उत्तर प्रदेश के कानपुर में 'आई लव मुहम्मद' वाले बोर्ड पर बवाल मचा हुआ है। मामले में 24 मुस्लिम युवकों के खिलाफ FIR दर्ज हो चुकी है। इस पर बरेली स्थित दरगाह आला हजरत ने आपत्ति जताई और FIR दर्ज किए जाने का विरोध किया है। दरगाह आला हजरत के संगठन जमात रजा-ए-मुस्तफा के राष्ट्रीय महासचिव फरमान हसन खान ने FIR दर्ज किए जाने को मौलिक अधिकारों का खुला उल्लंघन बताया है।
दरअसल, कुछ दिन पहले कानपुर के रावतपुर स्थित सैयद नगर में 'आई लव मुहम्मद' का बोर्ड लगा था। यह बोर्ड रामनवमी शोभायात्रा गेट के सामने एक ट्रैक्टर पर लगा था। इससे सांप्रदायिक तनाव फैल गया था। दोनों पक्ष आमने-सामने आ गए थे।
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क्या है पूरा मामला?
पुलिस ने बताया था कि यह बोर्ड सैयद नगर में जफर वाली गली में लगा था। इससे यहां सांप्रदायिक तनाव बढ़ गया था। हिंदू समुदाय की शिकायत पर इस मामले में FIR दर्ज की गई थी। यह घटना 4 सितंबर की है।
पुलिस के मुताबिक, अगले दिन 5 सितंबर को कुछ मुस्लिम युवकों ने हिंदुओं के बोर्ड को कथित तौर पर नुकसान पहुंचाने की कोशिश की थी। 4 और 5 सितंबर की घटनाओं को लेकर 10 तारीख को पुलिस ने 24 लोगों के खिलाफ FIR दर्ज की थी। इसमें 9 नामजद और 16 अज्ञात हैं।
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दरगाह ने FIR पर जताई आपत्ति
इस मामले में बरेली की दरगाह आला हजरत से जुड़े जमात रजा-ए-मुस्तफा के महासचिव फरमान हसन ने आपत्ति जताई है। उनका कहना है कि 'आई लव मुहम्मद' लिखना अपराध नहीं है। उन्होंने FIR दर्ज किए जाने को संविधान का उल्लंघन बताया है।
उन्होंने कहा कि अनुच्छेद 19 अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार देता है, अनुच्छेद 25 हर व्यक्ति को अपने धर्म का पालन और प्रचार करने की आजादी देता है और अनुच्छेद 21 व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार देता है। ऐसे में कार्रवाई करना असंवैधानिक है। उन्होंने मांग की है कि मुस्लिम युवकों के खिलाफ दर्ज केस को तुरंत वापस लिया जाए।