4 दिनों से डिजिटल अरेस्ट थी बुजुर्ग महिला, बैंक ने बचा लिए 1.5 करोड़, कैसे समझिए
साइबर ठग महिला का फिक्स डिपॉजिट को तुड़वाकर 1 करोड़ से ज्यादा रुपये की रकम निकलवाने की फिराक में थे। पुलिस को यह जानकारी मिली। फिर क्या हुआ, पढ़ें रिपोर्ट।

प्रतीकात्मक तस्वीर। Photo Credit: Sora
क्या हो अगर आपके पास एक फोन कॉल आए और कहा जाए कि आप डिजिटल अरेस्ट हो गए हैं, अगर आपने कोई भी बात किसी से शेयर की तो गिरफ्तार कर लिया जाएगा। आपके खिलाफ पुलिस के पास पुख्ता सबूत हैं, जिनके आधार पर आपका पूरा परिवार जेल में जा सकता है। आम आदमी गिरफ्तारी से बचने के लिए कुछ भी कर गुजरने को तैयार हो जाता है। साइबर ठगों का मन यहीं से बढ़ता है और वे लाखों की ठगी करने से नहीं हिचकते हैं। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में रहने वाली एक 75 साल की बुजुर्ग महिला के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ है।
विकास नगर में 75 साल की उषा शुक्ला के पति का निधन हो चुका है। वह अपने परिवार के साथ वहीं रहती हैं। हिंदुस्तान टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक उनका बैंक खाता, पड़ोस के ही पंजाब नेशनल बैंक की एक शाखा में था। वह एक 1.21 करोड़ रुपये की फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) को समय से पहले तुड़वाने बैंक पहुंची थीं। रकम ज्यादा होने के की वजह से बैंक कर्मचारियों को शक हुआ और मामला शाखा प्रबंधक तक पहुंच गया।
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पुलिस और बैंक ने कैसे रोकी साइबर ठगी?
लखनऊ के विकास नगर में पुलिस ने समय रहते बड़ी साइबर ठगी को रोक दिया। साइबर ठगों ने 75 साल की बुजुर्ग महिला को चार दिन तक 'डिजिटल अरेस्ट' में रखकर ₹1.5 करोड़ रुपये की ठगी की साजिश रची थी। पुलिस और बैंक कर्मचारियों की सतर्कता से महिला की पूरी जमा राशि सुरक्षित बचा ली गई।
ठगों ने कैसे किया डिजिटल अरेस्ट?
11 दिसंबर को उषा शुक्ला को वॉट्सऐप वीडियो कॉल आई। कॉल करने वालों ने खुद को CBI अधिकारी बताया। उन्होंने कहा कि उनके दिवंगत पति के मोबाइल नंबर और आधार कार्ड का इस्तेमाल दिल्ली और कश्मीर में आतंकी फंडिंग के एक बड़े मामले में हुआ है। ठगों ने डर दिखाया कि मामला करीब ₹50 करोड़ का है और वह जांच के दायरे में हैं।
साइबर ठग चार दिन तक ठग लगातार वीडियो कॉल के जरिए महिला पर नजर रखते रहे। उन्हें घर से बाहर निकलने और किसी से बात करने पर पाबंदी लगा दी। ठगों ने कहा कि निर्देशों को माना जाए। ठगों ने वर्दी में एक फर्जी पुलिस अधिकारी को दिखाया और डर दिखाया कि बात असली लगे। ठगों ने कहा कि अगर किसी से कुछ बताया तो पूरा परिवार जेल पहुंच जाएगा। डर की वजह से महिला ने आधार, बैंक डिटेल और अन्य जरूरी दस्तावेज ठगों को दे दिए।
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14 दिसंबर को महिला के पास उन्होंने फोन किया। साइबर ठगों ने महिला को निर्देश दिया कि फिक्स डिपॉजिट तुड़वाए। उन्होंने महिला से कहा था कि जब FD तोड़ ली जाए तो सारा पैसा एक सेविंग अकाउंट में डालकर RTGS के जरिए बताए गए खातों में भेज दिए जाएं। बैंक अधिकारियों को यही बात खटक गई कि महिला को एकमुश्त इतने पैसों की जरूरत क्यों पड़ रही है।
बैंक और पुलिस ने मिलकर रोकी ठगी?
