हिमाचल प्रदेश के मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना अपने एक महीने पहले किए गए कारनामें से चर्चा में आ गए हैं। दरअसल, उन्होंने होली (14 मार्च 2025) के मौके पर राज्य के आईएएस अधिकारियों और उनके परिवारों के लिए शिमला में सरकारी होटल हॉलिडे होम में लंच पार्टी का आयोजन किया था। इस लंच पार्टी में सभी अधिकारियों ने एक दूसरे से राजी-खुशी मेल-मिलाप किया। लेकिन मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना ने लंच पार्टी में खर्च हुए 1.22 लाख रुपये के बिल देने के लिए सामान्य प्रशासन विभाग (राज्य सरकार) के सचिव को भेज दिया है।
इस खर्च में इस खर्च में आईएएस अधिकारियों और उनके परिवारों के लिए 1,000 रुपये प्रति व्यक्ति की दर से 77 थाली, 22 ड्राइवरों के लिए 585 रुपये प्रति व्यक्ति की दर से खाना, 11,800 रुपये टैक्सी किराया और 22,350 रुपये टैक्स और अन्य खर्चे शामिल हैं। मामला सार्वजनिक होने के बाद से मुख्य सचिव ने इसपर कोई जवाब नहीं दिया है।
सवाल को टालते दिखे अधिकारी
यह खबर एक अंग्रेजी अखबार के जरिए बाहर आई है। सवाल है कि क्या यह पार्टी सरकार की तरफ से आधिकारिक थी या व्यक्तिगत? इस पर सामान्य प्रशासन विभाग के सचिव राजेश शर्मा ने सवाल को टालते हुए कहा कि इसका जवाब देने के लिए मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना सबसे उपयुक्त व्यक्ति होंगे। वहीं, यह पूछे जाने पर कि 1.22 लाख रुपये का बिल कौन चुकाएगा? इसपर राजेश शर्मा ने कहा, 'जाहिर है, यह पार्टी मुख्य सचिव के निर्देशों के मुताबिक ही की गई थी। आपको केवल मुख्य सचिव से पूछना चाहिए।
यह भी पढ़ें: 60 साल की उम्र में शादी करेंगे BJP नेता दिलीप घोष, दुलहन का नाम जानिए
आर्थिक मोर्चे पर मुश्किलों का सामना कर रही हिमाचल सरकार
बता दें कि हिमाचल प्रदेश सरकार इस समय आर्थिक मोर्चे पर मुश्किलों का सामना कर रही है। इसके बीच में यह खबर सामने आई है। राज्य में नौकरशाहों पर सरकारी खजाने का दुरुपयोग करने का आरोप लगने का यह कोई पहला मामला नहीं है।
पहले भी लगे हैं सरकारी पैसा खर्च करने के आरोप
इससे पहले हिमाचल के पूर्व मुख्य सचिव और रेरा के पूर्व अध्यक्ष श्रीकांत बाल्दी पर हिमाचल प्रदेश, राजस्थान और हरियाणा सहित अन्य राज्यों के सेवारत और रिटायर्ड अधिकारियों को सेब की पेटियां गिफ्ट में देने का आरोप लगा था। मुख्य सचिव के पद से रिटायर होने के बाद, श्रीकांत बाल्दी ने जनवरी 2020 से दिसंबर 2024 तक रेरा के अध्यक्ष के रूप में काम किया था।
यह भी पढ़ें: बुलढाणा में रहस्यमयी बीमारी का कहर, बालों के साथ नाखून भी हो रहे खराब
आरटीआई एक्ट के तहत मिली जानकारी के मुताबिक, श्रीकांत बाल्दी ने रेरा फंड का इस्तेमाल करके हिमाचल प्रदेश बागवानी उत्पाद विपणन एवं प्रसंस्करण निगम से 44,100 रुपये में 49 सेब की पेटियां खरीदी थीं। बाद में बाल्दी ने इसी को अधिकारियों को गिफ्ट के तौर पर बांटी थीं।
बाद में नगर एवं ग्राम नियोजन मंत्री राजेश धर्माणी ने कहा था कि उनके विभाग ने रिकॉर्ड मंगवा लिया है और उचित जांच की जाएगी। लेकिन आज तक न तो राज्य सतर्कता एवं भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो और न ही नगर एवं ग्राम नियोजन विभाग की ओर से जांच के नतीजे के बारे में कोई आधिकारिक जानकारी दी गई है।