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धार्मिक पर्यटन के लिए मशहूर मथुरा, 'जामताड़ा' की तरह बदनाम क्यों हुआ?

मथुरा कई गांवों में साइबर ठगों ने ठिकाना बना लिया है। युवाओं ने साइब क्राइम की दुनिया में कदम रखा है। ऐसा क्यों हुआ है, पूरी कहानी समझते हैं।

Mathura

मथुरा में साइबर अपराध के बढ़े मामले। (Photo Credit: Sora)

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मथुरा, भगवान कृष्ण की जन्मस्थली है। दुनियाभर में अध्यात्म और धार्मिक पर्यटन में रुचि रखने वाले लोग मथुरा आते हैं। तीर्थयात्रियों की आमद से हमेशा गुलजार रहने वाली मथुरा नगरी, इन दिनों झारखंड के जामताड़ा शहर की तरह बदनाम हो रही है। मथुरा के गोवर्धन थाना इलाके में बसा छोटा सा गांव देवसेरस, साइबर ठगों के लिए सुरक्षित ठिकाना बन गया है। जिस मथुरा की ख्याति मीठी ब्रज बोली और धार्मिक संस्कृति के लिए थी, अब वहां पुलिस संदिग्धों की तलाश कर रही है। 

देवसेरस गांव की आबादी मुश्किल से 10 हजार होगी, साक्षरता दर भी बेहद कम है लेकिन इस गांव में साइबर ठगों की फौज बैठी है। पुलिस ने 37 से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार किया है, 120 से ज्यादा लोग संदिग्ध हैं। साइबर ठगी का खेल यहां 10 साल से चल रहा है, अब तक करोड़ों रुपयों की ठगी यहां के ठग कर चुके हैं। 

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कौने से गांव पुलिस के निशाने पर हैं?

पुलिस की कई टीमें देवसेरस और मुडेरा गांव में छापेमारी कर रहीं हैं, कई कथित साइबर ठगों की गिरफ्तारी भी हुई है। पुलिस का कहना है कि साइबर ठग हर दिन नए तरीके का इस्तेमाल कर रहे हैं, लोग इनके झांसे में आ रहे हैं। ओटीपी फ्रॉड और लिंक भेजकर फ्रॉड करने वाले तरीकों से पहले लोग उगाही करते थे, अब दिनदहाड़े ठगी करने लगे हैं। 

कैसे फल-फूल रहा ठगी का धंधा?

द टेलीग्राफ की एक रिपोर्ट के मुताबिक साइबर ठग अब खुद को पत्रकार बताकर घरों और दफ्तरों में घुस रहे हैं, वहां वीडियो बनाते हैं। दावा करते हैं कि घर बिना परमिशन के बना है। अगर दफ्तर है तो वहां काम करने की इजाजत नहीं दी जा सकती, सुरक्षा मानकों का ख्याल नहीं रखा गया है, मानक व्यवस्था नहीं है। अपना नंबर देकर वीडियो सोशल मीडिया पर डाल देते हैं।

पीड़ित घबरा जाते हैं और वीडियो हटवाने के लिए फोन करते हैं। यहीं से ब्लैकमेलिंग का खेल शुरू होता है। अपराधी कहते हैं कि अगर वीडियो हटाया तो नुकसान होगा, इसलिए पैसे दे दो। साइबर ठग, ठग बनने की ट्रेनिंग भी देते हैं। गांव के कई अपराधी कस्बों और शहरों में भाग गए हैं। 

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ठगी का रहा है पुराना इतिहास

मथुरा में एक जमाने में 'टटलू गैंग' का भी सिक्का चलता था। यह गैंग, पीतल को सोना बताकर ठगी करता था। अब भी छुटपुट ऐसी घटनाएं होती हैं। ठगों के निशाने पर आम ग्रामीण, सरकारी टीचर, अधिकारी होते हैं। उनके दफ्तरों में अनियमितताओं को लेकर धमकी देते हैं और पैसे वसूलते हैं। कुछ लोगों को पुराने तरीके से भी ठगा जाता है। ओटीपी फ्रॉड, फिशिंग, फोन टेंपरिंग जैसे मामले भी सामने आए हैं। 

अचानक क्यों शुरू हुई है छापेमारी?

गोवर्धन पुलिस स्टेशन के अधिकारियों का कहना है कि यहां नियमित रेड चलती है। एक शादी में कुछ साइबर ठगों ने गांव में दस्तक दी थी। पुलिस को पता चला तो पुलिस ने रेड डाल दी। पहले पुलिस ने 10 से ज्यादा लोगों को पकड़ा, फिर 30 से ज्यादा लोगों को हिरासत में लिया। कुछ ठगों के खिलाफ पक्के सबूत मिले हैं। मथुरा ग्रामीण के एसपी सुरेश चंद्र रावत ने कहा है कि गांव पर नजर रखी जा रही थी और छापेमारी जारी रहेगी। यह गांव अब 'मिनी जामताड़ा' कहलाने लगा है।

कैसे साइबर ठगी से निपटेगी पुलिस?

मथुरा में पुलिस ने कई टीमें गठित की हैं। 300 से ज्यादा पुलिसकर्मी देवसरस, मुरसेरस,दौलतपुर और नगला कटिया में नाकाबंदी कर रहे हैं। सर्च ऑपरेशन चलाया जा रहा है, कई संदिग्धों को हिरासत में लिया गया था। कई आपत्तिजनक सामग्रियों को बरामद किया गया है। 

 

 


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