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सहरसा: क्या BJP-JDU की जुगलबंदी आरजेडी को कर देगी धराशायी?

सहरसा जिले की 4 विधानसभा सीटों में से 3 पर एनडीए का कब्जा है। इसमें दो सीटें जेडीयू और एक सीट बीजेपी के खाते में है। इसके अलावा आरजेडी के हिस्से में महज एक सीट है।

saharsa district of bihar

सहरसा जिला, Photo Credit: Khabargaon

सहरसा, बिहार का एक ऐतिहासिक जिला है। इसके उत्तर में सुपौल और पूरब में मधेपुरा जिले आते हैं। यह कोसी क्षेत्र में बसा है। सहरसा अपनी समृद्ध सांस्कृतिक, ऐतिहासिक और धार्मिक विरासत के लिए जाना जाता है। सहरसा पूर्व में मिथिला क्षेत्र का हिस्सा था, जो आज भी इसी क्षेत्र में आता है। वर्तमान में सहरसा जिले का मुख्यालय सहरसा शहर है। साथ ही यह मंडल (कोसी मंडल) भी है, जिसमें मधेपुरा और सुपौल जिले आते हैं। कुल 4 विधानसभा सीटों वाला सहरसा जिला राज्य की राजनीति के लिहाज से नेशनल डेमोक्रैटिक अलायंस (NDA) का मजबूत गढ़ बना हुआ है। यहां से भारतीय जनता पार्टी और उसकी सहयोगी जेडीयू ने ज्यादातर सीटों पर चुनाव जीती थी। 2020 में सहरसा की कुल 9 में 3 सीटों पर NDA को जीत मिली थी।

 

स्वतंत्र भारत में सहरसा को 1 अप्रैल 1954 को मुंगेर जिले से अलग करके एक स्वतंत्र जिला बनाया गया था। इससे पहले यह भागलपुर मंडल का हिस्सा था। सहरसा आज भी मिथिला क्षेत्र का हिस्सा है, इसलिए यहां के लोग मुख्यतौर पर मैथिली बोलते हैं और मैथिली संस्कृति का पालन करते हैं।

 

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जिले का ऐतिहासिक महत्व

सहरसा प्राचीन मिथिला राज्य का अभिन्न अंग था। इसका उल्लेख रामायण और महाभारत जैसे ग्रंथों में मिलता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, यह क्षेत्र माता सीता के पिता राजा जनक से जुड़ा हुआ है। मगध साम्राज्य के विस्तार के दौरान मिथिला पर कब्जा हुआ। बनमनखी-फारबिसगंज रोड पर सिकलीगढ़ और किशनगंज पुलिस स्टेशन के पास मौर्य स्तंभों के अवशेष मिले हैं, जो इस क्षेत्र में मौर्य साम्राज्य की उपस्थिति दर्ज करवाते हैं।

राजनीतिक समीकरण

इस जिले की लोकसभा सीट मधेपुरा है। मधेपुरा में ही सहरसा जिले की चारों- सोनबरसा, सहरसा, सिमरी बख्तियारपुर और महिषी विधानसभा सीट आती हैं। 2020 में सोनबरसा और महिषी को नीतीश कुमार की जेडीयू ने जीता था, जबकि सहरसा विधानसभा में बीजेपी को जीत मिली थी। केवल सिमरी बख्तियारपुर सीट आरजेडी के हिस्से में आई थी। 2019 और 2024 के लोकसभा चुनाव में भी जेडीयू के दिनेश चंद्र यादव मधेपुरा से सांसद बने थे। इससे पहले आरजेडी के टिकट पर पप्पू यादव मधेपुरा से सांसदी जीतने में कामयाब रहे थे।

 

सोनबरसा में 2010 से लेकर अबतक जेडीयू के रत्नेश साडा ने अपना दबदबा बना कर रखा हुआ है। वह लगातार तीन बार ने जेडीयू के विधायक हैं। सहरसा में 2005 और 2010 में बीजेपी ने जीत दर्ज की लेकिन 2015 में इस सीट को आरजेडी ने जीत लिया। मगर 2020 में बीजेपी ने एक बार फिर से सहरसा सीट अपने नाम कर ली।

 

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महिषी की बात करें तो यहां से 2010 और 2015 में आरजेडी के अब्दुल गफूर ने विधायकी जीती थी लेकिन 2020 में इस सीट पर जेडीयू के गुंजेश्वर शाह ने जीत ली। सिमरी बख्तियारपुर एक ऐसी सीट है जिसे आरजेडी लगातार दो बार से जीतती आ रही है। आरजेडी ने यहां 2015 और 2020 में जीत हासिल की थी।

 

सोनबरसा: 1952 में अस्तित्व में आई सोनबसरा सीट पर सबसे पहले चुनाव में कांग्रेस के जगेश्वर हाजरा ने चुनाव जीता था। मगर, बाद के चुनावों में आरजेडी और जेडीयू ने इस सीट को अपना गढ़ बना लिया। पिछले चुनाव में जेडीयू के रत्नेश सदा ने चुनाव जीता था।

 

सहरसा: 1957 में अस्तित्व में आई सहरसा सीट पर 2005 के बाद से बीजेपी ने लगभग इसे अपना गढ़ बना लिया है। 2015 के चुनाव को छोड़ दिया जाए तो सहरसा से बीजेपी को जीत मिली है। पिछले चुनाव में बीजेपी के आलोक रंजन को जीत मिली थी।

 

सिमरी बख्तियारपुर: सिमरी बख्तियारपुर पर सबसे पहली बार साल 1952 में चुनाव हुए थे। पहले चुनाव में कांग्रेस के जियालाल मंडल विधायक बने थे। यह एक ऐसी सीट है, जहां से बीजेपी कभी चुनाव नहीं जीत पाई है। पिछले चुनाव में आरजेडी के युसूफ सलाहुद्दीन ने चुनाव जीता था।

 

महिषी: यहां 1967 में पहली बार चुनाव हुए। पहले चुनाव में संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के परमेश्वर कुमार जीतकर विधायक बने थे। बाद के चुनावों में कांग्रेस, जनता दल, आरजेडी, निर्दलीय और जेडीयू चुनाव जीतते रहे हैं। महिषी में भी बीजेपी कभी चुनाव नहीं जीत पाई है। पिछले चुनाव में जेडीयू के गुन्जेश्वर साहा ने चुनाव जीता था।

जिले की प्रोफाइल

19 लाख की जनसंख्या वाले सहरसा जिले में 10 ब्लॉक, 10 सर्कल, 7 सहरसा अनुमंडल के प्रखंड, 2 सब-डिवीजन और 135 ग्राम पंचायतें हैं। सहरसा में कुल 20 पुलिस थाने हैं, जो जिले की कानून व्यवस्था को संभालते हैं। जिले का कुल क्षेत्रफल 1,687 Sq किलोमीटर है।

 

कुल विधानसभा सीट-4

 

BJP-1

JDU-2

RJD-1

 

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