मथुरा में शनिवार को नौहझील थाना क्षेत्र के खाजपुर गांव में पुलिस ने एक बड़ी कार्रवाई करते हुए 90 बांग्लादेशी नागरिकों को हिरासत में लिया। इनमें 35 पुरुष, 27 महिलाएं और 28 बच्चे शामिल हैं। ये लोग अवैध रूप से भारत में रह रहे थे और स्थानीय ईंट भट्टों पर मजदूरी कर रहे थे। पुलिस को सूचना मिली थी कि ये बांग्लादेशी नागरिक फर्जी भारतीय दस्तावेजों का उपयोग कर रहे थे।
एसएसपी मथुरा श्लोक कुमार के अनुसार, हिरासत में लिए गए लोगों ने पूछताछ में बताया कि वे लगभग 4 महीने पहले मथुरा आए थे और इससे पहले अन्य राज्यों में रह रहे थे। उनके पास से कोई वैध दस्तावेज नहीं मिले और जांच में पुष्टि हुई कि वे बांग्लादेश से अवैध रूप से सीमा पार करके भारत आए थे। इस समय पुलिस और खुफिया एजेंसियां इनसे पूछताछ कर रही हैं और इनके दस्तावेजों की जांच की जा रही है।
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अवैध अप्रवासियों के खिलाफ अभियान
बता दें कि यह यह कार्रवाई पहलगाम आतंकी हमले के बाद केंद्र सरकार के निर्देश पर अवैध अप्रवासियों के खिलाफ चलाए जा रहे अभियान का हिस्सा है। गुजरात में भी हाल ही में सूरत और अहमदाबाद में हजारों बांग्लादेशी नागरिकों को हिरासत में लिया गया था।
फर्जी दस्तावेजों से भारत में करते एंट्री
फर्जी दस्तावेजों के जरिए बांग्लादेशी नागरिकों का भारत में घुसना एक गंभीर मुद्दा बना हुआ है। हाल के वर्षों में, भारतीय अधिकारियों ने कई मामलों में बांग्लादेशी नागरिकों को फर्जी दस्तावेजों, जैसे आधार कार्ड, पासपोर्ट, वोटर आईडी और जन्म प्रमाणपत्र का उपयोग करते हुए पकड़ा है।
मथुरा से पहले गुजरात एटीएस ने मोहम्मद ददल आलम उर्फ राणा सरकार को गिरफ्तार किया, जो 2012 में पश्चिम बंगाल के रास्ते अवैध रूप से भारत में घुसा था। उसने अन्य बांग्लादेशियों के लिए फर्जी आधार, पैन कार्ड, और पासपोर्ट बनवाए। पुलिस ने उसके ठिकाने से 300 से अधिक फर्जी दस्तावेज और 22 नकली स्टांप बरामद किए।
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हरियाणा के हांसी में 39 बांग्लादेशी नागरिक (14 पुरुष, 11 महिलाएं, 14 बच्चे) बिना वैध दस्तावेजों के ईंट-भट्ठे पर काम करते पकड़े गए। ये लोग अवैध रूप से सीमा पार कर भारत में घुसे थे। इसके अलावा उत्तर प्रदेश के कानपुर में यूपी एटीएस ने आठ बांग्लादेशी नागरिकों को फर्जी दस्तावेजों के साथ पकड़ा, जो दिल्ली के रास्ते दुबई जाने की फिराक में थे। गिरोह का सरगना महफूज उर रहमान कोलकाता से गिरफ्तार हुआ, जो 2010 में अवैध रूप से भारत आया था।