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गांव में घुसे बाघ ने मचाया तांडव, कई घायल, 8 घंटे तक बेहाल रहा वन विभाग

मध्य प्रदेश के बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के पास एक गांव में बाघ के घुसने से अफरा-तफरी मच गई। सूचना मिलने पर वन विभाग ने करीब 8 घंटे के रेस्क्यू ऑपरेशन के बाद बाघ को सुरक्षित पकड़ लिया।

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प्रतीकात्मक तस्वीर, Photo Credit- Social Media

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मध्य प्रदेश के बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व (BTR) के पास स्थित एक गांव में सोमवार (29 दिसंबर) को उस समय अफरा-तफरी मच गई, जब एक बाघ गांव में घुस आया। बताया जा रहा है कि बाघ खेतों के रास्ते गांव में पहुंचा और वहां एक लड़के पर हमला कर दिया। बाघ के डर से लोग अपने-अपने घरों की छतों पर चढ़ गए। घटना की सूचना मिलते ही वन विभाग को बताया गया, जिसके बाद करीब 8 घंटे तक रेस्क्यू ऑपरेशन चला। आखिरकार बाघ को सुरक्षित पकड़ लिया गया।

 

गांव वालों के मुताबिक, सुबह करीब 10 बजे बाघ को खेतों में देखा गया था। करीब आधे घंटे बाद वन विभाग को इसकी सूचना दी गई। दोपहर करीब 12 बजे बाघ खेतों से निकलकर सीधे गांव की ओर आ गया। लड़के पर हमला करने के बाद वह एक घर में घुस गया।

 

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बाघ का आतंक

ग्रामीणों ने बताया कि बाघ ने गोपाल कोल नाम के युवक पर हमला किया। हमले के बाद वह जमीन पर गिर पड़ा और उसके पैर में गंभीर चोटें आईं। पहले उसे बरही अस्पताल ले जाया गया, जहां से बेहतर इलाज के लिए कटनी रेफर कर दिया गया। इस दौरान BTR के अधिकारी भी उसके साथ मौजूद थे। गोपाल पर हमला करने के बाद बाघ दुर्गा प्रसाद द्विवेदी के घर में घुस गया, जिससे पूरे गांव में दहशत फैल गई। डर के कारण लोग अपने घरों की छतों पर चले गए।

 

बताया गया कि यह बाघ पनपथा बफर जोन से निकलकर फसलों की मेड़ के किनारे चलता हुआ गांव तक पहुंचा था। ग्रामीणों ने तुरंत वन अधिकारियों को इसकी जानकारी दी। गांव वालों ने बताया कि इस इलाके में अक्सर जंगली जानवर दिखाई देते हैं, जिन्हें वे लाठियों की मदद से भगा देते हैं। इस बार भी उन्होंने यही कोशिश की लेकिन बाघ ने पलटवार कर दिया और गोपाल पर हमला कर दिया।

8 घंटे का रेस्क्यू ऑपरेशन

सूचना मिलते ही पनपथा बफर जोन से रेस्क्यू टीम मौके पर पहुंची। बाघ को बेहोश करने और सुरक्षित पकड़ने में करीब आठ घंटे का समय लगा। शाम के समय उसे रेस्क्यू कर लिया गया। अधिकारियों ने बताया कि पनपथा जैसे बफर इलाकों में बाघों का घूमना आम बात है।

 

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BTR के डिप्टी डायरेक्टर पीके वर्मा ने बताया कि हाल ही में इस क्षेत्र के पास एक बाघिन भी देखी गई थी। गांव वालों की भीड़ देखकर बाघ घबरा गया और गांव की ओर भाग गया। सूचना मिलते ही रेस्क्यू टीम, पशु चिकित्सक और रेस्क्यू गाड़ी को तुरंत भेजा गया और बाघ को सुरक्षित पकड़कर जंगल में छोड़ दिया गया।

बाघों की मौत चिंता का विषय

यह इस इलाके में ऐसी पहली घटना नहीं है। इससे पहले चिलहारी गांव के गडरिया हार क्षेत्र में एक बाघिन देखी गई थी, जिसे 26 दिसंबर को रेस्क्यू कर माधव टाइगर रिजर्व भेजा गया था। मध्य प्रदेश को भारत का टाइगर स्टेट कहा जाता है लेकिन यहां बढ़ते मानव-वन्यजीव संघर्ष और बाघों की मौतें चिंता का कारण बनी हुई हैं।

 

साल 2025 में अब तक प्रदेश में 55 बाघों की मौत हो चुकी है, जो प्रोजेक्ट टाइगर शुरू होने के बाद एक साल में सबसे ज्यादा है। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, इनमें से 11 मौतें अप्राकृतिक मानी गई हैं, जिनमें से करीब 8 मौतें बिजली के झटके या शिकार से जुड़ी घटनाओं के कारण हुई हैं।


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