मध्य प्रदेश के इंदौर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत पहुंचे। यहां उन्होंने कहा कि निजी हितों ने दुनिया में संघर्षों को जन्म दिया है। सभी समस्याएं भी इसी से पैदा हुईं। भारत आज विकास के पथ पर आगे बढ़ रहा है। सबकी भविष्यवाणियों को गलत साबित कर रहा है। भारत जब 3,000 वर्षों तक विश्वगुरु रहा, तब कोई वैश्विक संघर्ष नहीं हुआ। उन्होंने आगे कहा कि हम सभी जीवन के नाटक में अभिनेता हैं और हमें अपनी भूमिकाएं निभानी हैं। नाटक के खत्म होने पर हमारा असली स्वरूप सामने आता है।
भागवत ने कहा कि दुनिया श्रद्धा और विश्वास पर चलती है। भारत श्रद्धा की भूमि है, यहां कर्मठ और तर्कशील लोग रहते हैं। हमारे यहां जो श्रद्धा है, वह ठोस श्रद्धा है। कही-सुनी में आई हुई कोई काल्पनिक श्रद्धा नहीं है। यह प्रत्यक्ष के आधार पर बनी हुई श्रद्धा है। हमारे यहां जो कोई प्रयास करेगा, वह देख सकेगा।
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भारत में श्रद्धा के प्रत्यक्ष प्रमाण
मोहन भागवत ने आगे कहा कि आप सुनते हैं कि वैज्ञानिक बुद्धि से चलो। वैज्ञानिक बुद्धि है क्या? उसे प्रत्यक्ष प्रमाण चाहिए, लेकिन आज वैज्ञानिक कहने वाले लोगों के पास प्रत्यक्ष प्रमाण होगा, ऐसा नहीं है। मगर हमारे भारत की जो श्रद्धा है, उस श्रद्धा के लिए प्रत्यक्ष प्रमाण हैं। प्रत्यक्ष प्रमाण को आपके साथ साझा करने वाले लोग हैं। अगर आपको प्रत्यक्ष प्रमाण लेना है तो प्रयास और प्रयोग आपको करना पड़ेगा। इसलिए श्रद्धा और विश्वास की भावनाओं को हमारे यहां भवानी और शंकर का साकार रूप दिया गया है।
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संघ प्रमुख का कहना है कि भगवान अपने अंदर है। अपने इतने निकट है, लेकिन बड़े-बड़े सिद्ध महात्मा भी बिना श्रद्धा और विश्वास के उनके दर्शन नहीं कर पाते हैं। यह श्रद्धा कहां से आई? मनुष्य केवल वही मानता है जो वह देख सकता है, जो दिखाई नहीं देता, उसका अस्तित्व नहीं है। यही मानव स्वभाव है।