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डॉग ऑनर्स के लिए खुशखबरी! पेट्स रखने से दूर रहती है दिल की बीमारियां

आज के समय में ज्यादातर लोग अपने घर में पेट्स रखते हैं। क्या आप जानते हैं कि पेट्स रखने से मालिक को दिल की बीमारियां होने का खतरा कम हो जाता है।

owner with pet

प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credit: Freepik)

आज के मॉडर्न लाइफस्टाइल में लोगों के घर में पेट्स रखने को स्टाइल स्टेटमेंट माना जाता है। आम लोगों से लेकर सेलिब्रिटीज तक के पास में कैट या डॉग होता है। घर में पालतू जानवर रहने से हर किसी को उससे लगाव हो जाता है। आमतौर पर ज्यादातर लोग अपने घर में कुत्ता पालते हैं। कुत्ते बहुत वफादार होते हैं। उनके साथ फ्रेडली रिलेशनशिप बहुत जल्द बन जाता है। इन कारणों से ओनर की पहली पसंद डॉग होता है। वह अपने नए दोस्त के साथ वॉक पर जाते हैं। उसके साथ खेलते हैं। इतना ही नहीं पेट्स रखने की वजह से आप स्ट्रेस से दूर रहते हैं। हमें लगता है कि कुत्ता पालकर समाज सेवा का काम कर रहे हैं लेकिन सच ये है इनकी वजह से ओनर्स अपनी लाइफ में बहुत कुछ सीखते हैं। इनकी वजह से आपकी हेल्थ भी अच्छी रहती है। 

 

स्टडी में दावा किया गया है कि पेट्स पालने की वजह से उम्र बढ़ती हैं। साथ ही हृदय संबंधी बीमारियों का जोखिम भी कम हो जाता है। आइए जानते हैं इस स्टडी को लेकर हमारे डॉक्टर्स की क्या राय है?

 

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American Heart Association ने साल 2013 में कहा था, 'डॉग ओनर्स में हृदय संबंधी बीमारियां होने का खतरा कम होता है'। 2019 में Circulation: Cardiovascular Quality and Outcomes के जर्नल में पब्लिशड स्टडी में पाया गया कि सामान्य जनता में डॉग ओनर्स की मृत्यु का जोखिम 24 प्रतिशत कम हो जाता है और अकेले रहने वाले हार्ट अटैक सर्वाइर में  मृत्यु का खतरा 33 प्रतिशत कम हो जाता है। इस स्टडी को मजबूती तब मिली जब अध्ययनों में बताया गया कि कुत्ते को पालने से फिजिक्ल एक्टिविटी बढ़ती है। इस वजह से स्ट्रेस और ब्लड प्रेशर को नियंत्रित रखने में मदद मिलती है।

 

क्या सच में हार्ट डिजीज का खतरा होता है कम?

 

एक स्टडी में स्वीडिश नेशनल पेशेंट रजिस्टर के डेटा को लिया गया जिनकी उम्र 40 से 85 वर्ष के बीच थी। ये डेटा जनवरी 2001 से 2012 दिसंबर तक हार्ट अटैक या स्ट्रोक आए मरीजों का था। इस डेटा को स्वीडिश केनेल क्लब और स्वीडिश बोर्ड ऑफ एग्रीकल्चर डॉग रजिस्टर से जोड़ा गया। स्टडी में बताया गया था कि 1,81, 696 लोगों को हार्ट अटैक आया था जिसमें से 5.7 प्रतिशत लोगों के पास डॉग था। वहीं, 1,54, 617 लोगों को स्ट्रोक आया था जिसमें से 4.8 प्रतिशत लोगों के पास कुत्ते थे। 

 

