राजस्थान की राजधानी जयपुर में स्थित एक स्कूल की मान्यता रद्द कर दी गई है। यह फैसला सेंट्रल बोर्ड ऑफ सेकेंडरी एजुकेशन (CBSE) ने लिया है। स्कूल पर आरोप है कि 1 नवंबर को चौथी कक्षा की 9 साल की एक छात्रा ने आत्महत्या कर ली थी। CBSE ने 30 दिसंबर को कहा कि इस घटना से साफ होता है कि स्कूल ने जानबूझकर नियमों का उल्लंघन किया। इसी वजह से नीरजा मोदी स्कूल की मान्यता रद्द करने का निर्णय लिया गया।
बोर्ड ने इस मामले को सिस्टम की विफलता, लापरवाही और जवाबदेही की कमी का परिणाम बताया। CBSE का कहना है कि यह घटना रोकी जा सकती थी लेकिन स्कूल प्रशासन इसमें पूरी तरह नाकाम रहा।
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CBSE को जांच में क्या मिला?
CBSE ने इस मामले की जांच के लिए दो सदस्यीय टीम का गठन किया था जिसे इस मामले में जल्द रिपोर्ट देनी थी। फैक्ट-फाइंडिंग कमेटी ने स्कूल में अचानक निरीक्षण कर CCTV फुटेज की जांच की जिसमें कई गंभीर कमियां सामने आईं। स्टाफ, माता-पिता और स्कूल रिकॉर्ड की समीक्षा के बाद सामने आया कि-
- ऊपरी मंजिलों पर खुले इलाकों में कोई सेफ्टी ग्रिल या स्टील नेट नहीं थे।
- छात्रों की आवाजाही पर कोई प्रभावी CCTV निगरानी नहीं थी और फुटेज को सुरक्षित नहीं रखा गया।
- गलियारों और सीढ़ियों की निगरानी के लिए कोई स्टाफ नहीं था।
- कोई काम करने वाला काउंसलिंग सिस्टम नहीं था।
- एंटी-बुलिंग सिस्टम मौजूद नहीं थे या काम नहीं कर रहे थे।
- बुलिंग के बारे में माता-पिता की बार-बार की शिकायतों को नजरअंदाज किया गया।
- शिक्षकों, स्टाफ और छात्रों के पास ID कार्ड नहीं थे।
- फ्लोर-लेवल पर कोई सुपरविजन नहीं था जिस कारण बच्ची के चौथी मंजिल पर जाने का किसी को पता नहीं चला।
- जांच कमेटी में यह पाया कि गिरने की जगह पर खून के धब्बे वाले इलाके को लगभग तुरंत साफ कर दिया गया था। इसे CBSE ने संभावित फोरेंसिक सबूतों के साथ छेड़छाड़ बताया।
स्कूल के दावे को किया खारिज
बोर्ड ने स्कूल के दावे को खारिज कर दिया जिसमें स्कूल की तरफ से कहा गया था कि बच्चा खुश और पढ़ाई में एक्टिव था। बोर्ड ने कहा कि ऐसे तर्क सुरक्षा नियमों के पालन के मुख्य मुद्दे से जुड़े नहीं हैं।
CBSE ने कहा, 'यह साफ है कि माता-पिता के बार-बार संपर्क करने के बावजूद, स्कूल ने बिना किसी व्यवस्थित हस्तक्षेप के अपनी प्रतिक्रिया को पेरेंट-टीचर मीटिंग में बातचीत तक ही सीमित रखा।' बोर्ड ने यह भी नोट किया कि जमा किए गए दस्तावेजों से पता चलता है कि समितियां केवल कागजों पर मौजूद थीं। किसी भी तरह के बैठकों, कार्यों, या मामलों को संभालने का कोई सबूत नहीं था।
'पूरी तरह से रोकी जा सकने वाली घटना'
CBSE का सबसे कड़ा बयान जिसमें कहा, 'बुनियादी सवाल का एकमात्र जवाब यह है कि अगर जरूरी नियमों का पालन किया गया होता तो इस घटना को पूरी तरह से रोका जा सकता था।' बोर्ड ने कहा कि बच्ची के वॉशरूम जाने के बाद उसकी निगरानी न करना, देखभाल के कर्तव्य में एक गंभीर चूक थी।
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CBSE का आदेश
- सीनियर सेकेंडरी स्तर तक का एफिलिएशन तत्काल प्रभाव से वापस ले लिया गया
- क्लास X और XII के बच्चों को 2025-26 सत्र के लिए उसी स्कूल से परीक्षा देने की इजाजत
- क्लास IX और XI के बच्चों को 31 मार्च, 2026 तक पास के CBSE स्कूलों में शिफ्ट किया जाएगा
- क्लास IX और XI में कोई नया एडमिशन या प्रमोशन नहीं होगा
- स्कूल 2027-28 से एक एकेडमिक सेशन के बाद ही सेकेंडरी स्तर तक बहाली के लिए आवेदन कर सकता है।
- सीनियर सेकेंडरी एफिलिएशन के लिए दो अतिरिक्त एकेडमिक सेशन के बाद ही एप्लीकेशन किया जा सकता है
- क्लास I से VIII तक के छात्रों का भविष्य राजस्थान राज्य शिक्षा विभाग तय करेगा
यह आदेश CBSE के सक्षम अथॉरिटी की मंजूरी से जारी किया गया है और पालन के लिए स्कूल मैनेजमेंट को भेजा गया है।