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19KM दूर के अस्पताल क्यों ले जाया गया? BMW कांड पर उठे सवाल

दिल्ली में रविवार को वित्त मंत्रालय के अधिकारी नवजोत सिंह की सड़क हादसे में मौत पर अब सवाल उठने लगे हैं। उनके परिवार ने कई सवाल उठाए हैं।

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दुर्घटना में मारे गए नवजोत सिंह। (Photo Credit: PTI)

राजधानी दिल्ली में रविवार को बीएमडब्ल्यू कार की बाइक से टक्कर में मारे गए वित्त मंत्रालय के अधिकारी नवजोत सिंह के मामले में अब सवाल उठने लगे हैं। नवजोत की पत्नी ने सवाल उठाया है कि अगर उनके पति को पास के अस्पताल में ले जाया जाता तो उन्हें बचाया जा सकता था। 


वहीं, दिल्ली की कोर्ट ने बीएमडब्ल्यू चला रही आरोपी महिला गगनप्रीत को दो दिन की ज्यूडिशियल कस्टडी में भेज दिया है। गगनप्रीत कौर को सोमवार को उनके घर से ही मजिस्ट्रेट आकांक्षा सिंह के सामने पेश किया गया। गगनप्रीत के वकील विकास पहवा ने बताया कि मजिस्ट्रेट ने यह कहते हुए उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया कि पुलिस कस्टडी में लेकर उनसे पूछताछ करने की जरूरत नहीं है।


आरोपी महिला गगनप्रीत ने जमानत की अर्जी भी दाखिल कर दी है। इस पर जज ने दिल्ली पुलिस और पीड़ित परिवार को नोटिस जारी किया है और 17 सितंबर तक जवाब मांगा है।

 

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अब तक क्या-क्या पता है?

  • क्या हुआ था: रविवार दोपहर 1:30 बजे करीब दुर्घटना हुई। वित्त मंत्रालय में डिप्टी सेक्रेटरी नवजोत सिंह अपनी पत्नी संदीप कौर के साथ गुरुद्वारे से लौट रहे थे। तभी पीछे से बीएमडब्ल्यू कार ने उन्हें टक्कर मार दी। यह दुर्घटना दिल्ली कैंट मेट्रो स्टेशन के पास रिंग रोड पर हुई थी।
  • बीएमडब्ल्यू कौन चला रहा था: बीएमडब्लूय गगनप्रीत कौर चला रही थीं। दुर्घटना के वक्त उनके साथ उनके पति परिक्षित मक्कर, दो बच्चे और मेड भी थी। इस दुर्घटना में गगनप्रीत और उनके पति को भी चोटें आई थीं।
  • दुर्घटना के बाद क्या: इस टक्कर में नवजोत सिंह को गंभीर चोटें आईं। उनकी पत्नी संदीप कौर भी कई जगह चोटें आईं। दोनों को जीटीबी नगर के अस्पताल में ले जाया गया। अस्पताल में डॉक्टरों ने नवजोत सिंह को मृत घोषित कर दिया।
  • FIR दर्ज, आरोपी कस्टडी में: गगनप्रीत के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 281 (लापरवाही से गाड़ी चलाना), 125B (दूसरों की जान खतरे में डालना), 105 (गैर-इरादतन हत्या) और 238 (सबूत मिटाना) के तहत FIR दर्ज हुई है। गगनप्रीत को दो दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया है।

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...तो बच सकती थी नवजोत की जान?

नवजोत सिंह वित्त मंत्रालय में डिप्टी सेक्रेटरी थे और दिल्ली के हरि नगर इलाके में रहते थे। उनकी पत्नी संदीप कौर का कहना है कि अगर उन्हें पास के अस्पताल में ले जाया जाता तो उनकी जान बचाई जा सकती थी।


नवजोत सिंह की पत्नी संदीप कौर ने कहा, 'जब हम दिल्ली कैंट मेट्रो स्टेशन के पास पहुंचे तो एक नीले रंग की बीएमडब्ल्यू कार हाई स्पीड में पीछे से आई और टक्कर मार दी। मेरे पति सड़क पर गिर गए और उन्हें गंभीर चोटें आईं। उनके सिर, मुंह और पैरों में कई फ्रैक्चर हो गए। मेरे सिर और पैरों में भी चोटें आईं और कुछ देर बाद मैं भी बेहोश हो गई।'


