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खगड़िया: NDA या महागठबंधन, यहां किसका सिक्का चलता है?

खगड़िया जिले में कुल चार विधानसभा सीटें हैं जिनमें से दो एनडीए के पास हैं तो दो महागठबंधन के पास। इस बार भी इन सीटों पर कड़ा मुकाबला होने की संभावना है।

Khagariya

खगड़िया विधानसभा। Photo Credit: Khabargaon

देश की आजादी के लिए हुए संघर्ष का महत्वपूर्ण हिस्सा रहा खगड़िया अब बिहार के मुंगेर संभाग का एक प्रमुख जिला बन चुका है। प्रशासनिक स्तर पर यह स्वतंत्र जिला है और इसका मुख्यालय खगड़िया शहर में स्थित है। कुल 4 विधानसभा सीटों वाला खगड़िया राज्य की राजनीति के लिहाज से राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) और महागठबंधन दोनों का संतुलित क्षेत्र रहा है। कभी स्वतंत्रता संग्राम के दौरान क्रांतिकारियों का सक्रिय केंद्र रहे इस क्षेत्र में कांग्रेस और समाजवादी दलों ने लंबे समय तक दबदबा बनाए रखा, लेकिन हाल के दशकों में जेडीयू और राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) जैसे क्षेत्रीय दलों ने यहां अपनी मजबूती दिखाई है। 2020 के विधानसभा चुनाव में खग0ड़िया की 4 में से 2 सीटें NDA को और 2 महागठबंधन को मिली थीं, जो इस जिले के बदलते राजनीतिक समीकरण को दर्शाता है।

 

खगड़िया जिले की बात करें तो गंगा-कोसी बेल्ट का यह जिला सात नदियों से घिरा हुआ है। ऐतिहासिक दृष्टि से इस जिले को देखने पर पता चलता है कि यह मुंगेर जिले का हिस्सा हुआ करता था और 1943-44 में उपखंड के रूप में अस्तित्व में आया। 10 मई 1981 को इसे पूर्ण जिला का दर्जा मिला। आजादी की लड़ाई के दौरान खगड़िया के क्रांतिकारियों ने ब्रिटिश शासन के खिलाफ सक्रिय भूमिका निभाई। 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में मुंगेर-भागलपुर क्षेत्र के साथ खगड़िया के लोग भी शामिल हुए। महात्मा गांधी के असहयोग आंदोलन और सविनय अवज्ञा आंदोलन में यहां के किसानों और मजदूरों ने नमक सत्याग्रह और अन्य आंदोलनों में भाग लिया। खगड़िया को 'फरकिया' भी कहा जाता है, जो इसके उबड़-खाबड़ भूभाग को दर्शाता है। रामायण काल से जुड़े इस क्षेत्र में भरतखंड किला जैसी ऐतिहासिक धरोहरें मौजूद हैं, जो 'बावन कोठरी तिरपन द्वार' के नाम से प्रसिद्ध है। यह किला परबत्ता प्रखंड में स्थित है और मुगल काल की याद दिलाता है।

 

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कैसे पड़ा जिले का नाम?

खगड़िया का नाम 'खग' यानी पक्षियों और 'गिरि' यानी पहाड़ी से जुड़ा माना जाता है, हालांकि यह मैदानी इलाका है। हालांकि, एक मान्यता यह भी है कि खगड़िया का नाम ऐतिहासिक 'खगड़ा' गांव के नाम पर पड़ा जो कि प्राचीन समय में व्यापार और नदी मार्गों का केंद्र रहा। यह क्षेत्र मैथिली और भोजपुरी संस्कृति का मिश्रण है। यहां लोकगीत, पारंपरिक नृत्य और त्यौहार स्थानीय पहचान का हिस्सा हैं। गंगा, गंडक, वागमती, कमला एंव कोशी जैसी पांच नदियों से इस पांच नदियों से जिले की भूमि सिंचित है। वागमती के दक्षिणी तटबंध एवं गोगरी-नारायणपुर तटबंध के निर्माण के पूर्व रेलवे लाइन एवं तीन धाराओ बागमती,कमला और घघरी (कोशी की मुख्य धारा) और मरिया तथा मैथा नदियों के बीच के क्षेत्र में बहुतायत में दलदल था। कहा जाता है कि गंगा, गंडक, कमला, बागमती और कोशी नदियों की वजह से खगड़िया जिला का क्षेत्र दहनाल था। जिले में मुख्य रूप से मक्का (Maize), केला (Banana) और जूट (Jute) की फसलें अहम भूमिका निभाती हैं। खगड़िया को बिहार की मक्का राजधानी के रूप में भी जाना जाता है, और यहां से मक्का का बड़ा व्यापार होता है। 

