हिमाचल प्रदेश की सरकार ने अपने मंत्रियों और सभी विधायकों को दिवाली का गिफ्ट दिया है। सभी मंत्रियों और विधायकों के वेतन-भत्तों में 24 प्रतिशत की वृद्धि की गई है। कानून विभाग ने 14 अक्टूबर को इस मामले में अधिसूचना जारी कर सभी मंत्रियों और विधायकों को यह तोहफा दिया। इससे पहले वेतन-भत्तों से जुड़े तीन बिल को राज्यपाल ने स्वीकृति दी। विधायकों के साथ पूर्व विधायक भी इस संशोधन के हकदार होंगे। रोचक बात यह है कि यह फैसला ऐसे वक्त आया है, जब हिमाचल प्रदेश लंबे समय से आर्थिक संकट से जूझ रहा है।
आपको बता दें कि हिमाचल प्रदेश सरकार पर जुलाई 2025 तक के आकड़ों के अनुसार वर्तमान में 98 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा का कर्ज है। इसमें सरकार ने करीब ढाई साल में 30 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा का कर्ज लिया है। कई बार ऐसी भी नौबत आई है कि हिमाचल प्रदेश के सरकारी कर्मचारियों की सैलरी भी रोकनी पड़ी है। इतना ही नहीं, बाढ़ और भूस्खलन के चलते भी राज्य को बहुत नुकसान हुआ है।
यह भी पढ़ें- आरजी कर केस के व्हिसलब्लोअर अख्तर अली ने छोड़ी सरकारी नौकरी, BJP में हुए शामिल
बजट सेशन के अंतिम दिन यानी 28 मार्च 2025 को विधानसभा ने मंत्रियों-विधायकों के वेतन-भत्तों में 24 % की वृद्धि से जुड़ा बिल पारित कर दिया था। 7 महीने से इन्हें वेतन भत्तों में होने वाली बढ़ोत्तरी का इंतजार था। तीन बिलों के पारित होने के बाद विधानसभा सेक्रेटेरिएट ने इसकी जानकारी दी।
कितनी होगी सैलेरी
इस बदलाव के बाद समझते हैं किसको कितना वेतन मिलेगा?
- मुख्यमंत्री को पहले 2 लाख 65 हजार मिलता था, जो अब बढ़कर 3 लाख 50 हजार हो गया।
- विधानसभा स्पीकर को पहले 2 लाख 55 हजार मिलता था, जो 3 लाख 45 हजार हो गया है।
- कैबिनेट मंत्री को 2 लाख 55 हजार मिलता था, अब 3 लाख 10 हजार हो गया।
- विधानसभा उपाध्यक्ष की सैलरी पहले 2 लाख 50 हजार थी, जो अब बढ़कर 3 लाख 40 हजार हो गई।
- विधायक को 2 लाख 10 हजार रुपये का वेतन मिलता था, जो अब बढ़कर 2 लाख 80 हजार रुपये कर दिया गया है। विधायकों की बेसिक सैलेरी इस बदलाव से पहले 55 हजार रुपये थी जो बढ़कर 70 हजार रुपये हो जाएगी।
यह भी पढ़ें- क्लासमेट से हुआ था झगड़ा, उसकी मम्मी और मेड ने की बेइज्जती तो लड़की ने दे दी जान
पूर्व विधायकों की सैलरी में भी बदलाव
अभी तक पूर्व विधायकों को 93,240 हजार रुपये पेंशन मिलते थे, जो अब बढ़कर 1 लाख 29 हजार 500 रुपये हो गई। इससे पहले जयराम सरकार ने सत्ता में रहते हुए 26 मई 2022 को यह सुविधा दी थी कि सरकार विधायकों का इनकम टैक्स (IT) नहीं चुकाएगी। इसके पहले यह प्रावधान था कि मंत्रियों और विधायकों का IT सरकार ही चुकाती थी।