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25 फीसदी न्यूनतम बैलेंस, 12 महीने की वेटिंग, EPFO के नए नियम क्या हैं?

सेंट्रल बोर्ड ऑफ ट्रस्टी की बैठक में EPFO से जुड़े कई नियमों में बदलाव करने का फैसला लिया गया है। अब कुछ शर्तों के साथ पीएफ अकाउंट से 100 प्रतिशत तक पैसा निकलवाया जा सकेगा।

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मनसुख मंडाविया, Photo Credit: PTI

कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) ने अपने नियमों में बदलाव का ऐलान किया है। EPFO ने सदस्यों को अब अपने पीएफ खाते से 100 प्रतिशत तक पैसा निकालने की इजाजत दे दी है लेकिन इस पर कुछ शर्तें भी लगा दी हैं। नए नियमों के अनुसार, आप अपने पीएफ अकाउंट से 75 प्रतिशत तक पैसा निकलवा सकते हैं। अकाउंट में 25 प्रतिशत न्यूनतम बैलेंस रखना जरूरी होगा। नौकरी छूटने के बाद पूरा पैसा निकलवाने की समय सीमा भी दो महीने से बढ़ाकर 12 महीने कर दी गई है। 


श्रम मंत्री मनसुख मांडविया की अध्यक्षता में EPFO से जुड़े फैसले लेने वाले सेंट्रल बोर्ड ऑफ ट्रस्टी ने कई अहम फैसले लिए। श्रम और रोजगार मंत्रालय की प्रेस रिलीज के मुताबिक, सेंट्रल बोर्ड ऑफ ट्रस्टी पीएफ खाते से पैसे निकालने के 13 अलग-अलग कैटेगरी को मिलाकर, इसे तीन कैटेगरी में बांट दिया है। इनमें आवश्यक जरूरतें जैसे बीमारी, एजुकेशन, शादी शामिल हैं। इसके अलावा घर संबंधी जरूरतें और विशेष परिस्थितियां भी शामिल हैं। 

 

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इन नियमों में बदलाव

  • अब सदस्य अपने अकाउंट में जमा राशि का 75 प्रतिशत निकाल सकते हैं और 25 प्रतिशत राशि को न्यूनतम बैलेंस के रूप में खाते में बनाए रखना होगा। इसका मतलब है कि खात में कम से कम 25 प्रतिशत बैलेंस रहना चाहिए।
  • पहले अकाउंट से पैसा निकलने के लिए कुछ खास वजहों जैसे, पढ़ाई, घर खरीदना, शादी या बीमारी का होनो जरूरी था। इसकी कुल 13 कैटेगरी थी, जिन्हें अब कम करके 3 कर दिया गया है। अब आवश्यक जरूरतें, घर संबंधी जररूरतें और विशेष परिस्थितियों में अकाउंट से पैसा निकलवाया जा सकता है।  
  • पुराने नियमों के अनुसार, पीएफ अकाउंट से अधिकतम दो से तीन बार ही पैसा निकलवाया जा सकता था लेकिन अब इसकी संख्या भी बढ़ा दी गई है। अब एजुकेशन के लिए 10 बार और शादी के लिए 5 बार पैसा निकलवाया जा सकेगा 
  • पहले अकाउंट से पैसा निकलवाने के कारण को डॉक्यूमेंट के साथ सही साबित करना होता था लेकिन अब ऐसा करने की जरूरत नहीं है। अब आप खुद इस बात की घोषणा कर सकते हैं कि आपको पैसा किस कारण से चाहिए यानी अब आपको मेडिकल सर्टिफिकेट या फिर एडमिशन सर्टिफिकेट की जरूरत नहीं है।
  • फाइनल सेटेलमेंट के नियमों में भी बदलाव किया गया है। पुराने नियमों के अनुसार, बेरोजगारी से दो महीने बाद पूरा फाइनल सेटलमेंट हो जाता था लेकिन अब पीएफ के लिए 12 महीने और पेंशन के लिए 36 महीने का समय निर्धारित किया गया है।
  • पहले ऑटो क्लेम सेटलमेंट की सीमा एक लाख रुपये तय थी लेकिन अब इस सीमा को बढ़ाकर 5 लाख कर दिया गया है। साथ ही वेरिफिकेशन के लिए पहले आधार ओटीपी की जरूरत पड़ती थी लेकिन अब फेस ऑथेंटिकेशन जरूरी होगा।
  • पहले रिटायर्मेंट के दो महीने बाद पेंशन की निकासी की जा सकती थी लेकिन अब इसके लिए 36 महीने तक इंतजार करना होगा।
  • प्रोफाइल अपडेट करने के लिए पहले मैनुअल सिग्नेचर की जरूरत होती थी लेकिन अब आधा रऔर उमंग ऐप से डिजिटल अपडेट किया जा सकेगा। 

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क्यों बदले गए नियम?

EPFO के आंकड़ों के अनुसार, करीब 50 प्रतिशत कर्मचारियों के पास फाइनल सेटलमेंट के समय 20,000 रुपये से भी कम रकम बचती है, क्योंकि वे नौकरी बदलते ही पीएफ का पैसा निकाल लेते हैं।  इसके अलावा, 75 प्रतिशत पेंशन क्लेम सिर्फ चार साल के अंदर ही किए जाते हैं, जिससे आगे के लिए बचत नहीं हो पाती। यही कारण है कि EPFO ने नियमों को बदला है ताकि लोगों की सर्विस लगातार बनी रहे, रिटायरमेंट के समय उनके पास अच्छी रकम हो और पेंशन भी चालू रह सके। इसी वजह से EPFO ने नियमों को बदला है ताकि लोगों की सर्विस लगातार बनी रहे, रिटायरमेंट के वक्त उनके पास अच्छी रकम हो और पेंशन भी चालू रह सके।

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