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आंबेडकर को बताया 'गंदा आदमी', वायरल क्यों हो गए वकील अनिल मिश्रा?

मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के वकील अनिल मिश्रा ने डॉ. आंबेडकर को लेकर विवादित टिप्पणियां की थीं, जिस पर बवाल हो गया है। उनके खिलाफ FIR भी दर्ज हो गई है। पूरा मामला क्या है? समझते हैं।

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प्रतीकात्मक तस्वीर। (Photo Credit: Social Media/AI Generated Image)

अदालतों में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है। पहले सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस बीआर गवई पर राकेश किशोर नाम के एक वकील ने जूता फेंकने की कोशिश की। और अब मध्य प्रदेश के ग्वालियर में भी एक वकील की डॉ. भीमराव आंबेडकर पर की गई टिप्पणी पर हंगामा बरपा हुआ है। दिलचस्प बात यह है कि टिप्पणी करने पर वकील के खिलाफ केस भी दर्ज किया गया है लेकिन जब वह अपनी गिरफ्तारी देने पहुंचे तो पुलिस ने उन्हें लौटा दिया। इस पूरे मामले के केंद्र में जो हैं, वह सीनियर एडवोकेट हैं और उनका नाम अनिल मिश्रा है। अनिल मिश्रा ग्वालियर बार एसोसिएशन के अध्यक्ष भी रह चुके हैं।


यह सारा मामला इस साल फरवरी में ग्वालियर की कोर्ट में डॉ. आंबेडकर की मूर्ति लगाने से शुरू हुआ था। मगर इसका विरोध होने लगा। अनिल मिश्रा ने कुछ वकीलों के साथ मिलकर इसका विरोध किया। अब हाल ही में उन्होंने डॉ. आंबेडकर को लेकर ऐसी टिप्पणी की, जिस पर विवाद हो गया। उनके खिलाफ ग्वालियर में FIR भी दर्ज की गई है।


मामला सामने आने के बाद दो धड़े बंट चुके हैं। एक धड़ा अनिल मिश्रा का विरोध कर रहा है। उनके खिलाफ नारेबाजी भी हो रही है। तो एक धड़ा ऐसा भी है जो खुलकर उनके पक्ष में आकर खड़ा हो गया है। यह धड़ा उनका विरोध करने वालों को धमका भी रहा है। क्या है यह मामला? कैसे शुरू हुआ? समझते हैं।

 

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मूर्ति लगाने का प्रस्ताव और विरोध

मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की ग्वालियर बेंच में इस साल फरवरी में एक प्रस्ताव आया, जिसमें परिसर में डॉ. आंबेडकर की मूर्ति लगाने की मांग की गई थी। हाई कोर्ट ने इसे मंजूरी दे दी। मूर्ति के लिए 2 लाख रुपये PWD को दे भी दिए गए। 


यह मूर्ति 17 मई को लगाई जानी थी। हालांकि, इसका विरोध शुरू हो गया। इसी बीच वकीलों के एक समूह ने यहां तिरंगा फहराया। कुछ महिला वकीलों ने नीली साड़ी पहनकर इसका विरोध किया। इसका एक वीडियो भी वायरल हुआ था, जिसमें कुछ वकील तिरंगा फहराते हुए 'भारत माता की जय' के नारे लगा रहे थे।


मूर्ति लगाने के पक्ष में वकीलों ने तर्क दिया कि 'न्याय के मंदिर में अगर डॉ. आंबेडकर की मूर्ति नहीं लगाई जाएगी तो किसकी लगेगी?' 

 


वहीं, इस मूर्ति का विरोध करने वालों का दावा था कि जिस जगह पर मूर्ति लगाई जानी है, वह जगह तिरंगे के लिए है। विरोध करने वाले वकीलों में अनिल मिश्रा भी शामिल हैं। अनिल मिश्रा का कहना था, 'आंबेडकर की मूर्ति क्यों लगाई जाए? क्या यह निजी संपत्ति है? मुझे इजाजत दीजिए, मैं भी 90 प्रतिशत वकीलों को लाऊंगा और भगवान राम की मूर्ति लगवाऊंगा।' उन्होंने यह भी दावा किया था कि अदालत ने कभी आंबेडकर की मूर्ति लगाने की इजाजत नहीं दी थी।

 

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अब अनिल मिश्रा ने क्या कहा?

एडवोकेट अनिल मिश्रा आए दिन कथित तौर पर डॉ. आंबेडकर को लेकर ऐसी टिप्पणियां करते रहे हैं, जिन पर विवाद होता रहा है। अभी उनकी जिस टिप्पणी को लेकर विवाद हो रहा है, वह उन्होंने 5 अक्टूबर को की थी। उनका यह वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया।


इस वीडियो में कथित तौर पर अनिल मिश्रा ने डॉ. आंबेडकर को 'गंदा और झूठा व्यक्ति' कहा था। उन्होंने कथित तौर पर यह भी कहा कि आंबेडकर अंग्रेजों के गुलाम थे और अंग्रेजों के एजेंट थे।

 


वीडियो पर FIR दर्ज होने के बाद उन्होंने X पर पोस्ट करते हुए लिखा, 'इस FIR की उम्मीद तो थी ही लेकिन मैं साफ कर दूं कि मैं डरा हुआ नहीं हूं। मैं अपने हर शब्द पर कायम हूं। मुझे निशाना बनाकर उन्होंने आंबेडकरवादी अतिवाद के आतंक के खिलाफ सवर्णों की एकता को ही न्योता दिया ह। मैं अपने अधिकारों के लिए लड़ता रहूंगा। हर अंजाम भुगने को तैयार हूं, चाहे वे 100 और FIR ही क्यों न दर्ज कर लें।'

 


