हार्वर्ड विश्वविद्यालय को अदालत से बड़ी राहत मिली है। कोर्ट ने ट्रंप प्रशासन के फैसले पर रोक लगा दी है। हार्वर्ड विश्वविद्यालय के पास अंतरराष्ट्रीय छात्रों को दाखिला देने का अधिकार था, लेकिन अचानक ट्रंप प्रशासन ने इसे रद्द कर दिया था। विश्वविद्यालय ने बोस्टन की संघीय अदालत में फैसले के खिलाफ एक मुकदमा दाखिल किया। जिला न्यायाधीश एलिसन बरोज ने शुक्रवार को केस की सुनवाई की और ट्रंप प्रशासन के फैसले पर रोक लगा दी। यह रोक मामले की सुनवाई तक जारी रहेगी। बता दें कि एलिसन बरोज की नियुक्ति पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा ने की थी।
हार्वर्ड विश्वविद्यालय ने कहा कि ट्रंप प्रशासन का फैसला अमेरिकी संविधान का खुले तौर पर उल्लंघन है। इसका विश्वविद्यालय और उसके 7000 से अधिक वीजा धारक छात्रों पर विनाशकारी असर पड़ेगा। अपनी शिकायत में विश्वविद्यालय ने कहा कि सरकार ने कलम के एक झटके से एक चौथाई अंतरराष्ट्रीय छात्रों को मिटाने की कोशिश की है। मगर ये छात्र विश्वविद्यालय और उसके मिशन में अहम योगदान देते हैं। विश्वविद्यालय ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय छात्रों के बिना हार्वर्ड हार्वर्ड नहीं रहेगा।
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ट्रंप के निशाने पर विदेशी छात्र क्यों?
माना जा रहा है कि डोनाल्ड ट्रंप फलस्तीन के समर्थन और यहूदियों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन में शामिल विदेशी छात्रों को इस फैसले के माध्यम से निर्वासित करना चाहते हैं। ट्रंप ने अपनी नीतियों के खिलाफ बोलने वाले वकीलों को निशाना बनाने और विरोध में फैसला सुनाने वाले जजों के खिलाफ महाभियोग चलाने का सुझाव दिया है। अमेरिका की गृह सुरक्षा मंत्री क्रिस्टी नोएम ने हार्वर्ड को लिखे अपने पत्र में कहा कि विश्वविद्यालय ने यहूदी छात्रों के खिलाफ माहौल बनाया है। यहूदी-विरोधी भावना की निंदा करने में भी विफल रहा। हार्वर्ड विश्वविद्यालय हिंसा और यहूदी-विरोधी भावना को बढ़ावा दे रहा है।
विश्वविद्यालय पर रिकॉर्ड न देने का आरोप
क्रिस्टी नोएम ने कहा कि कानून का पालन नहीं करने पर विदेशी छात्रों के दाखिला कार्यक्रम को कैंसिल किया गया है। जवाब में हार्वर्ड यूनिवर्सिटी ने सरकार के फैसले को गैर-कानूनी बताया। नोएम का आरोप है कि विश्वविद्यालय ने अपने विदेशी छात्रों से जुड़ा रिकॉर्ड भी साझा नहीं किया है।
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अप्रैल से शुरू हुआ विवाद
हार्वर्ड विश्वविद्यालय में 788 भारतीय समेत कुल 6793 विदेशी छात्र पढ़ते हैं। कोर्ट के फैसले के बाद जहां एक ओर ट्रंप प्रशासन को झटका लगा तो दूसरी ओर इन विदेशी छात्रों ने राहत की सांस ली है। मौजूदा समय में विश्वविद्यालय में 140 से अधिक देशों के छात्र-छात्राएं पढ़ते हैं। बता दें कि ट्रंप प्रशासन और हार्वर्ड विश्वविद्यालय के बीच विवाद की शुरुआत अप्रैल महीने से हुई थी। ट्रंप प्रशासन ने छह मांगों की एक सूची भेजी थी, लेकिन विश्वविद्यालय ने इसे ठुकरा दिया था। बाद में ट्रंप प्रशासन ने हार्वर्ड की फंडिंग पर रोक लगा दी थी।