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ट्रंप और जिनपिंग, कौन किसके 'दबाव' में आएगा? 6 साल बाद हो रही मुलाकात क्यों अहम

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग 6 साल बाद फिर मिले हैं। दोनों आखिरी बार जून 2019 में मिले थे। अब दोनों के बीच गुरुवार को मुलाकात हुई।

trump jinping

प्रतीकात्मक तस्वीर। (AI Generated Image)

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग 6 साल बाद मिले हैं। दोनों की यह मुलाकात साउथ कोरिया के बुसान शहर में हुई। साउथ कोरिया में एशिया पैसिफिक इकोनॉमिक कॉर्पोरेशन (APEC) समिट में हिस्सा लेंगे। ट्रंप और जिनपिंग के बीच समिट से इतर यह मुलाकात हुई। आखिरी बार दोनों जून 2019 में जापान के ओसाका में G20 समिट के दौरान हुई थी।

 

मुलाकात के दौरान ट्रंप ने कहा, 'हमारी मुलाकात बहुत सफल रहने वाली है। वह बहुत टफ नेगोशिएटर हैं, यह अच्छी बात नहीं है। हम एक-दूसरे को अच्छी तरह जानते हैं। हमारे बीच हमेशा से बहुत अच्छे संबंध रहे हैं।'


अब दोनों के बीच मुलाकात ऐसे समय में हो रही है, जब अमेरिका और चीन के बीच ट्रेड वॉर चल रहा है। ट्रंप टैरिफ पर टैरिफ लगाए जा रहे हैं तो बदले में जिनपिंग भी रेयर अर्थ मटैरियल को अपने हथियार के तौर पर इस्तेमाल कर रहे हैं। इस मुलाकात से तय होगा कि कौन पहले झुकता है और किसका दबाव काम करता है?

 

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कितनी अहम है दोनों की मुलाकात?

अमेरिका और चीन दुनिया की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाएं हैं। ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद से दोनों के बीच ट्रेड वॉर चल रहा है। इसका असर दुनियाभर में देखने को मिल रहा है। अब दोनों की इस मुलाकात तनाव कम होने की उम्मीद है।


ट्रंप बार-बार चीन पर टैरिफ लगाने की धमकी देते रहे हैं। राष्ट्रपति बनने के कुछ महीनों बाद ही ट्रंप ने धीरे-धीरे करके चीन पर 145% टैरिफ बढ़ा दिया था। हालांकि, इसे अब तक लागू नहीं किया गया है। इसके जवाब में जिनपिंग ने भी रेयर अर्थ मिनरल्स यानी दुर्लभ खनिजों के निर्यात पर पाबंदियां लगा दी थीं।


इस महीने की शुरुआत में ही ट्रंप ने दुर्लभ खनिजों के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने के कारण चीन पर 100% टैरिफ और बढ़ाने की धमकी दी थी।


हालांकि, अमेरिकी अधिकारियों ने इस बात का संकेत दिया है कि ट्रंप चीन पर टैरिफ नहीं बढ़ाना चाहते हैं। बल्कि, अभी जो टैरिफ लगा है, उसे भी कम कर सकते हैं। वहीं, चीन भी दुर्लभ खनिजों के निर्यात पर लगी पाबंदियों में ढील दे सकता है। वह इसलिए क्योंकि चीन भी अमेरिका के साथ कारोबार करना चाहता है। चीन ने अमेरिका से सोयाबीन खरीदने की इच्छा जताई है।

 

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क्या होगा दोनों की मीटिंग में?

ट्रंप और जिनपिंग की मुलाकात बुसान शहर में हुई। बुधवार रात को APEC नेताओं के साथ डिनर में ट्रंप को यह कहते हुए सुना गया कि जिनपिंग के साथ '3-4 घंटे की बैठक' होगी और उसके बाद वह वॉशिंगटन लौट जाएंगे।


इस हफ्ते अपने एशियाई यात्रा के लिए रवाना होने से पहले ट्रंप ने जिनपिंग के साथ होने वाली बैठक के बारे में चर्चा की थी। उन्होंने बताया था कि वह चीनी राष्ट्रपति जिनपिंग के साथ रूसी तेल पर चर्चा कर सकते हैं। उन्होंने बताया था कि वह फेंटेनाइल ड्रग्स पर भी बात करेंगे, जो चीन से आता है। उन्होंने कहा था, 'राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ बातचीत के लिए बहुत कुछ है। उनके पास भी हमसे बातचीत करने के लिए बहुत कुछ है। मुझे लगता है कि हमारी मुलाकात अच्छी होगी।'