उस स्टडी में उनकी इनकम, बीमारियां, मैरिटल स्टेटस, बच्चे सभी चीजों को देखते हुए निष्कर्ष निकाला गया कि हार्ट अटैक के बाद बचने वाले 33 प्रतिशत लोग अकेले रहते थे जिनके पास कुत्ता था। स्टडी में बताया गया, अकेलेपन और आलस्य भरी लाइफस्टाइल की वजह से जल्दी मौत हो जाती है। ऐसे में कुत्ते अपने मालिक को बाहर जाने के लिए मोटिवेट करते हैं। वह उस समय में उनका सबसे बड़ा सपोर्ट सिस्टम होते हैं। ये भी देखा गया है कि कुत्ता रखने वाले लोग आमतौर पर ज्यादा सोशल इंटरेक्शन करते हैं।

 

डिप्रेशन से बचाते हैं पालतू कुत्ते

 

एक अन्य स्टडी में 3, 837,005 लोगों का डेटा लिया गया था। इस स्टडी में कहा गया कि जिन लोगों के पास डॉग रहता है उनके मरने का खतरा 24 प्रतिशत तक कम हो जाता है। इसके अलावा डॉग ओनर में कार्डियोवैस्कुलर बीमारी का खतरा भी 65 प्रतिशत तक कम हो जाता है। स्टडी में बताया गया कि कुत्ता रखने की वजह से ब्लड प्रेशर नियंत्रित रहता, कोलेस्ट्रॉल बेहतर होता है और डिप्रेशन का जोखिम कम होता है।

 

कैसे होता है पेट् और ओनर में रिश्ता

 

पेट ओनर अपने पेट् को बच्चे की तरह पालते हैं। वह उनकी हर छोटी-छोटी जरूरत का ख्याल रखते हैं। साल 2014 में अमेरिकन पेट् प्रोडक्ट एसोसिएशन ने बताया था कि अमेरिकन सालभर में अपने पेट्स पर सालाना 58 बिलियन डॉलर खर्च कर देते हैं। पिछले कुछ सालों में पेट्स रखने का ट्रेंड तेजी से बढ़ा है। पेट् ओनर्स का मानना है कि एनिमल का साथ उनके लिए अच्छा है। पेट्स उनकी जरूरतों को पूरा करते हैं जिसे वो कभी कहते नहीं है। इस वजह से पेट् और उनके ओनर में बहुत ही खास रिश्ता बन जाता है। पेट्स और ओनर के बीच में सेल्फ डेटरमिनेशन थयोरी काम करता है।

 

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पेट्स के होने से बच्चों का विकास होता है बेहतर

 

ह्यूमन एनिमल बॉन्ड रिसर्च इंस्टीयूट ने अपनी स्टडी में बताया कि पेट् ओनर्स के बच्चे आसानी से बाकी लोगों से घूल मिल जाते हैं। पेट्स की वजह से बच्चों का सोशल  इमोशनल डेवलपमेंट बेहतर होता है। पेट्स के साथ खेलने की वजह से बच्चे ज्यादा एक्टिव रहते हैं। बच्चे पालतू पेट्स के साथ ज्यादा खुश रहते हैं।

 

जानें क्या कहते हैं एक्सपर्ट्स

 

दिल्ली के राम मनोहर लोहिया अस्पताल के प्रोफेसर और मनोचिकित्सक डॉक्टर लोकेश सिंह शेखावत ने बताया, 'किसी भी पेट के मुकाबले में ज्यादातर लोग डॉग को रखना पसंद करते हैं क्योंकि इनके साथ कनेक्ट बहुत जल्दी करते हैं। ये बहुत ही लॉयल होते हैं। इनके साथ इमोशनल कनेक्ट बहुत जल्द बन जाते हैं। बाकि पेट्स के साथ क्या है कि वो आपको काट सकते हैं। कभी भी रिएक्ट कर सकते हैं और इमोशनल कनेक्ट भी नहीं बना पाते हैं। उनके साथ फिजिकल अटेचमैंट भी बन जाता है इसलिए डॉग आपके उस खालीपन को भर देते हैं'।

 