इतना ही नहीं, जब उनका यह वीडियो वायरल हुआ और FIR दर्ज हुई तो उन्होंने 7 अक्टूबर को सफाई देते हुए कहा कि अगर किसी व्यक्ति का अपमान करना गलत है तो भगवान का अपमान करना अक्षम्य है। उन्होंने मीडिया से बात करते हुए कहा, 'अगर अनिल मिश्रा किसी व्यक्ति का अपमान करने के दोषी हैं तो चीफ जस्टिस बीआर गवई भगवान विष्णु का अपमान करने के कहीं ज्यादा दोषी हैं। या तो दोनों सही हैं या दोनों गलत। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर चुनिंदा नैतिकता नहीं हो सकती।'


अनिल मिश्रा ने X पर एक और पोस्ट की जिसमें उन्होंने दावा किया कि डॉ. आंबेडकर का आजादी की लड़ाई से कुछ लेना-देना नहीं था। 

 


उन्होंने लिखा, 'मुझे आज भी याद है कि भगत सिंह ने मुकदमा क्यों चुना। वह जानते थे कि यह भारत पर ब्रिटिश शोषण का पर्दाफाश करने का एक मंच था। अब मेरे खिलाफ दर्ज यह FIR एक सुनहरा मौका है। यह मुझे अदालत में यह साबित करने का मौका देता है कि डॉ. आंबेडकर का आजादी की लड़ाई से कोई लेना-देना नहीं था। वह अंग्रेजी शासन के प्रतिनिधि रहे और हमेशा उनका समर्थन करते रहे।'


उन्होंने दावा करते हुए कहा कि 1947 के बाद राजनीति ने वोटों के लिए उन्हें देवता बना दिया। उन्होंने कहा कि वह अदालत में सबकुछ साबित कर देंगे।

 

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थाने पहुंचे लेकिन पुलिस ने लौटा दिया

डॉ. आंबेडकर के खिलाफ कथित टिप्पणी के मामले में ग्वालियर में उनके खिलाफ 6 अक्टूबर को FIR दर्ज की गई। मंगलवार यानी 7 अक्टूबर को अनिल मिश्रा थाने में खुद गिरफ्तारी देने पहुंचे। हालांकि, पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार नहीं किया।


पुलिस थाने के बाहर मीडिया से बात करते हुए अनिल मिश्रा ने कहा, '4-5 महीने से हम देख रहे हैं कि लगातार देवी-देवताओं को गाली दी जा रही है। धर्म परिवर्तन किए जा रहे हैं। सवर्णों को रात-दिन गाली दी जा रही है। हमने एक व्यक्ति को गंदा कह दिया। मुझे बोलने का अधिकार है। मैं प्रधानमंत्री को गंदा और बुरा व्यक्ति कह सकता हूं, क्योंकि यह मेरा अधिकार है। इस आधार पर कोई FIR हुई है, जहां मैंने कोई अपराध नहीं किया तो मैं पुलिस को यह सुविधा देता हूं कि मुझे गिरफ्तार करें और जेल भेज दें।'


उन्होंने आगे कहा, 'संविधान का निर्माण बीएन राव ने किया, न कि आंबेडकर जी ने। वह तो संविधान को जलाना चाहते थे। उन्होंने खुद कहा था कि मैं इस संविधान से सहमत नहीं हूं।'

 


डॉ. आंबेडकर को अंग्रेजों का गुलाम बताने वाली बात पर भी अनिल मिश्रा कायम रहे। उन्होंने कहा, 'अंग्रेजों की गुलामी की उन्होंने, अंग्रेजों के एजेंट रहे और भारत की स्वतंत्रता में बाधा पैदा की।' 


इस बीच अनिल मिश्रा को कथित तौर पर धमकियां भी मिल रही हैं। कुछ संगठनों ने उनके घर पर एक लाख जूते फेंकने की बात कही है। इस पर उन्होंने कहा, 'हमने उनसे कहा है कि एक लाख नहीं, दस लाख लेकर आएं, हम उनका स्वागत कर रहे हैं। वे 15 तारीख को आ जाएं। मैं उनको चैलेंज करता हूं।' 


उन्होंने कहा कि जब सवर्णों को, सनातन को, देवी-देवताओं को गालियां दी जाती हैं, तब माहौल खराब नहीं होता। उन्होंने यह भी कहा कि 'आंबेडकर इस लायक नहीं है कि मैं उनके बारे में बात कहूं।' 

 

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अनिल मिश्रा को लेकर आर-पार की लड़ाई

डॉ. आंबेडकर को लेकर अनिल मिश्रा जिस तरह की विवादित टिप्पणियां कर रहे हैं, उससे अब आर-पार की लड़ाई भी शुरू हो गई है। भीम आर्मी जैसे दलित संगठन इसका पुरजोर विरोध कर रहे हैं। वहीं, कुछ संगठन ऐसे हैं, जो भीम आर्मी को चुनौती दे रहे हैं।


भीम आर्मी के प्रदेश अध्यक्ष सुनील बैरसिया ने कहा कि 'बाबा साहब की अपमान के सम्मान मनुवादी वकील अनिल मिश्रा ने पूरे देश और संविधान का अपमान किया है।' उन्होंने कहा कि 15 अक्टूबर को 1 लाख नहीं, बल्कि 10 लाख जूते ग्वालियर लेकर जाएंगे। 

 


वहीं, परशुराम सेना खुलकर अनिल मिश्रा के समर्थन में खड़ी हो गई है। परशुराम सेना के जिला अध्यक्ष देवेश शर्मा ने कहा, 'जो लोग जूते की माला पहनाने की बात कर रहे हैं, उनमें दम है तो 15 अक्टूबर को ग्वालियर आकर दिखाएं। परशुराम सेना सबको सबक सिखाएगी।'

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