JDU में फिर लौटे अरुण कुमार, तेजस्वी का समीकरण टूटेगा?
जहानाबाद के पूर्व सांसद अरुण कुमार ने बेटे ऋतुराज के साथ तीसरी बार जेडीयू में वापसी की। माना जा रहा है कि उनकी वापसी से पार्टी भूमिहार वोट बैंक को मजबूत करने की कोशिश कर रही है।

अरुण कुमार, Photo Credit- Social Media
जहानाबाद के पूर्व सांसद अरुण कुमार अपने बेटे ऋतुराज के साथ जनता दल यूनाइटेड (JDU) का दामन फिर से थाम लिया। उनकी पार्टी में वापसी तीसरी बार हुई है। पार्टी के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष संजय कुमार झा और मुंगेर सांसद ललन सिंह ने दोनों को सदस्यता दिलाई। इस घर वापसी को तेजस्वी यादव के भूमिहार नेताओं को लुभाने के जवाब में वोट बैंक को मजबूत करने की रणनीति के तौर पर देखा जा रहा है। क्या वाकई में अरुण कुमार की वापसी से जेडीयू को भूमिहार वोट को मजबूत करने में मदद मिलेगी?
अरुण कुमार की गिनती राज्य के बड़े भूमिहार नेताओं में होती है। इससे पहले भी उनकी सदस्यता को लेकर तारीख तय हुई थी पर कई नेताओं की आपत्ति के कारण कुछ समय के लिए इनकी वापसी टाल दी गई थी पर इस बार पार्टी ने सारे विरोधों को दरकिनार करते हुए उन्हें साथ लाया है। पूर्व सांसद को शामिल करना केवल पार्टी भर शामिल करने तक सीमित नहीं है, बल्कि इसके पीछे राजनीतिक संतुलन बैठाने की पूरी कोशिश भी की जाएगी।
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मगध मगही भाषा और पुराने मगध महाजनपद के लिए जाना जाता है। इसमें मुख्य रूप से पटना, गया, नालंदा, नवादा, जहानाबाद, अरवल औरंगाबाद जिले शामिल हैं।
कौन हैं अरुण कुमार?
अरुण कुमार मगध क्षेत्र की राजनीति में काफी सक्रिय रहे हैं। इस क्षेत्र में भूमिहार जाति पर इनकी पकड़ काफी मजबूत मानी जाती है। अरुण कुमार को पहले सीएम नीतीश कुमार का काफी करीबी माना जाता था। तीन बार लोकसभा का चुनाव लड़ चुके हैं। 1999 से 2004 तक जहानाबाद से JDU के सांसद रहे। 2014 से 2019 तक जहानाबाद से ही RLSP के सांसद रहे।
अरुण ने इसके बाद 2020 में यशवंत सिन्हा के साथ मिलकर राष्ट्रीय समता पार्टी (सेकुलर) पार्टी बनाई। 2021 में अपनी पार्टी का लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) में विलय किया। 2024 में पार्टी छोड़कर बहुजन समाजवादी पार्टी (BSP) से लोकसभा का चुनाव लड़ा पर वह चुनाव हार गए। जहानाबाद लोकसभा चुनाव 2024 में सुरेंद्र प्रसाद यादव (RJD) ने चुनाव जीता।
जहानाबाद लोक सभा क्षेत्र
जहानाबाद लोक सभा क्षेत्र में कुल 6 विधानसभा सीट आती हैं। इसमें अरवल, कुर्था, जहानाबाद, घोसी, मखदुमपुर और अतरी शामिल हैं। यहां 2020 के चुनाव में एनडीए को 26 में से 6 सीटें ही मिली थी। महागठबंधन ने यहां 20 सीटें जीती थी। जहानाबाद लोकसभा क्षेत्र में यादव और भूमिहार जाति के मतदाता सबसे अधिक हैं। यहां अभी तक 9 बार यादव और 5 बार भूमिहार सांसद बन चुके हैं। केवल एक बार अति पिछड़ा वर्ग को जीत मिली है।
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राहुल शर्मा बनाम अरुण कुमार
राहुल शर्मा को RJD में शामिल कराया गया। इसे देखते हुए जदयू ने अरुण कुमार को शामिल करा कर इस राजनीतिक चाल का तोड़ तैयार किया है। जहानाबाद की राजनीति हमेशा से वर्चस्व की लड़ाई का क्षेत्र रही है। यहां लंबे समय से स्थानीय जातीय प्रभावशाली नेताओं के बीच मुकाबला चलता रहता है।
मगध इलाके के दूसरे बड़े भूमिहार नेता जगदीश शर्मा के बेटे राहुल शर्मा को राजद में शामिल करा लिया गया है। राहुल इसके पहले जदयू के टिकट पर 2010 में विधायक भी रह चुके हैं। तेजस्वी यादव की कोशिश है कि इस क्षेत्र में अपनी पकड़ और मजबूत बनाए। 2024 लोकसभा चुनाव परिणाम के बाद आरजेडी आत्मविश्वास से भरी हुई है। इसलिए राहुल कुमार को पार्टी में जगह देकर एक बड़ा संदेश देने की कोशिश की है। जेडीयू भी इस बार पीछे हटने को तैयार नहीं है।
डॉ. अरुण कुमार भूमिहार समुदाय से आते हैं और लंबे समय से मगध क्षेत्र की राजनीति में सक्रिय रहे हैं। कभी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के करीबी माने जाने वाले अरुण कुमार ने 2024 लोकसभा चुनाव BSP के टिकट पर लड़ा था। उन्होंने अब एक बार फिर जदयू में वापसी की है।
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कौन किस पर भारी है?
राहुल शर्मा के पिता जगदीश शर्मा का चुनावी करियर अरुण कुमार पर भारी है। अरुण दो बार सांसद रहे है जबकि जगदीश 1977 से 2009 तक लगातार 8 बार घोसी से विधायक रहे और 2009 से लोकसभा सांसद बने। चारा घोटाले में सजा होने के बाद 2013 में जगदीश और लालू को अपनी संसद सदस्यता गंवानी पड़ी थी। 2009 में घोसी का उपचुनाव उनकी पत्नी शांति शर्मा और 2010 में चुनाव बेटे राहुल ने जीता।
जगदीश और अरुण दोनों ही नेता कई राजनीतिक पार्टियां छोड़ी और पकड़ी है। अरुण अपनी पार्टी बनाने के अलावा समता पार्टी, जेडीयू, कांग्रेस, हम, लोजपा (रामविलास) और बसपा में रह चुके हैं। जगदीश शर्मा भी जनता पार्टी, भाजपा, कांग्रेस और जेडीयू में शामिल हो चुके हैं। जगदीश शर्मा चारा घोटाला में जेल गए लेकिन कभी राजद का दामन नहीं थामा।
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