की रक्षा और सरकारी जमीनों पर कब्ज करने वालों को तुरंत हटाने की मांग को लेकर एकजुट हुए हैंइस भूख हड़ताल को स्थानीय निवासियों का समर्थन मिल रहा है। लोगों का यह समर्थन लगातार बढ़ता जा रहा है, जिसकी वजह से कार्बी आंगलोंग ऑटोनॉमस काउंसिल और राज्य सरकार पर भी कार्रवाई का दबाव है।

कार्बी राजा का मिला समर्थन

हड़ताल को कार्बी लोगों के राजा कार्बी कस्टमरी किंग 'हाबे' का भी समर्थन मिल गया है। कार्बी कस्टमरी किंग अपने लोगों के साथ विरोध स्थल पर शामिल होने पहुंचे। एक सांकेतिक इशारे में, उन्होंने प्रदर्शन कर रहे लोगों को पानी दिया और भावुक होकर वहां मौजूद लोगों से बात की। साथ ही उन्होंने प्रदर्शनकारी युवाओं की बिगड़ती सेहत पर चिंता जताई।

 

प्रदर्शनकारियों ने कहा है कि कार्बी आंगलोंग ऑटोनॉमस काउंसिल इससे पहले जमीनों से अतिक्रमण हटाने को कहा था, लेकिन काउंसिल ने इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट के निर्देश का हवाला देने के बावजूद अतिक्रमण नहीं हटाकर वादाखिलाफी की है।

 

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मामले का पेंच क्या है?

प्रदर्शनकारियों ने 1 अक्टूबर, 2024 को जारी एक सरकारी टेंडर नोटिफिकेशन की ओर इशारा किया है। यह टेंडर खेरोनी PGR जमीन पर RCC पिलर के साथ बाउंड्री फेंसिंग बनाने के लिए था, जिसकी अनुमानित लागत 5.31 करोड़ रुपये थी और काम पूरा होने में 180 दिन लगने थे। प्रदर्शनकारियों कहा कहना है कि पिछले साल खेरोनी चरियाली में एक बड़ी पब्लिक मीटिंग के सामने दिए गए आश्वासन के बावजूद यह प्रोजेक्ट अभी तक पूरा नहीं हो सका है।

 

यह नाराजगी KAAC के द्वारा 25 अगस्त 2025 को जारी किए गए बेदखली नोटिस को रोककर रखने के कथित फैसले से पैदा हुई है। इस नोटिस में फुलोनी रेवेन्यू सर्कल के तहत सिंचाई विभाग की जमीन से बिना इजाजत कब्जा रखने वालों को हटाने का निर्देश दिया गया था।

संवैधानिक गड़बड़ियों को लेकर आपत्ति 

प्रदर्शनकारियों ने इस प्रक्रिया में संवैधानिक गड़बड़ियों को लेकर पर गंभीर आपत्ति जताई है। उनका आरोप है कि पुर्थिमी अकेमंग स्कीम के तहत गैर-आदिवासी लोगों, जिनमें कथित तौर पर अवैध प्रवासी भी शामिल हैं, इनको भी जमीन के पट्टे जारी किए गए हैं। प्रदर्शनकारियों ने KAAC से जारी किए गए इन पट्टों को लेकर तुरंत रिव्यू करने की मांग की है। हालांकि, KAAC ने हाल ही में आदिवासी समुदायों को जमीन के पट्टे बांटे हैं।

 

भूख हड़ताल पर बैठे प्रदर्शनकारियों ने एक सामूहिक बयान जारी करके कहा, 'हम अपनी जान जोखिम में डालकर भी विरोध का यह लोकतांत्रिक तरीका अपनाने के लिए मजबूर हैं, क्योंकि इसमें हो रही लगातार देरी से हमारे भविष्य और हमारी जमीनों को खतरा है।'

प्रदर्शनकारियों के स्वास्थ्य पर असर

लगातार आठ दिन से चल रही भूख हड़ताल का असर अब प्रदर्शनकारियों पर पड़ने लगा है। इसमें शामिल कई महिला नेताओं को पेट की दिक्कतों की वजह से अस्पताल में भर्ती करवाना पड़ा है। वहीं, जो लोग भूख हड़ताल पर डटे हुए हैं उनका कहना है कि जब तक KAAC जमीनें खाली कराने के तरीकों पर साफ और समय पर भरोसा नहीं देता, तब तक वे विरोध वापस नहीं लेंगे। भूख हड़ताल की वजह से इलाके में तनाव बढ़ रहा है। किसी भी अनहोनी से निपटने के लिए सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं।

 

इन सबके बीच कार्बी आंगलोंग ऑटोनॉमस काउंसिल ने कहा है कि जमीनों पर हुए अतिक्रमण के मुद्दे को सुलझाने के लिए कड़े कदम उठाए जाएंगे

 

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