उन्होंने आगे बताया, 'डॉग के साथ पॉजिटिव वाइब आती है। आप खुद को रिलेक्स करने के लिए योगा और मेडिटेशन करते हैं। डॉग आपको रिलेक्स करते हैं। वो आपके पास आएंगे। आपको प्यार करेंगे, गले लगाएंगे। ये आपके लिए डिस्ट्रेक्शन का काम करता है। आप उस समय अपने ऑफिस की टेंशन भूल जाएंगे क्योंकि उन्हें नहीं पता कि आप टेंशन में हैं। वो कुछ ना कुछ करेगा। उनका एक बॉयोलिजिक्ल साइकिल होता है। वह जल्दी सो जाते हैं और सुबह जल्दी उठते हैं। इस कारण ओनर को भी उसे वॉक पर लें जाना पड़ता है। आप रात को जल्दी सोएंगे और सुबह जल्दी उठेंगे। इससे आपका स्लीप साइकिल बेहतर होगा। इसकी वजह से आपका लाइफस्टाइल बेहतर होगा। आप डॉग की वजह से फिजिक्ल एक्टिविटी करेंगे'।

 

डॉग ओनर्स का हार्ट हेल्थ बेहतर क्यों होता है?

 

मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज के प्रोफेसर ऑफ मेडिसिन रवि कौशिक ने बताया, इसमें बहुत सारी चीजें काम करती हैं। अगर आप हटिंग डॉग रखते हैं तो वो ज्यादा एक्टिव होते हैं। उनमें हार्ट डिजीज होने का खतरा और भी ज्यादा कम हो जाता है। अगर कोई व्यक्ति ज्यादा एक्टिव है तो उनमें हार्ट डिजीज होने का खतरा कम हो जाता है। डॉन ओनर्स बाकी लोगों से कम अकेलापन महसूस करते हैं। हार्ट डिजीज होने का सबसे बड़ा कारण डिप्रेशन होता है। उनकी लाइफ में कोई होता है जिसका उन्हें ख्याल रखना है। उन लोगों में साइटोकाइन (ये एक तरह का फ्री रेडिकल होता) कम बनता है।

 

डॉग ओनर्स में हार्ट अटैक के बाद सर्वाइवल रेट ज्यादा क्यों होता है ?

 

उन्होंने कहा, उनका फिजिक्ल एक्टिविटी पहले से ही बेहतर होता है। इसलिए उनका सर्वाइवल रेट ज्यादा होता है। एक्टिव डॉग ओनर्स में हार्ट रेट वैरिएबिलिटी बेहतर होता है। इन लोगों में हार्ट रेट भी कम होता है। ऐसे केस में हार्ट अटैक का खतरा कम होता है। इसकी वजह से हार्ट स्ट्रोक होने का खतरा कम होता है।

 

ऐसा होता है ओनर्स का अपने पेट्स से रिश्ता

 

अमित झा जो एक डॉग ओनर है, उन्होंने बताया कि उनके पास लैब्राडोर ब्रीड है। उसे जब हम घर लेकर आए तो मेरी मम्मी बहुत खुश नहीं थी। हालांकि आज वो हम सबसे से ज्यादा उसकी देखभाल करती हैं। इसे हम प्यार से रॉक्सी बुलाते हैं। रॉक्सी घर में सबका चहेता है। ये बीमार होता है तो पापा को लगता है उनका चौथा बेटा बीमार हो गया है।

 

प्रिंस त्यागी जो एक पेट् ओनर है, उन्होंने बताया है कि वह डॉग लवर है। उसे रोज सुबह घूमाने लें जाना और शाम को उसके साथ खेलना पसंद है। कई बार उदास होने पर वह उसके पास जाकर बैठ जाते हैं तो उन्हें बहुत अच्छा महसूस होता है। उन्होंने कहा कि मेरी शादी नहीं हुई लेकिन मेरे पहला बच्चा शेरू है।

 

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