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यूक्रेन ने खोली नींद, ड्रोन पर सख्त हुआ USA; भारत में क्यों लापरवाही?

विदेश में बने ड्रोन को अमेरिका में बेचना अब आसान नहीं होगा। डोनाल्ड ट्रंप ने एक सख्त कदम चल दिया है। चीनी कंपनियों को बड़ा नुकसान उठाना पड़ सकता है।

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विदेशी ड्रोन पर अमेरिका का एक्शन। (AI generated photo)

रूसी एयरबेसों पर यूक्रेन के घातक हमलों के बाद पूरी दुनिया में ड्रोन को लेकर खौफ का माहौल है। दुनिया का सबसे ताकतवर देश यानी अमेरिका भी ड्रोन के खतरों से निपटने में जुट चुका है। उसने विदेश से आने वाले ड्रोनों के नए मॉडल की ब्रिकी पर रोक लगाने का कदम उठाया है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर किया। इसमें कहा गया है कि अमेरिका ने अपनी हवाई सुरक्षा को मजबूत करने के उद्देश्य से यह कदम उठाया है। भारत सरकार भी साल 2022 में विदेश में बने ड्रोन के आयात पर रोक लगा चुकी है। बावजूद इसके देश के अंदर आसानी से चीन निर्मित ड्रोनों की बिक्री धड़ल्ले से हो रही है। इस खबर में जानते हैं कि अमेरिका ने विदेशी ड्रोन पर एक्शन क्यों लिया?

 

अमेरिकी थिंक टैंक फाउंडेशन फॉर डिफेंस ऑफ डेमोक्रेसीज के क्रेग सिंगलटन ने साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट से बातचीत में सरकार के कदम को अमेरिकी ड्रोन नीति में एक अहम मोड़ बताया। युद्ध में कमर्शियल ड्रोनो की भूमिका ने न केवल अमेरिका बल्कि पूरी दुनिया को सकते में डाल दिया है। रूस के खिलाफ अपने 'स्पाइडरवेब ऑपरेशन' में यूक्रेन ने कमर्शियल ड्रोनों का इस्तेमाल किया था। इस घातक हमले में रूस को 40 विमानों का नुकसान उठाना पड़ा।  

 

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क्रेग सिंगलटन का कहना है कि चीन को अब ड्रोन के मामले में खुली छूट नहीं दी जा सकती है। कम लागत और उच्च प्रभाव वाले ड्रोन आधुनिक युद्धों को नया आकार दे रहे हैं। अमेरिका के फैसले से स्पष्ट है कि ड्रोन को अब वाणिज्यिक उपकरण के रूप में नहीं देखा जाएगा। इन्हें महाशक्तियों के बीच दोहरे उपयोग वाले प्लेटफॉर्म के तौर पर देखा जाएगा।

 

छोटे कमर्शियल ड्रोनों से क्या खतरा?

  • आकार में बेहद छोटे होते हैं। इनको पकड़ना मुश्किल।
  • बेहद नीचे उड़ने के कारण रडार भी नहीं पकड़ पाता।
  • कम गर्मी छोड़ने की वजह से इन्फ्रा रेड तकनीक को भी चकमा देने में सक्षम।
  • इनकी कीमत बेहद कम होती है। भारत में कुछ हजार से लाख रुपये तक मिल जाते हैं।

अमेरिका को क्यों पड़ी सख्ती की जरूरत?

कार्यकारी आदेश में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि अपने आसमान में अमेरिकी की संप्रभुता को सुनिश्चित करने के लिए एक्शन की जरूरत है। विदेशी निर्मित ड्रोन जनता को खतरे में डाल रहे हैं। वे अहम बुनियादी ढांचे से समझौता कर रहे हैं। बता दें कि अमेरिका ने पिछले साल के कानून के आधार पर यह फैसला किया गया। इसमें गया था कि एक राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी एक साल के भीतर DJI और ऑटेल रोबोटिक्स से जुड़े खतरों की समीक्षा करेगी। अगर समीक्षा समय पर पूरी नहीं होती है तो दोनों कंपनियों अमेरिका में अपने नए ड्रोन मॉडल नहीं बेच सकेंगी।

