logo

ट्रेंडिंग:

दाद के वैक्सीन से कैसे कम हो सकता है डिमेंशिया का खतरा? पढ़ें स्टडी

डिमेंशिया दिमाग के काम करने की कार्य क्षमताओं को प्रभावित करता है। स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी में हाल ही में स्टडी हुई है कि जिसमें दावा किया गया है कि एक वैक्सीन की मदद से इसे 20% तक कम किया जा सकता है।

Dementia

प्रतिकात्मक तस्वीर (Photo Credit: Freepik)

डिमेंशिया एक ऐसा शब्द जिसका इस्तेमाल उन लक्षणों के लिए किया जाता जो आपके याददाशत, सोचने, समझने की शक्ति को प्रभावित करता है। इससे पीड़ित लोगों को अपने रोजमर्रा के काम करने में दिक्कतें आती हैं। यह विशेष रूप से कोई बीमारी नहीं है। डिमेंशिया होने के कई कारण हो सकते हैं। खासतौर से डिमेंशिया को भूल जाने (चीजें याद नहीं रहने) की समस्या से जोड़ा जाता है।

 

अभी तक इसका कोई इलाज नहीं मिला है लेकिन इसके लक्षणों को दवाओं की मदद से नियंत्रित कर सकते हैं। अलजाइमर होने का मुख्य कारण डिमेंशिया है। हाल ही में स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी में एक स्टडी हुई है जिसमें दावा किया गया है कि दाद को रोकने के लिए जिस वैक्सीन का इस्तेमाल होता है, उसी वैक्सीन की एक डोज लेने से डिमेंशिया के खतरे को 20% तक कम किया जा सकता है। 

 

ये भी पढ़ें- ऑफिस में आप भी खूब पीते हैं ब्लैक कॉफी? डाइटीशियन से लिमिट जान लीजिए

 

दाद के इलाज के लिए होता है शिंग्रिक्स का इस्तेमाल

 

दाद एक फंगल संक्रमण है जो त्वचा, खोपड़ी, नाखून, हाथों और पैरों की उंगलियों के बीच में हो जाता है। त्वचा के उस हिस्से में लाल आकार का गोला या फफोले पड़ जाता है। साथ ही खुजली की समस्या भी रहती है। दाद से बचने के लिए रिकॉम्बिनेंट ज़ोस्टर वैक्सीन का इस्तेमाल होता है। इसे शिंग्रिक्स नाम से भी जाना जाता है, यह दाद के खिलाफ शरीर को प्रतिरक्षा देता है। इसकी एक डोज, डिमेंशिया के खतरे को 20 प्रतिशत तक कम कर सकती है। स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी की एक रिसर्च में यह दावा किया गया है। जोस्टावैक्स भी इस्तेमाल की जाती है। यह भी एक वैक्सीन है, जैसे कोविशील्ड, कोवैक्सीन, वैसे ही वैक्सीन की अलग-अलग कंपनियां हैं।

 

महिलाओं पर अधिक प्रभावी दिखी वैक्सीन

 

रिसर्च में पाया गया कि यह वैक्सीन महिलाओं पर पुरुषों के मुकाबले ज्यादा कारगर साबित हुई है। विशेषज्ञों का कहना है कि महिलाओं का इम्यून सिस्टम पुरुषों के मुकाबले ज्यादा स्ट्रांग होता है जिस कारण से वैक्सीन का असर उन पर ज्यादा हुआ है। हालांकि यह अध्ययन अभी अपने शुरुआती चरण में है। वैज्ञानिक अभी इसके बारे में और शोध कर रहे हैं। 

 

 

इस अध्ययन को 'नेचुरल एक्सपेरिमेंट' नाम दिया गया क्योंकि वेल्स में वैक्सीनेशन जिस तरह से शुरू हुआ वह एक परीक्षण जैसा था। इस वैक्सीनेशन प्रोग्राम की शुरुआत 1 सितंबर 2023 को हुई थी उस तारीख को जो लोग 79 साल के थे उन सभी को टीका लगाया गया। वहीं, जो लोग 78 साल के थे उन्हें अगले साल टीका लगाया गया। जो लोग 80 साल से ज्यादा के थे उन्हें वैक्सीन नहीं लगाया गया। अध्ययन में सामान्य आयु वाले लोगों का समूह बनाया गया, जो सामान परिस्थितियों में रह रहे थे। इससे स्टैनफोर्ड मेडिसिन के शोधकर्ताओं को डिमेंशिया पर वैक्सीन का क्या प्रभाव पड़ा। 

 

ये भी पढ़ें-  क्या रात को अचानक खुल जाती है आपकी नींद? हो सकती हैं ये परेशानियां

 

कैसे काम करती है वैक्सीन

 

वैज्ञानिकों को इसके बारे में निश्चित रूप से कोई जानकारी नहीं है। एक सिद्धांत यह है कि वैक्सीन वायरस को रिएक्टिवेट होने से रोकता है। शोधकर्ताओं का यह भी कहना है कि वैक्सीन इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाकर दिमाग को बेहतर तरीके से काम करने में मदद करता है। इससे न्यूरोलॉजिकल डिजीज के जोखिम को कम किया जा सकता है। हालांकि इस अध्य्यन के सकारात्मक परिणाम देखने को मिल रहे हैं। ऐसे में हम कह सकते हैं कि आने वाले समय में डिमेंशिया का इलाज मुमकिन है।

 

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक, दुनियाभर में 5.5 करोड़ से अधिक लोग डिमेंशिया से पीड़ित हैं। हर साल लगभग एक करोड़ नए मामले सामने आते हैं। पुरुषों के मुकाबले  महिलाओं में डिमेंशिया के मामले ज्यादा देखने को मिलते हैं।

Related Topic:#Health#Dementia

शेयर करें

संबंधित खबरें

Reporter

और पढ़ें

design

हमारे बारे में

श्रेणियाँ

Copyright ©️ TIF MULTIMEDIA PRIVATE LIMITED | All Rights Reserved | Developed By TIF Technologies

CONTACT US | PRIVACY POLICY | TERMS OF USE | Sitemap