 

ये नदियां हर साल बाढ़ का कहर बरपाती हैं, जिससे जिले का बड़ा हिस्सा प्रभावित होता है। बाढ़ की वजह से यहां उपजाऊ मिट्टी का जमाव हो जाता है और मक्का, गेहूं, चावल तथा सब्जियों की खेती प्रमुखता से की जाती है। खगड़िया बिहार का सबसे बड़ा मक्का उत्पादक जिला है। चौथम प्रखंड के करुआमोर बाजार में बने पेड़े अपनी अनूठी मिठास के लिए पूरे देश में प्रसिद्ध हैं। जिले में भरतखंड किले के अलावा जेएनकेटी स्टेडियम, कोशी कॉलेज और माता दुर्गा मंदिर जैसे पर्यटन स्थल हैं। औद्योगिक दृष्टि से पिछड़ा यह क्षेत्र अब रेल और सड़क नेटवर्क से जुड़ रहा है। एनएच-31 और एनएच-107 यहां से गुजरते हैं, जो उत्तर-पूर्व भारत को जोड़ते हैं। रेलवे जंक्शन के रूप में खगड़िया महत्वपूर्ण है, जहां बरौनी-गुवाहाटी लाइन गुजरती है।

राजनीतिक समीकरण

इस जिले की सभी चारों विधानसभा सीटें एक ही खगड़िया लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आती हैं। कुल 6 विधानसभा सीटों वाले खगड़िया लोकसभा क्षेत्र में 4 सीटें खगड़िया जिले की हैं, जबकि बाकी सहरसा और समस्तीपुर से आती हैं। 2008 के परिसीमन के बाद से यहां NDA और महागठबंधन के बीच कांटे की टक्कर रही है। लोकसभा स्तर पर 2024 में लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के राजेश वर्मा ने जीत हासिल की। खगड़िया जिले की विधानसभा सीटों पर जातिगत समीकरण महत्वपूर्ण हैं, जहां यादव, कोयरी, मुस्लिम और अनुसूचित जाति के वोट निर्णायक साबित होते हैं। 2020 के चुनाव में NDA ने बेलदौर और परबत्ता पर कब्जा जमाया, जबकि महागठबंधन ने अलौली (SC) और खगड़िया पर जीत दर्ज की। कांग्रेस का यहां प्रभाव कमजोर पड़ गया है, जबकि आरजेडी और जेडीयू मजबूत हैं।

 

अलौली (SC) में लंबे समय से आरजेडी का दबदबा रहा है। 2015 में आरजेडी के चंदन कुमार ने जीत हासिल की, जबकि 2020 में आरजेडी ने रामवृक्ष सदा को टिकट दिया और उन्होंने जीत हासिल की। खगड़िया सीट पर 2020 में कांग्रेस के छत्रपति यादव ने जेडीयू की पूनम देवी यादव को हराया। बेलदौर में जेडीयू के पन्ना लाल सिंह पटेल ने लगातार तीन बार चुनाव जीता। परबत्ता पर 2020 में जेडीयू के डॉ. संजीव कुमार ने आरजेडी को शिकस्त दी। हालांकि, इस बार उन्होंने पाला बदल लिया है और अब वह आरजेडी में शामिल हो गए हैं इसलिए माना जा रहा है कि इस बार उन्हें परबत्ता के लिए आरेजेडी से टिकट मिल सकता है।