 

  • ड्रोन के क्षेत्र में चीन का दबदबा है। अमेरिका इसे खत्म करना चाहता है। कार्यकारी आदेश में अमेरिका सरकार से ड्रोन तकनीक में निवेश की सिफारिश की गई है।
  • अमेरिका के ड्रोन बाजार में चीन के डीजेआई और ऑटेल जैसी कंपनियां काफी हद तक हावी हैं। अमेरिका चीनी ड्रोनों को खतरे के तौर पर देखता है। 
  • अमेरिका का मानना है कि डीजेआई के ड्रोन गोपनीय जानकारी चीन के अधिकारियों तक पहुंचा सकते हैं।
  • अमेरिका में तस्करी के कई मामलों में इन ड्रोन की भूमिका भी सामने आ चुकी है।
  • फ्लोरिडा और मिसिसिपी समेत कुछ अमेरिकी राज्यों में पहले से ही सरकारी कंपनियों पर चीनी में बने ड्रोन खरीदने पर बैन है।
  • अमेरिका का दावा है कि चीन में नागरिक कंपनियों को पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के साथ सहयोग करना आवश्यक है। ड्रोन कंपनियां भी इसी तरह चीनी सेना से जुड़ी हैं। 
     

डीजेआई क्यों है अमेरिका के रडार पर?

अमेरिकी सरकार की एक रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिका के ड्रोन बाजार में 90 फीसदी और वैश्विक ड्रोन बाजार में 70 फीसदी दबदबा चीनी कंपनी DJI का है। यानी अमेरिका में बिकने वाले हर 10 में से 9 ड्रोन डीजेआई के होते हैं। डीजेआई कंपनी का मुख्यालय चीन के शेन्जेंन में है। पहली बार साल 2017 में अमेरिकी सेना ने डीजेआई ड्रोन से जुड़ी सुरक्षा कमजोरियों को पकड़ा और उस पर बैन लगाया था। इसी साल अमेरिका के गृह मंत्रालय ने एक चेतावनी जारी की। इसमें कहा गया कि डीजेआई अहम बुनियादी ढांचे का डेटा एकत्र कर सकता है और इसे चीनी अधिकारियों तक पहुंचा सकता है। 2022 में अमेरिका ने डीजेआई को चीनी सेना की कंपनी माना। हालांकि डीजेआई ने अमेरिकी अदालत में इसे चुनौती दे रखा है।

भारत तीन साल पहले लगा चुका बैन

भारत सरकार के वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय ने 9 फरवरी 2022 को एक अधिसूचना जारी की थी। इसमें कहा गया था कि विदेश व्यापार महानिदेशालय (DGFT) ने विदेशी ड्रोन के आयात पर प्रतिबंध लगा दिया है। सिर्फ रक्षा, स्वास्थ्य, सूची प्रबंधन, आपदा, सुरक्षा, कृषि, अनुसंधान और विकास के उद्देश्य से ड्रोन का आयात किया जा सकता है, लेकिन सरकार से मंजूरी लेनी होगी। मंत्रालय ने बताया कि ड्रोन के पुर्जों के आयात पर कोई प्रतिबंध नहीं है। सरकार के प्रतिबंध का धड़ल्ले से उल्लंघन किया जा रहा है। 

 

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भारत में हो रहा बैन का उल्लंघन

भारत में बैन के बावजूद DJI के ड्रोनों को दिल्ली समेत देश के अन्य हिस्सों में धड़ल्ले से भेजा जा रहा है। सोशल मीडिया पर कई दुकानदारों के वीडियो हैं, जो डीजेआई समेत तमाम चीन निर्मित ड्रोनों को बेखौफ होकर बेचते हैं। माना जाता है कि इन ड्रोनों तस्करी के माध्यम से भारत लाया जाता है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भी एक वीडियो सोशल मीडिया पर अपलोड किया था। इसमें वे बैन के बावजूद चीनी कंपनी डीजेआई का ड्रोन उड़ाते हैं। देश के अंदर कई ई-कॉमर्स कंपनियां खुलेआम डीजेआई समेत चीनी ड्रोन बेचने में जुटी हैं। 

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