महाराष्ट्र की राजनीति इन दिनों एक जज की नियुक्ति को लेकर गर्मा गई है। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम ने वकील आरती साठे को बॉम्बे हाई कोर्ट का जज बनाने की सिफारिश की थी। विपक्षी पार्टियों का आरोप है कि आरती साठे 2023 से 2024 तक भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की प्रवक्ता थीं। कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरद पवार) के नेताओं ने वकील आरती साठे की नियुक्ति को लेकर सवाल खड़े किए हैं। उनका दावा है कि कि वह महाराष्ट्र बीजेपी की प्रवक्ता रह चुकी हैं जो न्यायिक प्रणाली की निष्पक्षता को प्रभावित करेगा।
आरती साठे एक वकील परिवार से हैं। उनके पिता अरुण साठे राजनीति से जुड़े रहे हैं। आरती साठे भी एक वकील हैं और वह मुंबई बीजेपी की प्रवक्ता रही हैं। विपक्ष के आरोपों को खारिज करते हुए बीजेपी की राज्य इकाई के मुख्य प्रवक्ता केशव उपाध्याय ने कहा कि साठे ने पिछले साल पार्टी से इस्तीफा दे दिया था।
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मुंबई बीजेपी प्रवक्ता रहीं आरती
NCP (SP) के नेता रोहित पवार ने भी उनकी नियुक्ति पर सवाल खड़े किए। उन्होंने एक सोशल मीडिया अकाउंट का स्क्रीनशॉट शेयर किया जिसमें महाराष्ट्र बीजेपी के तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले ने आरती को बीजेपी प्रवक्ता के रूप में नियुक्त किए जाने संबंधित लेटर है।
उन्होंने लिखा, 'पब्लिक प्लेटफॉर्म से सत्तारूढ़ दल का पक्ष रखने वाले व्यक्ति की जज के रूप में नियुक्ति लोकतंत्र पर सबसे बड़ा हमला है। इसके भारतीय न्यायिक व्यवस्था की निष्पक्षता पर असर होगा। केवल जज बनने की योग्यता रखने के कारण राजनीतिक में एक्टिव रहे व्यक्तियों को सीधे जज नियुक्त किया जाना सही है? क्या यह न्यायपालिका को राजनीति के अखाड़े में बदलने के बराबर नहीं है?'
उन्होंने चीफ जस्टिस बीआर गवई से इस सिफारिश पर दोबारा विचार करने की अपील करते हुए लिखा, 'संविधान में शक्तियों के बंटवारे का सिद्धांत इसलिए दिया गया है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि किसी के पास अनियंत्रित शक्ति ना हो, सत्ता का केंद्रीकरण ना हो और नियंत्रण व संतुलन बना रहे। क्या किसी राजनीतिक प्रवक्ता की जज के रूप में नियुक्ति शक्तियों के बंटवारे के सिद्धांत को कमजोर नहीं करती और क्या यह संविधान का नाश करने की कोशिश नहीं है?'
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कांग्रेस ने उठाए सवाल
महाराष्ट्र कांग्रेस विधायक दल के नेता विजय वडेट्टीवार ने कहा कि अगर बीजेपी का प्रवक्ता रह चुका व्यक्ति जज बन जाता है तो क्या जनता को न्याय मिलेगा और क्या संविधान की रक्षा हो पाएगी। महाराष्ट्र कांग्रेस ने अपने एक्स अकाउंट पर पोस्ट कर लिखा, 'बेशर्मी की हद। अचानक बीजेपी प्रवक्ताओं को जज चुन लिया जा रहा है। बीजेपी ने खुलेआम लोकतंत्र का मजाक बना दिया है।'
क्या बोली बीजेपी?
बीजेपी का कहना है कि आरती साठे उनकी पार्टी से इस्तीफा दे चुकी हैं। बीजेपी प्रवक्ता केशव उपाध्याय ने कहा कि आरती साठे को बीजेपी से इस्तीफा दिए डेढ़ साल हो गए हैं। उन्होंने बताया, 'अब उनका बीजेपी से कोई संबंध नहीं है। कांग्रेस और रोहित पवार कॉलेजियम के फैसले की आलोचना कर रहे हैं।'
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इस नियुक्ति पर राज्यसभा सदस्य और तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के प्रवक्ता साकेत गोखले ने भी महाराष्ट्र बीजेपी की पूर्व प्रवक्ता को मुंबई हाई कोर्ट की जज नियुक्त किए जाने को लेकर सवाल उठाए।