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आरक्षण पर ऐसा क्या किया जिससे मुस्लिमों के निशाने पर आ गईं ममता बनर्जी?

ममता बनर्जी की सरकार ने हाल ही में OBC की नई लिस्ट जारी की है। इससे कई मुस्लिम उप-जातियों को बाहर कर दिया गया है। इसका राज्य में जमकर विरोध हो रहा है।

mamata banerjee

प्रतीकात्मक तस्वीर। (AI Generated Image)

पश्चिम बंगाल की तृणमूल कांग्रेस वाली ममता बनर्जी की सरकार इन दिनों मुस्लिमों के जबरदस्त विरोध का सामना कर रही है। हाल ही में ममता सरकार ने OBC लिस्ट में बदलाव किया है, जिससे कई मुस्लिम जातियां बाहर हो गईं हैं। इसे लेकर मुस्लिम संगठन सड़कों पर उतर आए हैं। मुस्लिम संगठनों का दावा है कि OBC लिस्ट में बदलाव के बाद कई पिछड़ी मुस्लिम जातियां बाहर हो गईं हैं। उनका यह भी दावा है कि लिस्ट में कई हिंदू जातियों को शामिल कर लिया गया है। इस कारण मुस्लिम आरक्षण से वंचित हो गए हैं।


ममता सरकार के इस फैसले का जबरदस्त विरोध हो रहा है। पिछले महीने हजारों मुसलमानों ने मुर्शिदाबाद में सरकार के खिलाफ विरोध मार्च निकाला था। प्रदर्शनकारियों का आरोप है कि इस साल जून में एक सर्वे हुआ था, जिसके बाद नई OBC लिस्ट आई। नई लिस्ट में कई मुस्लिम जातियों को बाहर कर दिया गया।


यह सब हो रहा है, जब कुछ ही महीनों में पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। चुनाव से कुछ महीनों पहले मुसलमानों के विरोध ने ममता सरकार को हिलाकर रख दिया है।

 

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क्या है यह पूरा मामला?

सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) को आरक्षण के लिए ममता सरकार की अपनी OBC लिस्ट है। 


लिस्ट को दो कैटेगरी में बांटा गया है। पहला- OBC A और दूसरा- OBC B। OBC A में 10% तो OBC B में 7% कोटा मिलता है। इन दोनों लिस्ट में राज्य की लगभग 80% मुस्लिम आबादी को शामिल किया गया था, जिन्हें आरक्षण मिलता था।


अब तक OBC A में 72 मुस्लिम और 8 गैर-मुस्लिम जातियां शामिल थीं। वहीं, OBC B में 35 मुस्लिम और 14 गैर-मुस्लिम जातियां थीं।


इस साल मई और जून में सर्वे हुआ था। इसके बाद OBC की नई लिस्ट आई। इसके बाद OBC A में 40 मुस्लिम और 51 गैर-मुस्लिम जातियों को शामिल किया गया। वहीं, OBC B में 41 मुस्लिम और 50 गैर-मुस्लिम जातियों को डाला गया।

तो इससे दिक्कत क्या है?

मुस्लिम संगठनों का आरोप है कि कई सारी मुस्लिम जातियों को 10% वाले से हटाकर 7% में डाल दिया गया है। इससे उनका कोटा कम हो गया है।


इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, प्रोग्रेसिव इंटेलेक्चुअल ऑफ बंगाल के अध्यक्ष मनाजात बिस्वास का कहना है कि 'मुस्लिमों की 37 जातियों को हटा दिया गया है, जिनमें से 16 OBC A और 21 OBC B में थीं। इनमें से कई जातियां अति-पिछड़ी हैं। मुस्लिमों की 34 और गैर-मुस्लिमों की 7 उपजातियों को OBC A से OBC B में डाल दिया गया है।'


उन्होंने कहा, 'शहरशाबादिया, खोट्टा, मलिक और राजमिस्त्री जैसी मुस्लिमों की उप-जातियों को OBC A से हटाकर OBC B में रख दिया गया है। वहीं, बड़ी आबादी वाली गैर-मुस्लिम उप-जातियों को OBC B से निकालकर OBC A में डाल दिया गया है।' उन्होंने आरोप लगाया कि मुस्लिमों के माझी समुदाय को हटा दिया गया है, जबकि गैर-मुस्लिमों के माझी समुदाय को OBC B से निकालकर OBC A में कर दिया गया है।

 

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इसका असर क्या पड़ा?

इसका असर यह हो रहा है कि अब तक जिन मुस्लिम जातियों को 10% आरक्षण मिलता था, उन्हें अब OBC B में डालने से कोटा 7% हो गया है। 


प्रदर्शनकारियों का दावा है कि सरकार के इस फैसले से हजारों मुस्लिम युवा कॉलेजों और यूनिवर्सिटीज में एडमिशन से वंचित हो गए हैं। 


प्रदर्शन कर रहे लोगों का कहना है कि अगर इस समस्या का सही से समाधान नहीं किया गया तो इसका असर स्कूल सर्विस कमीशन की भर्ती प्रक्रिया पर पड़ेगा। सुप्रीम कोर्ट ने इस भर्ती प्रक्रिया को 31 दिसंबर तक पूरा करने का आदेश दिया है। 


वहीं, प्रदर्शनकारियों ने इस बीच मांग की है कि सरकार को OBC कोटा बढ़ाकर 25% कर देना चाहिए, ताकि पिछड़ी मुस्लिम जातियों को आरक्षण मिल सके।

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