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निर्भया मामले के बाद आया 'डिजिटल रेप', मेदांता केस से समझें इसका मतलब

हरियाणा में गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में एयर होस्टेस का डिजिटल रेप हुआ था। आरोपी पोर्न एडिक्ट था और पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया है।

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सांकेतिक तस्वीर, Photo Credit: Pixabay

हरियाणा के गुरुग्राम में मेदांता अस्पताल के आईसीयू वार्ड में एक 46 वर्षीय एयर होस्टेस के साथ डिजिटल ब्लात्कार की घटना हुई। पीड़िता एक निजी एयरलाइंस में एयर होस्टेस थी और ट्रेनिंग के लिए गुरुग्राम आई थी। 5 अप्रैल को स्विमिंग पूल में डूबने के कारण उनकी तबीयत बिगड़ गई, जिसके बाद उन्हें मेदांता अस्पताल में भर्ती किया गया। 6 अप्रैल की रात करीब 9 बजे, जब पीड़िता आधी बेहोशी की हालत में वेंटिलेटर पर थी, एक अज्ञात व्यक्तिन ने 2 नर्सों के सामने उनके साथ डिजिटल रेप किया। पीड़िता ने अपनी शिकायत में बताया कि उस व्यक्ति ने नर्स से उनकी कमर का साइज पूछा, फिर चादर के नीचे हाथ डालकर उनके निजी अंगों के साथ छेड़छाड़ की।

 

दीपक कुमार गिरफ्तार

घटना के बाद, नर्स ने चादर पर खून के धब्बे देखे और पूछा कि यह कहां से आया। दूसरी नर्स ने सोचा की महिला को पीरियड्स आए हुए है। 13 अप्रैल को अस्पताल से छुट्टी मिलने के बाद, पीड़िता ने अपने पति को घटना बताई और 14 अप्रैल को उनके पति ने पुलिस कंट्रोल रूम 112 पर कॉल कर शिकायत दर्ज की। गुरुग्राम पुलिस ने मामले की जांच शुरू की और अस्पताल के सीसीटीवी फुटेज खंगाले। 18 अप्रैल को पुलिस ने आरोपी दीपक कुमार को गिरफ्तार कर लिया। दीपक बिहार के मुजफ्फरपुर का निवासी है और वह मेदांता अस्पताल में पिछले 5 महीनों से मशीन टेक्नीशियन के रूप में काम कर रहा था। 

 

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डीजिटल रेप (Digital Rape) क्या है?

पुलिस कमिश्नर विकास अरोड़ा ने डीसीपी अर्पित जैन के नेतृत्व में 6 सदस्यीय विशेष जांच टीम (SIT) गठित की, जिसमें एसीपी कविता, एसीपी यशवंत, और अन्य शामिल हैं। पूछताछ में दीपक ने अपराध कबूल किया। पुलिस ने उसके फोन की सर्च हिस्ट्री चेक की तो पता चला की उसे अश्लील वीडियो देखने की लत थी। इस मामले में जो एक बात सामने आई वो है कि महिला के साथ डिजिटल रेप हुआ था जो कहीं से भी इंटरनेट या ऑनलाइन से संबंधित नहीं है। ऐसे में आइये समझें की आखिर डीजिटल रेप (Digital Rape) क्या है?

 

डिजिटल रेप को आसान भाषा में समझें

डिजिटल रेप एक तरीके का यौन अपराध है, जिसमें कोई व्यक्ति बिना सहमति के किसी महिला या बच्चे के निजी अंगों में अपनी उंगलियां, अंगूठा, पैर की उंगली या किसी अन्य वस्तु का इस्तेमाल करता है। यह शारीरिक बलात्कार से अलग है क्योंकि इसमें जननांग (पेनिस) का इस्तेमाल नहीं होता। यहां डिजिटल का मतलब इंटरनेट या ऑनलाइन से नहीं है। अंग्रेजी में डिजिट का अर्थ है उंगली, अंगूठा या पैर की उंगली। इसलिए, इस अपराध में शरीर के प्राइवेट पार्ट का दुरुपयोग होता है। उदाहरण से समझें तो गुरुग्राम के मामले में आरोपी दीपक ने पीड़िता के निजी अंगों में अपनी उंगली डालकर छेड़छाड़ की, जिसे डिजिटल रेप माना गया। 

