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बुजुर्ग ने बकरे की जगह खुद की दे दी कुर्बानी! सुसाइड नोट में बताई वजह

उत्तर प्रदेश के देवरिया जिले में अंधविश्वास का एक सनसनीखेज मामला सामने आया है। यहां एक शख्स ने बकरीद के मौके पर खुद की कुर्बानी दे दी।

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ईश मोहम्मद। Photo Credit- Social Media

शनिवार को देशभर में ईद-उल-अजहा का त्यौहार मनाया गया। त्याग और समर्पण के प्रतीक इस त्यौहार को लोग मना ही रहे थे कि इस बीच उत्तर प्रदेश के देवरिया जिले से एक सनसनीखेज मामला सामने आया है। जिले के गौरीबाजार थाना क्षेत्र के उधोपुर गांव में एक 60 साल के बुजुर्ग ने कुर्बानी के नाम पर खुद का गला रेत दिया। जबकि, इस्लाम धर्म में प्रतीक के रूप में बकरे या किसी जानवर की कुर्बानी दी जाती है।

 

गंभीर हालत में बुजुर्ग को गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में भर्ती करवाया गया, जहां उसकी इलाज के दौरान मौत हो गई। बुजुर्ग ने अपने पीछे एक पत्र लिखकर छोड़ा है। पत्र में उसने अल्लाह के रसूल के नाम पर कुर्बानी देने की बात कही है। जानकारी के मुताबिक बुजुर्ग का नाम ईश मोहम्मद है। ईश मोहम्मद सुबह बकायदा नमाज अदा करके लौटे थे लेकिन घर आने के बाद उन्होंने अपनी झोपड़ी में बकरा काटने के चाकू से गला रेत कर अपनी ही कुर्बानी दे दी।

 

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पत्र में क्या लिखा है?

ईश मोहम्मद ने पत्र में लिखा, 'इंसान बकरे को अपने बच्चे की तरह पाल पोस कर बड़ा कर कुर्बानी देता वह भी जीव है। कुर्बानी करना चाहिए। मैं खुद अपनी कुर्बानी अल्लाह के रसूल के नाम से कर रहा हूं। मैं खुद अपनी कुर्बानी अल्लाह के रसूल के नाम से कर रहा हूं। मेरी मिट्टी या कब्र घबरा कर मत करना, कोई मुझको कत्ल नहीं किया है। सुकुन से मिट्टी देना किसी से डरना नहीं है। मेरा कब्र बांस के पास जो खूंटा है, उसी जगह होना चाहिए। मेरा जन्म 10 जनवरी 66 सोमवार को हुआ।'

 

पुलिस का आया बयान

अब बकरीद के दिए आई यह घटना चर्चा का विषय बनी हुई है। घर और गांव में यह दर्दनाक खबर मिलते ही पुलिस का सूचना दे दी गई। इस मामले में सीओ हरिओम यादव ने बताया कि बकरीद के दिन एक व्यक्ति के खुद के गला रेतने की सूचना पर मौके पर गया था। परिजनों से बातचीत में अंधविश्वास में ऐसे कदम उठाने की आशंका जताई जा रही है। उन्होंने कहा कि फिलहाल मामले की जांच की जा रही है। 

 

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पत्नी ने क्या कहा?

वहीं, ईश मोहम्मद की पत्नी का कहना है कि ईश मोहम्मद अंबेडकर नगर के किछौछा में मखदूम बाबा की मजार पर अक्सर जाया करते थे और वह हमेशा इबादत करते थे। उन्होंने मखदूम बाबा से प्रभावित होकर अपनी कुर्बानी दी है।

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