दिल्ली की 70 विधानसभा सीटों पर वोटिंग में अब लगभग दो हफ्ते का समय बचा है। ऐसे में दिल्ली की कुर्सी पर काबिज होने के लिए बीजेपी ने बड़ा प्लान तैयार किया है। दिल्ली में जोरदार प्रचार के लिए अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर केंद्रीय मंत्री और कई राज्यों के मुख्यमंत्री भी उतरने वाले हैं।
3-4 रैली करेंगे पीएम मोदी
चुनाव तारीखों का ऐलान होने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिल्ली में एक भी रैली नहीं की है। चुनाव तारीखों की घोषणा से दो दिन पहले 5 जनवरी को पीएम मोदी ने रोहिणी में एक रैली की थी। अब दिल्ली चुनाव के प्रचार में पीएम मोदी भी उतरने वाले हैं। न्यूज एजेंसी ANI ने सूत्रों के हवाले से बताया है कि प्रधानमंत्री मोदी दिल्ली में 3 से 4 रैलियां कर सकते हैं। वहीं, दूरदर्शन न्यूज के मुताबिक, प्रधानमंत्री मोदी अगले हफ्ते दो रैलियां करेंगे। उनकी पहली रैली 29 जनवरी को यमुना खादर और 31 जनवरी को वेगास मॉल के पास होगी।
केंद्रीय मंत्री भी करेंगे प्रचार
प्रधानमंत्री मोदी के अलावा कई केंद्रीय मंत्री भी दिल्ली में चुनाव प्रचार करेंगे। इनमें गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा, मनोहर लाल खट्टर और नितिन गडकरी शामिल हैं।
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कई राज्यों के CM भी उतरेंगे मैदान में
दिल्ली में प्रचार के लिए कई राज्यों के सीएम और डिप्टी सीएम भी मैदान में उतरेंगे। बताया जा रहा है कि 23 जनवरी से बीजेपी दिल्ली में धुआंधार प्रचार शुरू करने जा रही है। यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ, उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी, असम के सीएम हिमंता बिस्वा सरमा और बिहार के डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी भी प्रचार करेंगे।
पूर्वांचली वोटरों पर खास नजर
पूर्वांचली वोटरों को साधने के लिए भी बीजेपी ने प्लान तैयार किया है। दिल्ली में करीब 25 फीसदी पूर्वांचली वोटर्स हैं। दिल्ली की 70 में से 16 सीटें ऐसी हैं, जहां पूर्वांचल वोटर्स निर्णायक भूमिका में हैं। पूर्वांचलियों को साधने के लिए बीजेपी ने सीएम योगी आदित्यनाथ का चेहरा आगे किया है। पूर्वांचलियों को साधने के लिए योगी आदित्यनाथ दिल्ली में 14 रैलियां करेंगे। ये रैलियां नई दिल्ली, किराड़ी, बाहरी दिल्ली, केशव पुरम, नॉर्थ वेस्ट दिल्ली, शाहदरा, करोल बाग, नजफगढ़, महरौली, साउथ दिल्ली और मयूर विहार जैसे इलाकों में होगी।
सीएम योगी के अलावा रवि किशन, मनोज तिवारी, निरहुआ, सम्राट चौधरी और गिरिराज सिंह जैसे नेता भी 23 जनवरी से अलग-अलग इलाकों में रैलियां करेंगे। इसके साथ ही पूर्वांचली वोटर्स को साधने के लिए कई जगहों पर बीजेपी बाइक रैली भी निकालेगी।
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अब तक क्या-क्या किया?
दिल्ली की सत्ता पर काबिज होने के लिए बीजेपी जीतोड़ मेहनत कर रही है। न्यूज एजेंसी के मुताबिक, बीजेपी अब तक दिल्ली में 2,500 से ज्यादा छोटी बैठकें कर चुकी हैं। बीजेपी ने मकर संक्रांति पर 70 बैठकें करने का लक्ष्य रखा था। इनमें से 50 बैठकें हो चुकी हैं। बीजेपी का पूरा फोकस पूर्वांचली वोटर्स पर है।
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27 साल से सत्ता से दूर है बीजेपी
तमाम कोशिशों और अच्छे-खासे वोट शेयर के बावजूद दिल्ली की सत्ता से बीजेपी 27 साल से दूर है। 1998 के बाद से दिल्ली में बीजेपी का कोई मुख्यमंत्री नहीं बन सका है। दिल्ली में बीजेपी की आखिरी मुख्यमंत्री सुषमा स्वराज थीं।
1993 में विधानसभा चुनाव हुए तो बीजेपी ने 70 में से 49 सीटें जीतीं। उस चुनाव में बीजेपी को लगभग 48 फीसदी वोट मिले थे। चुनाव जीतने के बाद मदनलाल खुराना मुख्यमंत्री बने। हालांकि, पहली बीजेपी सरकार में 5 साल में दिल्लीवालों ने 3-3 मुख्यमंत्री देखे। पहले मदनलाल खुराना, फिर साहिब सिंह वर्मा और आखिरी में सुषमा स्वराज। 1993 से 1998 तक 3 मुख्यमंत्री बदलकर बीजेपी ने 5 साल सरकार तो चला ली, लेकिन उसके बाद कभी सत्ता में वापसी नहीं कर पाई।
बीजेपी भले ही लंबे वक्त से दिल्ली की सत्ता से दूर हो, लेकिन उसका वोट शेयर स्थिर बना हुआ है। 2015 के विधानसभा चुनाव में जब आम आदमी पार्टी ने 67 सीटें जीती थीं, तब भी बीजेपी का वोट शेयर 32.3 फीसदी रहा था। भले ही उस चुनाव में बीजेपी 3 सीट ही जीत पाई हो। जबकि इससे पहले 2013 के चुनाव में बीजेपी ने 33.3 फीसदी वोट हासिल किए थे और उसे 31 सीटें मिली थीं।
2020 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी का वोट शेयर और बढ़ गया। बीजेपी को 38.7 फीसदी वोट मिले थे। 2015 की तुलना में उसकी सीटें भी बढ़कर 8 हो गईं। दिल्ली में बीजेपी के लिए सबसे बड़ी खुशी की बात ये है कि वो लगातार तीन लोकसभा चुनावों से सभी सातों सीटें जीत रही है।