इस दुर्घटना के बाद जो कुछ हुआ, उस पर सवाल भी उठ रहे हैं। संदीप कौर का कहना है कि गंभीर हालात के बावजूद 20 किलोमीटर दूर अस्पताल ले जाया गया। उन्होंने कहा कि अगर पास के अस्पताल ले जाया जाता तो जान बच सकती थी। FIR के मुताबिक, उन्होंने कहा, 'मैं उनसे लगातार नजदीकी अस्पताल ले जाने की विनती कर रही थी, क्योंकि मेरे पति बेहोश थे और उन्हें तुरंत इलाज की जरूरत थी। इसके बजाय वह महिला हमें जीटीबी नगर के एक छोटे से अस्पताल ले गई।'


न्यूज एजेंसी PTI के मुताबिक, नवजोत सिंह और उनकी पत्नी को आरोपी महिला जीटीबी नगर स्थित न्यूलाइफ अस्पताल ले गई थी, जो उसके ही किसी रिश्तेदार का है। जहां दुर्घटना हुई थी, उस जगह से यह अस्पताल लगभग 19-20 किलोमीटर दूर है। नवजोत के परिवार ने आरोप लगा कि डॉक्टरों ने कहा कि जब उन्हें अस्पताल लाया गया, उससे पहले ही उनकी मौत हो गई थी।

 

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नवजोत के परिवार वालों ने क्या कहा?

नवजोत सिंह के परिवार वालों ने गंभीर आरोप लगाए हैं। नवजोत सिंह के बेटे ने PTI से कहा, 'जब यह हादसा हुई तब उनके माता-पिता धौला कुआं होते हुए हरि नगर जा रहे थे। उन्हें नजदीकी अस्पताल ले जाने के बजाय लगभग 22 किलोमीटर दूर के अस्पताल ले जाया गया।' उन्होंने बताया कि उनके माता-पिता बंगला साहिब गुरुद्वारे से लौट रहे थे।


उन्होंने अस्पताल पर लापरवाही का आरोप भी लगाया। बेटे ने दावा किया कि गंभीर हालत के बावजूद उनकी मां को अस्पताल की लॉबी में बैठाए रखा, जबकि बीएमडब्ल्यू चला रही महिला के पति को तुरंत भर्ती कर लिया गया, जबकि उन्हें मामूली चोटें आई थीं। उन्होंने कहा, 'इस लापरवाही और देरी के कारण मेरे पिता की मौत हो गई और मेरी मां दर्द से चीखती रहीं।'


नवजोत की एक रिश्तेदार ने कहा, 'अगर उन्हें एम्स, राम मनोहर लोहिया या आर्मी हॉस्पिटल ले जाया गया होता तो शायद उनकी जान बच सकती थी।'


हालांकि, न्यूलाइफ अस्पताल का कहना है कि लापरवाही के आरोपों को खारिज किया है। अस्पताल ने कहा, 'अस्पताल लाते ही उन्हें मृत घोषित कर दिया गया था। उनकी पत्नी को कई चोटें आई थीं और उनका इलाज किया गया। पुलिस को जानकारी दी। परिवार के अनुरोध पर उन्हें दूसरे अस्पताल रेफर करने की अनुमति दी।'

 

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आरोपी महिला गगनप्रीत। (Photo Credit: PTI)

इतनी दूर अस्पताल क्यों ले जाया गया?

एक सीनियर पुलिस अफसर ने जब आरोपी महिला गगनप्रीत से पूछा कि इतनी दूर के अस्पताल क्यों ले जाया गया? तो उसने कहा कि वह घबरा गई थी और उसे उसी अस्पताल के बारे में पता था, क्योंकि कोविड के दौरान उसके बच्चों का इलाज वहीं हुआ था।


गगनप्रीत के वकील विकास पहवा ने कहा कि उनके मुवक्किल को इस बात का अंदाजा भी नहीं था कि इससे किसी की मौत हो जाएगी। उन्होंने दावा किया कि पीड़ितों को जरूरी इलाज देने की पूरी कोशिश की गई।


उन्होंने कहा, 'गगनप्रीत खुद सदमे में थी और उसे सोचा कि वह उस अस्पता में घायलों का बेहतर इलाज करवा पाएगी। चूंकि वह खुद घायल थी, इसलिए यह तर्क कि उसने किसी खास मकसद से ऐसा किया, पूरी तरह से बेतुका और निराधार है।'


फिलहाल, न्यूज एजेंसी PTI ने पुलिस सूत्रों के हवाले बताया है कि पुलिस को शक है कि आरोपी महिला की मेडिकल रिपोर्ट से छेड़छाड़ हो सकती है। पुलिस ने केस दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।

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