माना जा रहा है कि फेंटेनाइल को लेकर दोनों की बीच अच्छी बातचीत हो सकती है और ट्रंप इस मुद्दे पर टैरिफ कम कर सकते हैं। ट्रंप ने बुधवार को कहा, 'मैं उम्मीद करता हूं कि इसे कम करूंगा, क्योंकि मुझे भरोसा है कि वह फेंटेनाइल की स्थिति में हमारी मदद करेंगे।' ट्रंप ने बाद में यह भी कहा कि चीन के साथ उनके संबंध बहुत अच्छे हैं।


हालांकि, इस मुलाकात में ट्रंप ऐसा कोई मुद्दा नहीं उठाएंगे जिससे जिनपिंग असहज हों। पहले ट्रंप ने कहा था कि वह जिनपिंग के साथ ताइवान को लेकर भी चर्चा करेंगे। हालांकि, अब उनका कहना है कि वह ताइवान की सुरक्षा जैसे मुद्दों को नहीं उठाएंगे।

 

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किसका दबाव आएगा काम?

मुलाकात से पहले अमेरिका और चीन की तरफ से भले ही कितनी ही अच्छी बयानबाजियां क्यों न हो रही हों, लेकिन ट्रंप और जिनपिंग के बीच टकराव भी किसी से छिपा नहीं है। 


फाउंडेशन फॉर डिफेंस ऑफ डेमोक्रेसीज के चाइना प्रोग्राम के सीनियर डायरेक्टर क्रेग सिंगलटन ने कहा, 'दोनों देश अस्थिरता को दूर करना चाहते हैं और इसमें एक-दूसरे का सहयोग भी करना चाहते हैं। फिर भी दोनों के बीच कंपीटिशन तो बना ही रहेगा।'


अमेरिका और चीन दोनों के पास ही एक-दूसरे पर दबाव डालने के लिए अपने-अपने 'हथियार' हैं। ट्रंप के लिए वह हथियार 'टैरिफ' है। ट्रंप ने चीन पर 145% टैरिफ बढ़ा दिया है। इस महीने 100% टैरिफ और बढ़ाने की धमकी दी है। 


वहीं, जिनपिंग के पास 'रेयर अर्थ मिनरल्स' का खजाना है। क्योंकि लड़ाकू विमान, रोबोट, इलेक्ट्रिक व्हीकल और सेमीकंडक्टर बनाने के लिए इन्हीं दुर्लभ खनिजों की जरूरत पड़ती है। दुर्लभ खनिजों का सबसे ज्यादा उत्पादन चीन में ही होता है। इतना ही नहीं, दुनिया के 90 फीसदी रेयर मिनरल्स चीन में ही प्रोसेस होते हैं। अमेरिका भी इन मिनरल्स के लिए चीन पर निर्भर है।


चीन ने 9 अक्टूबर को दुर्लभ खनिजों के निर्यात पर लगी पाबंदियों को और कड़ा कर दिया था। यह दिखाता है कि मुलाकात से पहले जिनपिंग इसे 'दबाव' के तौर पर इस्तेमाल कर रहे हैं।


इतना ही नहीं, जानकारों का मानना है कि यह भी मायने रखता है कि मुलाकात के बाद आगे क्या होगा? एक तरफ ट्रंप मुलाकात के बाद सीधे वॉशिंगटन लौट जाएंगे। दूसरी तरफ, जिनपिंग साउथ कोरिया में ही रहेंगे और कई राष्ट्रप्रमुखों के साथ मुलाकात करेंगे। 


टीडी इंटरनेशनल के सीईओ जे ट्रूसडेल ने कहा, 'जिनपिंग चीन को एक भरोसेमंद दोस्त के रूप में स्थापित करना चाहते हैं। इसके अलावा वह ट्रंप की टैरिफ पॉलिसी से निराश देशों के साथ द्विपक्षीय और बहुपक्षीय संबंधों को भी मजबूत करना चाहते हैं।' कुल मिलाकर, जिनपिंग यह संदेश देना चाहते हैं कि वह अमेरिकी धमकियों और दबाव के आगे नहीं झुकेंगे।

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