नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने शनिवार को नेपाल संकट के बाद पहली बार सार्वजनिक बयान में अंतरिम सरकार पर तीखा हमला बोला। उन्होंने इसे 'प्रचार की सरकार' करार दिया। यह बयान तब आया जब इस महीने की शुरुआत में जेन-ज़ी (Gen Z) के हिंसक प्रदर्शनों के बाद ओली को इस्तीफा देना पड़ा था।
ओली ने कहा, 'वर्तमान सरकार को 'Gen-Z सरकार' कहा जा रहा है, जो संविधान के प्रावधानों के अनुसार नहीं बनी है और न ही लोगों के वोट से। यह तोड़फोड़ और आगजनी के जरिए बनी है।' उन्होंने मौजूदा नेतृत्व के इरादों पर भी सवाल उठाए। ओली ने कहा, 'यह प्रचार की सरकार क्या सोचती है कि हम देश छोड़कर विदेश भाग जाएंगे? हमें इस देश को बनाना है। इसे संवैधानिक और लोकतांत्रिक बनाना है। हम देश में कानून का राज लाएंगे।'
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अफवाहों का खंडन
ओली ने उन अफवाहों को भी खारिज किया, जिनमें उन्हें हिंसा से जोड़ा जा रहा था। उन्होंने कहा, 'मेरे खिलाफ अफवाहें फैलाई जा रही हैं। लोगों को यह कहकर भड़काया जा रहा है कि मुझे बंदूक दो, मैं उसे मार दूंगा; तलवार दो, मैं उसे काट दूंगा; ड्रोन दो, मैं उसे मार गिराऊंगा। लेकिन मेरा इसमें क्या रोल था? जब मुझे गोलीबारी की खबर मिली, तो मैंने स्थिति के बारे में पूछा। मुझे बताया गया कि केवल रबर की गोलियां चलाई गईं। बाद में पता चला कि 14 लोगों की मौत हो गई। मैं पूछ रहा था कि उनके सिर पर गोली कैसे मारी गई? इसे कैसे रोका जाए? मैं खूनखराबा रोकने के उपाय सोच रहा था।'
इस्तीफे की वजह
ओली ने अपने इस्तीफे की वजह भी स्पष्ट की। उन्होंने कहा, '9 सितंबर को, पिछले दिन की घटनाओं के बाद, मैंने सुबह 11-11:30 बजे इस्तीफा दे दिया। उस दिन अवांछित घटनाएं हुई थीं और मेरा प्रयास था कि स्थिति को और बिगड़ने न दिया जाए। लेकिन जब मुझे लगा कि मेरे हाथ में कुछ नहीं है, तो मैंने पद छोड़ दिया। इसके बाद आगजनी, तोड़फोड़ और लूटपाट की घटनाएं शुरू हुईं।'
हुए थे प्रदर्शन
छात्रों और युवा नागरिकों द्वारा शुरू किए गए Gen Z प्रदर्शन के दौरान 2006 के लोकतंत्र समर्थक आंदोलन के बाद नेपाल में सबसे घातक हिंसा देखी गई। प्रदर्शनकारी संसद के पास जमा हुए थे और जवाबदेही, पारदर्शिता और सुधारों की मांग कर रहे थे।
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पुलिस ने पानी की बौछार, आंसू गैस और असली गोलियों का इस्तेमाल किया। हालांकि ओली ने दमन का आदेश देने से इनकार किया, उनकी सरकार की कड़ी आलोचना हुई। इसके बाद उन्होंने इस्तीफा दे दिया और पूर्व मुख्य न्यायाधीश सुशीला कार्की को अंतरिम प्रधानमंत्री बनाया गया। संसद भंग होने के बाद अब मार्च में चुनाव होने हैं, जिससे नेपाल एक अस्थिर राजनीतिक दौर से गुजर रहा है।