विधानसभा सीटें

अलौली (SC): 2008 के परिसीमन के बाद अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित यह सीट आरजेडी का मजबूत गढ़ रही है। RJD के राम वृक्ष सदा ने 2020 में और आरजेडी के ही चंदन कुमार ने 2015 में जीत हासिल की। इससे पहले लोक जनशक्ति पार्टी का प्रभाव था, लेकिन अब इस सीट पर आरजेडी का कब्जा है।

 

खगड़िया: 1952 से अस्तित्व में आई यह सीट यादव समुदाय का केंद्र रही है। 2015 में जेडीयू की पूनम देवी यादव जीतीं, लेकिन 2020 में कांग्रेस के छत्रपति यादव ने 3,000 वोटों से उन्हें हरा दिया। आरजेडी ने यहां कई बार मजबूत उम्मीदवार उतारे हैं। इसके पहले पूनम देवी यादव साल 2005 से लगातार यहां से विधायक रही हैं। 2005 में फरवरी में उन्होंने लोक जनशक्ति पार्टी से और अक्तूबर में कांग्रेस से लड़कर जीत हासिल की थी, वहीं 2010 और 2015 में जेडीयू से उन्होंने जीत दर्ज की थी।

 

बेलदौर: 1967 में बनी यह सीट कोयरी-यादव समीकरण पर निर्भर है। जेडीयू के पन्ना लाल सिंह पटेल ने 2010, 2015 और 2020 में जीत दर्ज की। इससे पहले समाजवादी दलों का प्रभाव था।

 

परबत्ता: 2008 के परिसीमन से अस्तित्व में आई यह सीट मुस्लिम-यादव वोट बैंक वाली है। 2020 में जेडीयू के डॉ. संजीव कुमार ने आरजेडी को हराया। इससे पहले आरजेडी ने 2015 में यह सीट जीती थी। हालांकि, अब संजीव कुमार खुद ही आरजेडी में शामिल हो गए हैं।

जिले का प्रोफाइल

लगभग 16.67 लाख की जनसंख्या वाले खगड़िया में कुल 2 नगर पालिका क्षेत्र, 2 अनुमंडल, 7 प्रखंड और 301 गांव हैं। जिले का क्षेत्रफल 1486 वर्ग किलोमीटर और जनसंख्या घनत्व 1115 प्रति वर्ग किलोमीटर है। जिले में 1000 पुरुषों पर महिलाओं की जनसंख्या 886 है। वहीं, खगड़िया जिले की साक्षरता दर 57.92 प्रतिशत है, जिसमें पुरुष साक्षरता 65.25 और महिला साक्षरता 49.56 प्रतिशत है। जिले की 94.8 प्रतिशत आबादी ग्रामीण क्षेत्रों में रहती है, जबकि शहरी आबादी मात्र 5.2 प्रतिशत है। अनुसूचित जाति की आबादी 14.83 प्रतिशत और अनुसूचित जनजाति 0.04 प्रतिशत है। धार्मिक रूप से हिंदू 89.21 प्रतिशत, मुस्लिम 10.53 प्रतिशत हैं। मुख्य भाषा अंगिका है, जबकि हिंदी और उर्दू भी बोली जाती हैं।

 

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जिला बाढ़ प्रभावित होने के कारण विकास की चुनौतियों से जूझता है, लेकिन मक्का उत्पादन में अग्रणी है। यहां की अर्थव्यवस्था मुख्यतः कृषि पर आधारित है। बरौनी रिफाइनरी के निकट होने से औद्योगिक संभावनाएं बढ़ रही हैं। पर्यटन के लिहाज से भरतखंड किला और करुआमोर के पेड़े आकर्षण हैं। शिक्षा के क्षेत्र में कोसी कॉलेज और अन्य संस्थान सक्रिय हैं, लेकिन साक्षरता दर में सुधार की जरूरत है।

कुल विधानसभा सीटें-4

मौजूदा स्थिति-

जेडीयू-2

कांग्रेस-1

आरजेडी-1

 

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