15 दिसंबर की सुबह जब महिला बैंक पहुंची और FD तुड़वाने की बात कही तो बैंक मैनेजर को शक हुआ। उन्होंने महिला को बातों में उलझाए रखा। छानबीन की और तुरंत विकास नगर पुलिस को सूचना दी। दूसरे बैंक खातों को भी फ्रीज कराया गया। पुलिस ने भी पूछताछ की तो पता चला कि इलाके में एक बुजुर्ग महिला साइबर ठगों के दबाव में है। सूचना मिलते ही पुलिस महिला के घर पहुंची। उस वक्त भी ठग वीडियो कॉल पर महिला को धमका रहे थे।
1.5 करोड़ रुपये की ठगी होने से रुक गई
पुलिस ने तुरंत बैंक और साइबर सेल को कॉल किया। सारे बैंक खातों को फ्रीज कर दिया गया। महिला की गाढ़ी कमाई के 1.21 करोड़ की FD टूटने से बच गई। खाते की दूसरी रकम भी सूझबूझ से बचा ली गई।शशांक सिंह, डीसीपी (ईस्ट) ने कहा कि महिला को लगातार वॉट्सऐप वीडियो कॉल और फोन कॉल आ रहे थे। महिला को यह लगा कि स्क्रीन पर दिख रहे लोग असली अधिकारी हैं। बैंकों की मदद से सभी खातों को फ्रीज कर दिया गया। उषा शुक्ला के पति, पब्लिक वर्क डिपार्टमेंट में काम करते थे। करीब 8 साल पहले उनकी मौत हो गई थी। एक बेटे की मौत हो गई है, वहीं दूसरा बेटा प्राइवेट बैंक में काम करता है। जब असली पुलिस ने कहा कि वे साइबर ठगी का शिकार हुईं हैं, उन्हें साइबर ठगों ने निशाने पर लिया था, तब उन्हें पहले यकीन ही नहीं हुआ। काफी देर बाद वह समझ पाईं कि साइबर ठग उनसे लूट करने की फिराक में हैं।
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डिजिटल अरेस्ट से बचने के लिए क्या करें?
साइबर एक्सपर्ट एडवोकेट शुभम गुप्ता ने कहा, 'किसी भी संदिग्ध नंबर से अगर आपको फोन कॉल आ रहा तो उसे रिसीव न करें। कभी भी पुलिस, आपके बैंक खातों का विवरण नहीं पूछती है, न ही आपका ओटीपी पूछती है। पुलिस दबाव भी नहीं देती है। फोन पर कोई भी किसी तरह की लेनदेन नहीं करती है।'
डिजिटल अरेस्ट क्या है?
शुभम गुप्ता, एडवोकेट, सुप्रीम कोर्ट:-
कानून में 'डिजिटल अरेस्ट' जैसी कोई चीज नहीं है। कोई भी पुलिस-खुफिया और प्रवर्तन विभाग ऐसी गिरफ्तारी नहीं करती है। सरकारी एजेंसियां कभी फोन पर पैसे नहीं मांगतीं। ऐसी कॉल पर घबराएं नहीं, इसे वेरिफाई करें और तत्काल साइबर हेल्पलाइन नंबर 1930 पर रिपोर्ट दर्ज कराएं।
शुभम गुप्ता ने कहा, 'डिजिटल अरेस्ट में साइबर ठग खुद को पुलिस, CBI, ED या NIA का अधिकारी बताकर फोन या वीडियो कॉल करते हैं। ठग बताते हैं कि आप पर मनी लॉन्ड्रिंग, ड्रग्स पार्सल या अवैध गतिविधि में संलिप्त होने के आरोप हैं। कहते हैं कि आप डिजिटल अरेस्ट हो गए हैं। साइबर ठगों का निर्देश होता है कि घर में ही रहें, वीडियो पर नजरें टिकाए रखें। वे जुर्माना और जमानत के नाम पर पैसे ट्रांसफर करने का दबाव बनाते हैं। इन बातों से घबराएं नहीं, ये साइबर ठग हैं और आपको लूटने की फिराक में हैं।'
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