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16 साल पहले हुआ था एसिड अटैक, अब तक नहीं मिला न्याय, सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?

मामले को सुनकर सीजेआई ने कहा कि अगर राजधानी ऐसे हालात को नहीं संभाल सकती है तो कौन संभालेगा। यह शर्म की बात है और सिस्टम का मजाक है।

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सुप्रीम कोर्ट।

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सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को एक एसिड अटैक पीड़िता की सुनवाई करते हुए जमकर फटकार लगाई। दरअसल, एसिड अटैक पीड़िता याचिकाकर्ता ने कोर्ट को बताया कि 16 साल पहले 2009 में उसके ऊपर एसिड से हमले किया गया था। उसने बताया कि मगर, आज भी 16 साल बाद मामले का ट्रायल चल रहा है। मामले को सुनने के बाद भारत के चीफ जस्टिस (CJI) सूर्यकांत ने कहा कि यह सिस्टम का मजाक है। मामला देश की राजधानी दिल्ली का है।

 

मामले को सुनकर सीजेआई ने कहा कि अगर राजधानी ऐसे हालात को नहीं संभाल सकती है तो कौन संभालेगा। यह शर्म की बात है और सिस्टम का मजाक है।

 

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कोर्ट ने ऐसे अपराधों पर दुख जताया

शीर्ष कोर्ट ने इस तरह के मामलों में रोजाना ट्रायल का समर्थन किया और महिलाओं के खिलाफ ऐसे अपराधों पर दुख जताते हुए कहा कि किसी भी कोर्ट को उनके प्रति सहानुभूति नहीं रखनी चाहिए।

पेंडिंग ट्रायल के बारे में जानकारी मांगी

इसके साथ ही कोर्ट ने देश के सभी हाई कोर्ट से एसिड एटैक केस में पेंडिंग ट्रायल के बारे में जानकारी मांगी है। यह मामला सीजेआई सूर्यकांत ने और जस्टिस जॉयमाला बागची की बेंच के सामने आई थी। लाइव लॉ की खबर के मुताबिक, सुनवाई के दौरान सीजेआई ने एसिड अटैक पीड़िता शाहीन मलिक को बेंच के सामने अपनी बात रखने की इजाजत दी सीजेआई ने कहा, 'अगर आप कुछ कहना चाहते हैं तो आपका स्वागत है। कृपया कहें। आप इतनी दूर से आए हैं, हम आपको सुनना चाहेंगे।'

 

याचिकाकर्ता ने कोर्ट से कहा, 'मेरे ऊपर साल 2009 में एस्ड ऐटैक हुआ थाअभी तक ट्रायल चल रहा है। 2013 तक केस में कुछ नहीं हुआ और ट्रायल, जो अब दिल्ली के रोहिणी कोर्ट में हो रहा हैअब सुनवाई आखिरी दौर में है'

 

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याचिकाकर्ता ने बेंच को क्या बताया?

याचिकाकर्ता ने बेंच को बताया कि वह अपने केस के साथ ही दूसरे एसिड अटैक पीड़ितों की मदद के लिए भी काम कर रही हैं। ऐसे में जस्टिस सूर्यकांत ने याचिकाकर्ता से ट्रायल में तेजी लाने के लिए एक ऐप्लिकेशन फाइल करने के लिए कहा।

 

याचिकाकर्ता की बात सुनने के बाद सीजेआई सूर्यकांत ने कहा, 'यह अपराध 2009 का है और ट्रायल अब तक पूरा नहीं हुआ है। अगल राष्ट्रीय राजधानी ऐसी चुनौतियों को नहीं संभाल पा रही है तो कौन संभालेगा? यह सिस्टम के लिए शर्म की बात है' बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने देश के सभी हाई कोर्ट के रजिस्ट्री से चार हफ्ते के अंदर जानकारी मांगी है

 

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