पिछले महीने मंदसौर जिले के मलहारगढ़ थाने को देश का नौवां सर्वश्रेष्ठ थाना चुना गया। विभाग के आला अधिकारियों ने थाने की तारीफ की। मगर अब इसी थाने का एक बड़ा कांड पकड़ा गया। 18 साल के एक युवक को इसी थाने की पुलिस ने 29 अगस्त को गिरफ्तार किया। बैग से 2.714 किलो ग्राम अफीम की बरामदगी दिखाई। इसकी कीमत 5.42 लाख रुपये आंकी। तुरंत मामला दर्जकर सलाखों के पीछे पहुंचा दिया। मगर युवक ने पुलिस कार्रवाई के खिलाफ हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
पुलिस ने अपनी कहानी में बताया कि युवक को बांदा खाल चौराहा के पास एक मैदान से पकड़ा गया। मगर भला हो सीसीटीवी का। उसने पुलिसिया कहानी की पूरी पोल खोलकर रख दी। सीसीटीवी फुटेज में साफ दिख रहा है कि पुलिसवाले युवक को जबरन एक बस से उतारते हैं। युवक के वकील हिमांशु ठाकुर ने कोर्ट में दावा किया कि पुलिस ने फर्जी तरीके से उनके मुवक्किल को फंसाया है।
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हाई कोर्ट से मिली युवक को जमानत
युवक राजस्थान का रहने वाला है। इस मामले में उसे करीब तीन महीने जेल में बिताने पड़े। 5 दिसंबर को हुई सुनवाई में अदालत ने अभियोजन पक्ष के मामले में खामी पाई। इसके बाद युवक को जमानत दे दी। हाई कोर्ट ने कहा कि मेरी राय में मलहारगढ़ थाने का पूरा पुलिस बल संलिप्त है। कोर्ट ने 29 अगस्त 2025 के सभी सीसीटीवी फुटेज को सुरक्षित रखने का निर्देश दिया।
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इन अधिकारियों पर गिरी गाज
मंदसौर के एसपी विनोद मीणा ने हाई कोर्ट को बताया कि जांच अधिकारी ने गंभीर चूक की है। एनडीपीएस अधिनियम के तहत अनिवार्य प्रक्रिया का पालन नहीं किया। इन्हीं खामियों को देखते हुए छह पुलिस अधिकारियों को निलंबित किया गया है। थाना प्रभारी राजेंद्र पवार, सब-इंस्पेक्टर साजिद मंसूरी, संजय प्रताप सिंह, सिपाही नरेंद्र, जितेंद्र और दिलीप जाट पर गाज गिराई गई है।