 

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निर्भया अधिनियम में किया गया शामिल

बता दें कि डिजिटल रेप को 2013 के आपराधिक कानून संशोधन (निर्भया अधिनियम) के बाद भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 375 में बलात्कार की परिभाषा के तहत शामिल किया गया। यह अपराध गैर-जमानती है, यानी दोषी को आसानी से जमानत नहीं मिलती। इसमें कम से कम 7 साल की जेल, जो कुछ मामलों में 10 साल या आजीवन कारावास तक हो सकती है। अगर पीड़िता नाबालिग है तो पॉक्सो अधिनियम के तहत और सख्त सजा (20 साल तक उम्रकैद) हो सकती है। 

 

क्यों है यह गंभीर अपराध

डिजिटल रेप पीड़िता को शारीरिक चोट जैसे गुरुग्राम मामले में खून के धब्बे) और गंभीर मानसिक आघात पहुंचाता है। यह अपराध तब होता है, जब पीड़िता की मर्जी के खिलाफ या उसकी असहाय स्थिती जैसे बेहोशी का फायदा उठाया जाता है। ज्यादातर लोग डिजिटल रेप शब्द से अनजान हैं, जिसके कारण कई मामले दर्ज नहीं होते। 

 

कानूनी प्रक्रिया और सजा

गुरुग्राम मामले में पीड़िता की शिकायत पर भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धाराओं के तहत केस दर्ज किया गया। SIT मामले की गहन जांच कर रही है, जिसमें सीसीटीवी, स्टाफ की पूछताछ, और फोरेंसिक सबूत शामिल हैं। यह एक गैर-जमानती अपराध है और आरोपी ने अपराध भी कबूल कर लिया है, उसे 7 साल से लेकर आजीवन कारावास तक की सजा हो सकती है।

 

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डिजिटल रेप के कुछ बड़े मामले 

नोएडा में 3 साल की बच्ची का डिजिटल रेप (2019, सजा 2022)

 

2019 में, 65 वर्षीय अकबर अली ने पड़ोस की 3.5 साल की बच्ची को टॉफी का लालच देकर अपने घर बुलाया और डिजिटल रेप किया। बच्ची के माता-पिता ने पुलिस में शिकायत दर्ज की और मेडिकल जांच में डिजिटल रेप की पुष्टि हुई। 30 अगस्त 2022 को सूरजपुर जिला और सत्र न्यायालय ने अकबर अली को आजीवन कारावास की सजा सुनाई। उसे POCSO एक्ट के तहत दोषी ठहराया गया। 

 

नोएडा में 7 महीने की बच्ची का डिजिटल रेप (2022)

 

अगस्त 2022 में, 50 वर्षीय मनोज लाला को 7 महीने की बच्ची के साथ डिजिटल रेप करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया। यह घटना बेहद चौंकाने वाली थी, क्योंकि पीड़िता एक शिशु थी और आरोपी ने उसकी मासूमियत का फायदा उठाया। पुलिस ने POCSO एक्ट और IPC की धारा 375/376 के तहत मामला दर्ज किया।

 

दिल्ली में नाबालिग का डिजिटल रेप (2021, फैसला 2025)

 

अक्टूबर 2021 में, एक व्यक्ति ने नाबालिग लड़की के साथ डिजिटल रेप किया। पीड़िता की मां ने उसकी चीखें सुनीं और उसे आरोपी की गोद में पाया। मेडिकल जांच में निजी अंगों पर चोट की पुष्टि हुई। जनवरी 2025 में, दिल्ली की एक अदालत ने आरोपी को IPC और POCSO एक्ट के तहत दोषी ठहराया।  अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश बबीता पुनिया ने टिप्पणी की कि डिजिटल रेप के मामलों में फोरेंसिक सबूत इकट्ठा नहीं किए गए, जो डीएनए जांच के लिए जरूरी हो सकते है। कोर्ट ने केंद्र सरकार और दिल्ली पुलिस आयुक्त को जांच अधिकारियों को ऐसे सबूत इक्ट्ठा करने के निर्देश दिया है। 

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