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आवारा कुत्तों पर दिल्ली सरकार की नई गाइडलाइंस में क्या-क्या है?

आवारा कुत्तों को लेकर दिल्ली सरकार ने मंगलवार को गाइडलाइंस जारी कर दी हैं। इसमें साफ किया गया है कि किसी भी कुत्ते को पकड़ा नहीं जाएगा। नसबंदी और वैक्सीनेशन के बाद उन्हें छोड़ा जाएगा।

stray dogs guidelines

प्रतीकात्मक तस्वीर। (AI Generated Image)

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के लगभग महीनेभर बाद दिल्ली सरकार ने आवारा कुत्तों को लेकर नई गाइडलाइंस जारी कर दी हैं। यह गाइडलाइंस दिल्ली सरकार के शहरी विकास विभाग ने जारी की हैं। आवारा कुत्तों की आबादी और रेबीज को कंट्रोल करने के लिए यह गाइडलाइंस जारी हुई हैं। यह गाइडलाइंस दिल्ली नगर निगम (MCD), नई दिल्ली नगरपालिका परिषद (NDMC) और दिल्ली छावनी बोर्ड (DCB) के साथ साझा की गई हैं।


सरकार ने बताया कि यह गाइडलाइंस क्रूएल्टी टू एनिमल्स ऐक्ट 1960 और एनिमल बर्थ कंट्रोल रूल्स 2023 के हिसाब से तैयार की गई हैं। इसमें कहा गया है कि आवारा कुत्तों की पूरी जिम्मेदारी MCD, NDMC और DCB पर है। इन गाइडलाइंस में एनिमल वेलफेयर बोर्ड ऑफ इंडिया (AWBI) की ओर से जारी एनिमल बर्थ कंट्रोल मॉड्यूल को भी शामिल किया गया है।

 

इसमें साफ कहा गया है अधिकारी सिर्फ उन्हीं संगठनों के साथ काम कर सकते हैं, जिन्हें AWBI से मान्यता मिली होगी। एनिमल वेलफेयर ऑर्गनाइजेशन (AWO) से जुड़े वेटरनरी और पैरा-वेटरनरी स्टाफ को AWBI से ट्रेनिंग लेना जरूरी है। AWBI से सर्टिफिकेशन के बिना आवारा कुत्तों से जुड़ा कोई भी काम नहीं कर सकते।

 

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आवारा कुत्तों पर क्या हैं गाइडलाइंस?

  • हर चीज का रखना होगा रिकॉर्ड: जो भी सेंटर बनाए जाएंगे, वहां पावर बैकअप वाले ऑपरेशन थिएटर, वैन और कचरे के निपटाने के लिए सुविधाएं होनी चाहिए। हर सेंटर में CCTV होंगे, जिनका कम से कम 30 दिन का बैकअप रखना जरूरी होगा। नसबंदी, वैक्सीनेशन, खान-पान और मेडिकल केयर का सारा रिकॉर्ड रखा जाएगा। 
  • हर महीने होगी मीटिंग: गाइडलाइंस के अनुसार एक स्थानीय एनिमल बर्थ कंट्रोल (ABC) कमेटी बनेगी जो सारे कामकाज की प्रगति का आकलन करने और शिकायतों की जांच करने के लिए मंथली मीटिंग करेगी। हर महीने की रिपोर्ट कमेटी को सौंपी जाएगी। सालाना रिपोर्ट हर साल 31 मई तक AWBI तक भेजी जानी चाहिए।

  • फीडिंग पॉइंट बनाए जाएंगे: साफ कहा गया है कि किसी भी आवारा कुत्ते को न तो हटाया जाएगा और न ही मारा जाएगा। बच्चों, बुजुर्ग और लोगों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए फीडिंग पॉइंट बनाए जाएंगे। फीडिंग पॉइंट पर साफ-सफाई रखी जाएगी और बचे हुए खाने का सही निपटारा किया जाएगा। 
  • सड़क पर नहीं खिलाया जाएगा खाना: गाइडलाइंस के मुताबिक, आवारा कुत्तों को सिर्फ फीडिंग पॉइंट्स पर ही खाना खिलाया जा सकता है। दूसरी जगह खाना खिलाने पर मनाही है। अगर कोई सड़क पर आवारा कुत्तों को खाना खिलाता है तो कानूनी कार्रवाई होगी। 

  • पालतू कुत्तों का रजिस्ट्रेशन जरूरी: तीन महीने से ज्यादा की उम्र के सभी पालतू कुत्तों का रजिस्ट्रेशन करवाना जरूरी है। हर साल इसे रिन्यू करवाया जाएगा और इसे रेबीज वैक्सीनेशन रिकॉर्ड से जोड़ा जाएगा। भारतीय नस्लों के पालतू कुत्तों के रजिस्ट्रेशन पर कोई फीस नहीं लगेगी। उनकी नसबंदी और पहला वैक्सीनेशन भी फ्री होगा।
  • आक्रामक और पागल कुत्तों को पकड़ा जाए: गाइडलाइंस में कहा गया है कि आक्रामक या पागल कुत्तों को पकड़कर अलग रखा जाएगा। उनकी मौत के बाद उनके अवशेषों का वैज्ञानिक तरीके से निपटान होगा। सामान्य स्वभाव वाले कुत्तों को नसबंदी और वैक्सीनेशन के बाद वहीं छोड़ा जाएगा, जहां से पकड़ा गया था।

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सुप्रीम कोर्ट का क्या था फैसला?

सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस आर महादेवन की बेंच ने 11 अगस्त को आदेश दिया था, जिसमें दिल्ली-NCR के सभी आवारा कुत्तों को पकड़कर शेल्टर होम में डालने को कहा गया था। इसका जमकर विरोध हुआ, जिसके बाद मामला तीन जजों- जस्टिस विक्रम नाथ, जस्टिस संदीप मेहता और जस्टिस एनवी अंजारिया की बेंच के पास गया था।


जस्टिस विक्रम नाथ, जस्टिस संदीप मेहता और जस्टिस एनवी अंजारिया की बेंच ने 22 अगस्त को इस पर फैसला सुनाया था और 11 अगस्त के आदेश को बदल दिया था। कोर्ट ने अपने फैसले में साफ किया कि शेल्टर होम नहीं, बल्कि नसबंदी और वैक्सीनेशन ही सही हल है। अदालत ने कहा कि शेल्टर होम में जो कुत्ते हैं, उन्हें नसबंदी और वैक्सीनेशन के बाद छोड़ा जाएगा। हालांकि, जो कुत्ते बीमार हैं या आक्रामक हैं, उन्हें नहीं छोड़ा जाएगा।


सुप्रीम कोर्ट ने सभी वार्ड में आवारा कुत्तों के लिए फीडिंग स्पॉट बनाने का आदेश दिया था। आवारा कुत्तों को सिर्फ फीडिंग स्पॉट पर ही खाना खिलाया जा सकेगा। सड़क पर आवारा कुत्तों को खाना नहीं खिलाया जा सकता। अगर ऐसा कोई करता है तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

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