चीन का 'कंडोम टैक्स' कैसे हो सकता है खतरनाक? समझिए
चीन में लोग ज्यादा बच्चे पैदा करें, इसके लिए वहां की सरकार ने कंडोम पर 13% टैक्स बढ़ा दिया है। इस पर एक्सपर्ट्स चिंता जता रहे हैं कि यह खतरनाक हो सकता है।

प्रतीकात्मक तस्वीर। (AI Generated Image)
चीन ने घटती जन्म दर को बढ़ाने के लिए एक नया फैसला लिया है। चीन ने कंडोम पर टैक्स लगा दिया है। ऐसा इसलिए किया ताकि कंडोम महंगा हो जाए और लोग इसका इस्तेमाल बंद कर दें। यह फैसला इसलिए लिया गया है क्योंकि चीन में ज्यादातर परिवारों में सिर्फ एक ही बच्चा है।
यह टैक्स 1 जनवरी से लगने वाला है। चीन के नए वैल्यू एडेड टैक्स (VAT) कानून के मुताबिक, कॉन्ट्रासेप्टिव पिल और प्रोडक्ट्स पर तो कोई टैक्स नहीं लगेगा। मगर कंडोम पर 13% VAT लगाया जाएगा।
जब से चीन ने यह फैसला लिया है, तब से वहां के सोशल मीडिया पर यह ट्रेंड हो रहा है। कुछ लोग इसका मजाक भी उड़ा रहे हैं। कुछ लोगों का कहना है कि अगर लोगों को यह नहीं पता कि बच्चे को पालना कंडोम इस्तेमाल करने से ज्यादा महंगा हैं तो वे बेवकूफ होंगे।
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क्यों लिया गया यह फैसला?
1980 के दशक में चीन में आबादी तेजी से बढ़ रही थी। इसके बाद चीन की कम्युनिस्ट सरकार 'वन चाइल्ड पॉलिसी' लेकर आई थी। 1980 से 2015 तक 'वन चाइल्ड पॉलिसी' को सख्ती से लागू किया गया। इसमें जबरन अबॉर्शन भी शामिल है।
2015 आते-आते जब चीन में बुजुर्गों की आबादी बढ़ने लगी तो इसे दो बच्चे पैदा करने की इजाजत मिल गई। बाद में 2021 में इसे तीन बच्चों तक कर दिया गया।
हालांकि, चीन की इन पॉलिसी का असर यह हुआ कि ज्यादातर परिवारों ने ज्यादा बच्चे पैदा करना ही छोड़ दिया। अब ज्यादातर परिवारों में सिर्फ एक ही बच्चा है।
नेशनल ब्यूरो ऑफ स्टैटिक्स के अनुसार, 2024 में चीन में 95 लाख बच्चे पैदा हुए। जबकि 2019 में 1.47 करोड़ बच्चे पैदा हुए थे। यह दिखाता है कि चीन में जन्म दर किस तरह से कम हो रही है। अब चीन में जन्म की तुलना में मौतों की संख्या है और इस कारण आबादी के मामले में भारत आगे निकल गया है।
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'कंडोम टैक्स' पर क्या कह रहे लोग?
अब जब चीन की सरकार 'कंडोम टैक्स' लेकर आई है तो लोग इसका विरोध भी कर रहे हैं। 5 साल के बच्चे की मां हू लिंगलिंग ने कहा, 'यह सच में एक बेरहम कदम है।' उन्होंने कहा कि उन्होंने दूसरा बच्चा न करने का पक्का इरादा कर लिया है।
वर्जीनिया यूनिवर्सिटी में डेमोग्राफिक्स रिसर्च ग्रुप के डायरेक्टर कियान काई ने कहा, 'टैक्स का ज्यादा फर्टिलिटी को बढ़ावा देने पर असर बहुत कम होगा। जो कपल बच्चे नहीं चाहते हैं, उनके लिए कंडोम पर 13% टैक्स का असर पड़ने की कोई संभावना नहीं है।'
विस्कॉन्सिन यूनिवर्सिटी के एक सीनियर साइंटिस्ट यी फुक्सियन ने कहा कि यह टैक्स लगाना एकदम सही है। उन्होंने कहा, 'वे पहले आबादी को कंट्रोल करते थे लेकिन अब वे लोगों को ज्यादा बच्चे पैदा करने के लिए बढ़ावा दे रहे हैं।'
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क्यों नहीं पड़ेगा इसका असर?
चीन के 'कंडोम टैक्स' का बहुत ज्यादा असर नहीं पड़ने की बात इसलिए हो रही है, क्योंकि कई देशों की तरह ही चीन में बर्थ कंट्रोल की जिम्मेदारी महिलाओं पर ही है।
बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन की 2022 में जारी रिसर्च के मुताबिक, सिर्फ 9% कपल ही कंडोम का इस्तेमाल करते हैं। 44.2% महिलाएं इंट्रायूटेराइन डिवाइस का इस्तेमाल करती हैं और 30.5% महिलाएं नसबंदी करवा लेती हैं। महिलाओं की तुलना में सिर्फ 4.7% पुरुष ही नसबंदी करवाते हैं। बाकी लोग प्रेग्नेंसी रोकने के लिए दवाएं या दूसरे तरीकों का इस्तेमाल करते हैं।
32 साल की टीचर जू जुआन ने कहा, 'यह एक ऐसा तरीका है जो महिलाओं के शरीर और मेरी सेक्सुअल डिजायर को मैनेज करता है।'
चीन में कंडोम की सालाना खपत को लेकर कोई आधिकारिक आंकड़ा नहीं है। हालांकि, इंटरनेशनल मार्केट इंटेलिजेंस फर्म इंडेक्सबॉक्स का अनुमान है कि चीन में 2020 में 5.4 अरब कंडोम की खपत हुई थी। यह लगातार 11वां साल था, जब कंडोम की खपत बढ़ी थी।
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'कंडोम टैक्स' क्यों है खतरनाक?
एक्सपर्ट्स का कहना है कि कंडोम महंगा होने से लोग इसका इस्तेमाल कम कर देंगे, जो पब्लिक हेल्थ के लिए खतरनाक है।
कियान काई ने कहा, 'ज्यादा कीमतें आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों के बीच कंडोम की पहुंच कम कर सकती हैं, जिससे अनचाही प्रेग्नेंसी और सेक्सुअली ट्रांसमिटेड इन्फेक्शन बढ़ सकते हैं। इससे ज्यादा अबॉर्शन और हेल्थ केयर का खर्च बढ़ सकता है।'
चीन दुनिया के उन देशों में है जहां सबसे ज्यादा अबॉर्शन होते हैं। चीन के नेशनल हेल्थ कमीशन के मुताबिक, 2014 से 2021 के बीच चीन में हर साल 90 लाख से 1 करोड़ के बीच अबॉर्शन हुए हैं। एक्सपर्ट्स का मानना है कि यह संख्या और भी ज्यादा हो सकती है, क्योंकि कुछ लोग अंडरग्राउंड क्लीनिक में इलाज करवा रहे हैं।
नेशनल डिसीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन एडमिनिस्ट्रेशन के डेटा के मुताबिक, चीन में सेक्सुअली ट्रांसमिटेड इन्फेक्शन तेजी से बढ़ रहे हैं। 2024 में गोनोरिया के 1 लाख और सिफलिस के 6.70 लाख से ज्यादा मरीज थे। एड्स और HIV के मामले भी तेजी से बढ़ रहे हैं, खासकर बुजुर्गों में। 2024 में लगभग 14 लाख बुजुर्गों में एड्स की पहचान हुई थी।
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