logo

ट्रेंडिंग:

कर्नाटक: ट्रांसपोर्ट कर्मचारियों की हड़ताल से लोग बेहाल, क्या है मांग?

कर्नाटक में राज्य सरकार के ट्रांसपोर्ट कर्मचारियों ने अनिश्चितकाल के लिए हड़ताल शुरू कर दी है। हड़ताल की वजह से पब्लिक ट्रांसपोर्ट की स्थिति बुरी तरह बिगड़ गई है।

Karnatk Bus Stand

कर्नाटक बस स्टैंड, Photo Credit: PTI

कर्नाटक में 5 अगस्त 2025 से पब्लिक ट्रांसपोर्ट की स्थिति बिगड़ गई है। राज्य सरकार के अंतर्गत आने वाले रोड ट्रांसपोर्ट कर्मचारियों ने अनिश्चितकाल के लिए हड़ताल शुरू कर दी है। इसका सबसे ज्यादा असर बेंगलुरु, मैसूर समेत अन्य बड़े शहरों की बस सेवाओं पर पड़ा है। यह हड़ताल राज्य सरकार की परिवहन कंपनियों (जैसे KSRTC) के कर्मचारियों ने बुलाई है। हड़ताल की वजह से राज्यभर में बस सेवाएं ठप हो गई हैं। बस सेवा ठप होने से यात्रियों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।

 

परिवहन कर्मचारियों ने दो बड़ी मांगों को लेकर यह हड़ताल शुरू की है। उनका कहना है कि 38 महीनों से बकाया वेतन का भुगतान किया जाए, जिसकी कुल राशि 1,785 करोड़ रुपये है। साथ ही कर्मचारियों ने 1 जनवरी 2024 से 25% वेतन बढ़ोतरी लागू करने की मांग की है।

 

सरकार ने दिया था ऑफर

सरकार ने कर्मचारियों को 718 करोड़ रुपये देने का प्रस्ताव दिया था, जिससे केवल 14 महीनों की बकाया सैलरी दी जा सकती थी लेकिन कर्मचारी यूनियन ने इसे ठुकरा दिया। रिपोर्ट्स के मुताबिक, यूनियन का कहना है कि 25% वेतन वृद्धि 2027 तक लागू रहनी चाहिए।

 

यह भी पढ़ेंः हथियार तस्करी में पंजाब का रिटायर आर्मी जवान गिरफ्तार, जांच तेज

 

मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने कहा कि कर्मचारियों की सारी मांगें पूरी करना संभव नहीं है क्योंकि ट्रांसपोर्ट विभाग पहले से ही 4,000 करोड़ के कर्ज में डूबा है। सरकार ने पहले ही मार्च 2023 में 15% वेतन बढ़ाया था।

कौन-कौन हड़ताल में शामिल है?

इस हड़ताल में कर्नाटक स्टेट रोड ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन (KSRTC) और अन्य सरकारी परिवहन संस्थाओं के ड्राइवर, कंडक्टर और अन्य स्टाफ शामिल हैं। हालांकि, कर्नाटक हाईकोर्ट ने हड़ताल पर रोक लगाने का आदेश दिया था। इसके बावजूद कर्मचारी हड़ताल पर चले गए।

 

हड़ताल का क्या असर पड़ा?

हड़ताल के बाद से राज्य में बस सेवाएं ठप हो गई हैं। खासकर बेंगलुरु जैसे शहरों में लोग बसों का इंतजार करते रहे लेकिन अधिकतर बसें डिपो में ही खड़ी रहीं। कुछ कर्मचारी हड़ताल में शामिल नहीं हुए, ऐसे में कुछ बसें सड़कों पर चल रही हैं। बच्चों को स्कूल ले जाने के लिए ग्रामीण इलाकों में कुछ ड्राइवर काम कर रहे हैं। राज्य सरकार ने ट्रैनी ड्राइवरों को अस्थायी रूप से बसें चलाने की जिम्मेदारी दी हैं जिससे कुछ हद तक लोगों की परेशानियां कम हो सके।

 

यह भी पढ़ें: सड़क के गड्ढे में गद्दा-तकिया लेकर लेट गया कानपुर का यह मजबूर पिता

 

 

बेंगलुरु, मैसूर, हुबली, धारवाड़, चिकमगलूर, रायचूर, बेलगावी, मंगलुरु, शिवमोग्गा, तुमकुर, हासन, मडिकेरी, और कलबुर्गी जैसे शहरों में बस अड्डों पर लोग बड़ी संख्या में बसों का इंतजार करते नजर आ रहे हैं। इससे यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि इन शहरों में हड़ताल का काफी ज्यादा असर पड़ा है। स्थानीय लोगों ने बताया कि उन्हें एक जगह से दूसरी जगह जाने के लिए प्राइवेट बस, टैक्सी और ऑटो का सहारा लेना पड़ रहा है। कुछ यात्रियों ने बताया कि हड़ताल का फायदा उठाकर ऑटो वाले बहुत ज्यादा किराया वसूल कर रहे हैं।

 

सरकार ने आईटी कंपनियों को सलाह दी है कि वे कर्मचारियों को वर्क फ्रॉम होम की अनुमति दें जिससे सड़क पर भीड़ कम हो और लोगों को परेशानी न हो।

कोर्ट का निर्देश क्या है?

कर्नाटक हाईकोर्ट ने 4 अगस्त को एक अंतरिम आदेश जारी किया जिसमें कहा गया कि हड़ताल को 5 अगस्त तक के लिए टाल दिया जाए जिससे सरकार और यूनियनों के बीच बातचीत पूरी हो सके। कोर्ट ने कहा कि अगर पब्लिक ट्रांसपोर्ट पूरी तरह बंद हो गया तो जनता को बहुत कठिनाई होगी। इसलिए अगली सुनवाई तक हड़ताल को स्थगित किया जाए। उसके बावजूद भी कर्मचारी हड़ताल पर चले गए।

Related Topic:#State News#karnataka

शेयर करें

संबंधित खबरें

Reporter

और पढ़ें

design

हमारे बारे में

श्रेणियाँ

Copyright ©️ TIF MULTIMEDIA PRIVATE LIMITED | All Rights Reserved | Developed By TIF Technologies

CONTACT US | PRIVACY POLICY | TERMS OF USE | Sitemap