पंजाब के होशियारपुर में 9 सितंबर को पांच साल के एक बच्चे की बेरहमी से हत्या कर दी गई थी। इस घटना के बाद कई ग्राम पंचायतों ने अपने-अपने क्षेत्रों में प्रवासी मजदूरों के दस्तावेजों का सत्यापन बंद करने का फैसला किया है। पहले पर्याप्त दस्तावेज के बिना भी ग्राम पंचायत से सत्यापन करवाकर प्रवासी मजदूर वहां काम कर सकते थे। अब कई सरपंचों ने बिना वैध दस्तावेजों वाले प्रवासी मजदूरों को अपने गांवों में रहने नहीं देने का फैसला लिया है। सरपंचों के इस फैसले पर मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा है कि ऐसा भेदभाव नहीं होना चाहिए।
9 सितंबर की शाम होशियारपुर में अपने घर के बाहर खेलते समय पांच साल के एक लड़के को किडनैप कर लिया गया था। जिसके बाद उस बच्चे की बॉडी अगले दिन शहर के पुर हिरन इलाके के एक श्मशान घाट में मिली थी। पुलिस ने इस घटना के सिलसिले में शहर की सब्जी मंडी इलाके में रहने वाले प्रवासी मजदूर मनके यादव को गिरफ्तार किया था। ऐसा बताया गया है कि मजदूर उत्तर प्रदेश का रहने वाला है।
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पुलिस ने कहा कि शराबी आरोपी ने कथित तौर पर लड़के का अपहरण किया। आरोपी ने बच्चे के साथ कुकर्म भी किया और बाद में गला घोंटकर उसकी हत्या कर दी। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में बच्चे के शरीर पर कई चोट के निशान पाए गए।
घटना से इलाके के लोगों में गुस्सा
घटना से होशियारपुर शहर और आसपास के गांवों में लोगों के बीच बहुत गुस्सा है। पीड़ित की तस्वीर और मर्डर के बारे में पता चलने के बाद से निवासियों का गुस्सा और बढ़ गया। बच्चे के परिवार वालों का वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुआ था, जिसके बाद गुस्सा और भड़क गया।
सरपंचों की बैठक
5 साल के बच्चे की मर्डर के बाद चक साधु, नंदन, सिंहपुर, बस्सी बहियां, दादा, किला बरून, इलाहाबाद, बिलासपुर और आनंदगढ़ सहित लगभग 20 गांवों के सरपंचों ने 13 सितंबर को बजवाड़ा में एक बैठक की। सरपंचों ने एक प्रस्ताव पारित किया कि पंचायतें अब उन प्रवासी मजदूरों के आधिकारिक दस्तावेजों को सत्यापित नहीं करेंगी जिनके पास पंजाब से आए वैध पहचान पत्र नहीं हैं। उन्होंने यह भी निर्णय लिया कि बिना सही दस्तावेजों वाले प्रवासियों को उनके संबंधित गांवों में रहने की अनुमति नहीं दी जाएगी। सरपंचों ने होशियारपुर की उपायुक्त आशिका जैन को एक अनुरोध-पत्र भी सौंपा, जिसमें जिला प्रशासन से पूरा सहयोग मांगा गया है।
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सरपंच राजेश कुमार ने बताया
बजवाड़ा के सरपंच राजेश कुमार ने कहा कि बिना वैध पहचान पत्रों वाले प्रवासियों को गांवों को खाली करने के लिए कहा गया है। उन्होंने कहा, 'जो लोग लंबे समय से यहां रह रहे हैं और जिनके पास पहले से ही आधार या पैन जैसे दस्तावेज हैं, उन्हें स्पष्ट रूप से बता दिया गया है कि अगर उनका कोई रिश्तेदार बाहर से आता है, तो पंचायत उनके दस्तावेजों का सत्यापन नहीं करेगी।' सरपंच ने आगे कहा कि किराए पर रहने वाले प्रवासी मजदूर ऐसा तभी कर सकते हैं जब उनके मकान मालिक उनकी पूरी जिम्मेदारी लें और पंचायत को एक लिखित वचन दें।
राजेश ने दावा किया कि अभी फिलहाल में बजवाड़ा में 200-250 प्रवासी मजदूर रहते हैं, जिनमें से कई ने कथित तौर पर पंचायत की जमीन पर अतिक्रमण कर लिया है और बिजली के मीटर और पानी के कनेक्शन सहित पक्के घर बना लिए हैं। उन्होंने आरोप लगाया, 'वे पंचायत को किराया नहीं देते और सार्वजनिक जमीन पर अवैध रूप से कब्जा कर चुके हैं।' उन्होंने आगे कहा कि इस संबंध में 8 सितंबर को ही उपायुक्त को एक शिकायत दी जा चुकी है। राजेश ने बताया कि टांडा उप-मंडल के जाजा और जहूरा गांवों से भी इसी तरह के प्रस्ताव आने की सूचना मिली है।
मुख्यमंत्री भगवंत मान ने चंडीगढ़ में ग्राम पंचायतों द्वारा प्रवासियों के प्रति अपनाए गए रुख पर पत्रकारों के सवालों का जवाब देते हुए कहा कि ऐसे मजदूरों के साथ कोई भेदभाव नहीं होना चाहिए। उदाहरण के लिए, छत्तीसगढ़ के रायपुर में पंजाबियों के व्यवसाय का हवाला देते हुए, मान ने कहा, 'कल उन्हें भी बाहर भेजा जा सकता है। ऐसा भेदभाव नहीं हो सकता।'