क्या भिड़ जाएंगे अमेरिका-चीन, ताइवान से सीरिया तक क्यों टेंशन?
अमेरिका और चीन के रिश्ते तेजी से बिगड़ने लगे हैं। आने वाले समय में ये और भी निचले स्तर पर पहुंच सकते हैं। अगर ताइवान पर चीन ने हमला किया तो विवाद संघर्ष में बदल सकता है।

डोनाल्ड ट्रंप और शी जिनपिंग। (AI Generated Image)
टैरिफ विवाद के अलावा चीन और अमेरिका के बीच कई अन्य मुद्दों पर तनाव देखने को मिल रहा है। सीरिया से ताइवान तक दोनों देशों के बीच कशीदगी का माहौल है। सिंगापुर में आयोजित शांगरी-ला डायलॉग सुरक्षा फोरम में अमेरिका के रक्षा मंत्री ने दावा किया कि चीन ताइवान पर हमले की योजना बना रहा है। दूसरी तरफ अमेरिका में ट्रंप प्रशासन चीनी छात्रों पर सख्त होने लगा है। जवाब में चीन ने रेयर अर्थ के निर्यात पर रोक लगा दी है। इस बीच अमेरिका के रक्षा मंत्री का कहना है कि अगर चीन ने ताइवान पर हमला किया तो हिंद-प्रशांत क्षेत्र में उसे भयानक परिणाम भुगतने होंगे। आइए जानते हैं कि चीन और अमेरिका के बीच विवाद कैसे बढ़ रहा है, क्या यह किसी संघर्ष में बदल सकता है?
अमेरिकी अधिकारियों का दावा है कि चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने अपने जनरलों को 2027 तक ताइवान पर कब्जा करने के लिए तैयार रहने का आदेश दिया है। अमेरिका का यह भी मानना है कि चीन के पास ताइवान पर पहले भी हमला करने की क्षमता है। अमेरिका के रक्षा मंत्री पीट हेगसेथ ने सिंगापुर में कहा कि अगर चीन ने ताइवान के खिलाफ बल प्रयोग करने की कोशिश की तो इसके परिणाम हिंद-प्रशांत से कहीं आगे तक जाएंगे।
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पहले अमेरिका के केंद्र में यूरोप था। मगर अब उसका पूरा ध्यान हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन के खिलाफ है। यह पेंटागन के मुखिया के बयान से भी स्पष्ट होता है। उन्होंने हाल ही में कहा कि वाशिंगटन ने हिंद-प्रशांत क्षेत्र पर ध्यान केंद्रित किया है। अब यूरोप को अपनी रक्षा की जिम्मेदारी लेनी होगी। हम यह भी उम्मीद करते हैं कि हमारे एशियाई और प्रशांत साझेदार अपनी रक्षा को उन्नत करेंगे और अमेरिका के साथ मिलकर काम करेंगे। पेंटागन के मुखिया ने अपने साझेदारों से रक्षा खर्च बढ़ाने की अपील भी की।
टैरिफ विवाद
दूसरी बार राष्ट्रपति चुनाव जीतने के बाद ट्रंप ने चीनी वस्तुओं पर 145 फीसदी टैरिफ लगाने का एलान किया। बदले में चीन ने भी अमेरिकी वस्तुओं पर 125 फीसदी टैरिफ लगा दिया। टैरिफ पर चीन और अमेरिका ने जिनेवा में दो दिनों तक बातचीत की। 12 मई को दोनों देशों के बीच एक समझौता हुआ। इसके तहत अमेरिका ने चीनी सामान पर 30 फीसदी और चीन ने अमेरिकी वस्तुओं पर 10 फीसदी शुल्क लगाने की बात कही, लेकिन यह व्यवस्था सिर्फ 90 दिनों तक लागू रहेगी।
छात्रों के वीजा पर बवाल
भारत के बाद सबसे अधिक चीनी छात्र अमेरिका पढ़ने जाते हैं। 2023-2024 में अमेरिका में चीनी छात्रों की संख्या लगभग 270,000 थी। अब अमेरिका ने चीनी छात्रों के खिलाफ एक्शन लेने का एलान किया है। अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने एलान किया कि अमेरिका में पढ़ने वाले चीनी छात्रों के वीजा को आक्रामक तौर पर रद्द किया जाएगा। चीन और हांगकांग से मिलने वाले नए वीज़ा आवेदकों की जांच बढ़ाने का भी आदेश दिया गया है। चीन अमेरिका के इस कदम के खिलाफ है। चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता माओ निंग का कहना है कि अमेरिका ने विचारधारा और राष्ट्रीय अधिकारों के बहाने चीनी छात्रों के वीजा को अनुचित तरीके से रद्द किया है। इससे चीनी छात्रों के अधिकारों को नुकसान पहुंचा है। ट्रंप सरकार ने हार्वर्ड विश्वविद्यालय पर चीन की चीनी कम्युनिस्ट पार्टी से साथ कोआर्डिनेट करने का आरोप लगाया है।
सेमीकंडक्टर पर तनातनी
सेमीकंडक्टर मामले में भी अमेरिका और चीन के बीच लंबे समय से तनातनी है। 28 मई को ट्रंप सरकार ने एक आदेश दिया किया। इसमें सेमीकंडक्टर डिजाइन करने के लिए सॉफ्टवेयर बनाने वाली अमेरिकी कंपनियों को चीनी के साथ व्यापार बंद करने को कहा गया। इससे पहले 13 मई को अमेरिकी वाणिज्य विभाग ने अमेरिकी कंपनियों को हुआवेई के एसेंड एआई सेमीकंडक्टर चिप्स के खिलाफ एक चेतावनी जारी की थी। चीन ने अमेरिका के इस कदम का विरोध किया और कहा कि वाशिंगटन एकतरफा धौंस जमा रहा है।
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रेयर अर्थ वाला एंगल भी जानें
अमेरिका के खिलाफ चीन ने बड़ा कदम उठाया। उसने रेयर अर्थ के निर्यात पर रोक लगा दी। रेयर अर्थ का इस्तेमाल रक्षा, स्वास्थ्य, तकनीक और ईवी वाहनों में होता है। आज चीन दुनिया का लगभग 90 फीसदी रेयर अर्थ खनिजों का प्रसंस्करण करता है। अप्रैल में निर्यात पर चीन के रोक के बाद अमेरिकी कंपनियों में दहशत का माहौल है। शिकागो में फोर्ड को अपना एक कारखाना रेयर अर्थ खनिजों की कमी के कारण बंद करना पड़ा। फोर्ड की तरह ही अमेरिका की कई अन्य कंपनियां संकट से गुजर रही हैं।
सीरिया ने बढ़ाई ड्रैगन की टेंशन
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में सीरिया की सेना में विदेशी आतंकवादियों को भर्ती करने की मंजूरी दी है। चीन इससे भी खफा है। पूर्व आतंकी और अब सीरिया के राष्ट्रपति अहमद हुसैन अल-शरा ने आतंकियों को भर्ती का प्लान तैयार किया है। सीरिया लगभग 40 हजार विदेशी आतंकी पहुंच चुके हैं। इनमें से अधिकांश उइगर मुस्लिम और तुर्किस्तान इस्लामिक पार्टी के लड़ाके शामिल हैं। चीन को डर सता रहा है कि इससे उसके वहां आतंकवाद की नई लहर पैदा हो सकती है। संयुक्त राष्ट्र में चीन के स्थायी प्रतिनिधि फू कांग ने अमेरिका के इस कदम का विरोध किया। उन्होंने सीरिया से अपने आतंकवाद विरोधी दायित्वों को पूरा करने की अपील की।
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