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नेहरू की मंगवाई 'रोल्स रॉयस' पति-पत्नी के अलग होने की कैसे बनी वजह?

एक रोल्स रॉयस पति-पत्नी के रिश्ते के लिए जी का जंजाल बन गई। यह मामला इतना बढ़ा कि सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया। बाद में लंबी सुनवाई के बाद शीर्ष कोर्ट ने दोनों की शादी खत्म करवा दी।

Rolls Royce 1951

1951 मॉडल की रोल्स रॉयस कार। Photo Credit- silverstone motor

एक रोल्स रॉयस पति-पत्नी के रिश्ते के लिए जी का जंजाल बन गई। यह मामला इतना बढ़ा कि सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया। बाद में लंबी सुनवाई के बाद शीर्ष कोर्ट ने दोनों की शादी खत्म करवा दी। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने एक-दूसरे से अलग रह रहे इस दंपति की शादी को खत्म कर दिया है। उनके रिश्ते में रोल्स रॉयस की 1951 मॉडल की एक कार को लेकर खटास आ गई थी। इस कार को देश के पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने बड़ौदा की तत्कालीन महारानी के लिए मंगवाया था।

 

जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस जॉयमाल्या बागची और जस्टिस विपुल एम पंचोली की पीठ ने दोनों पक्षों के बीच हुए समझौते को रिकॉर्ड में दर्ज किया। इसके मुताबिक, महिला को पुरुष 2.25 करोड़ रुपये का भुगतान करेगा। इसके बाद उनके बीच सभी दावों का निपटारा हो जाएगा। तीन जजों की पीठ ने 29 अगस्त को एक फैसले में कहा, 'हम याचिकाकर्ता और प्रतिवादी संख्या 1 (पति) के बीच शादी को समाप्त करते हैं। अब उनके बीच कोई भी रिश्ता, चाहे वह वैवाहिक हो या अन्य, नहीं रहेगा।'

 

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30 नवंबर तक देने होंने 2.25 करोड़

समझौते के मुताबिक, पति 31 अगस्त तक एक करोड़ रुपये का भुगतान करेगा और बाकी बचे हुए 1.25 करोड़ रुपये 30 नवंबर तक दे देगा। इस व्यवस्था के तहत, पत्नि अपने पति द्वारा दिए गए उपहारों को अपने पास रखेगी और पति उसे और उसके परिवार को मिले सभी उपहार जैसे सगाई की अंगूठी और अन्य कीमती सामान लौटा देगा, जिसे वह एक करोड़ रुपये के डिमांड ड्राफ्ट के साथ सौंपेगा।

पति-पत्नी के सभी मामले रद्द 

पति-पत्नी के बीच सभी मामलों को रद्द करते हुए पीठ ने इसे पूरा और अंतिम समझौता माना। शादी को खत्म करने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने पक्षों को आगाह किया कि वे सोशल मीडिया सहित किसी भी रूप में एक-दूसरे को बदनाम न करें। ग्वालियर में रहने वाली महिला ने दावा किया कि वह एक काफी प्रतिष्ठित परिवार से ताल्लुक रखती है, जिसके पूर्वज छत्रपति शिवाजी महाराज की नौसेना में एडमिरल थे और उन्हें कोंकण क्षेत्र का शासक घोषित किया गया था।

 

वहीं दूसरी ओर, उसका पति सैन्य अधिकारियों के परिवार से ताल्लुक रखता है और मध्य प्रदेश में एक शैक्षणिक संस्थान संचालित करता है। यह 1951 मॉडल की एक हाथ से बनी हुई क्लासिक रोल्स रॉयस कार है, जो आज तक एक ही मॉडल है। इसकी वर्तमान कीमत ढाई करोड़ रुपये से ज्यादा है। जवाहरलाल नेहरू द्वारा बड़ौदा की तत्कालीन महारानी के लिए मंगवाई गई यह कार विवाद का मुख्य कारण बन गई।

 

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रोल्स रॉयस और मुंबई में फ्लैट की मांग

महिला ने दावा किया कि अलग हो चुके उसके पति और ससुराल वालों ने दहेज में रोल्स रॉयस कार और मुंबई में एक फ्लैट की मांग करके उसे लगातार परेशान किया। हालांकि, पति ने इस आरोप से इनकार किया। महिला ने अपनी याचिका में कहा, 'हाई कोर्ट इस बात पर विचार करने में नाकाम रहा कि पति और ससुर की रॉल्स रॉयस कार मांगने की शुरू से ही गलत मंशा थी, जो अपनी तरह की एक अनूठी कार है और इसे एचजे मुलिनर एंड कंपनी ने महारानी बड़ौदा चिमना बाई साहिब गायकवाड़ के लिए हाथों से बनवाया है।'

महिला के आरोप

महिला ने याचिका में कहा कि इसे देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने उनकी ओर से मंगवाया था। याचिका के अनुसार, 'जब पति की मांगें पूरी नहीं हुईं तो उन्होंने शादी से इनकार करना शुरू कर दिया और पत्नी पर झूठे और तुच्छ आरोप लगाने लगे और उसका चरित्र हनन करना शुरू कर दिया।' 

हाई कोर्ट ने क्या कहा था?

हाई कोर्ट के 5 दिसंबर 2023 के आदेश का उल्लेख करते हुए याचिका में कहा गया, 'यह स्पष्ट है कि पति और ससुर ने महिला के पिता की रोल्स रॉयस कार के प्रति अपना लगाव दिखाया है और इस संदर्भ में उन्हें उक्त कार गिफ्ट में मिलने की उम्मीद थी और मुंबई में फ्लैट के संबंध में और दहेज की इस मांग को पूरा न करना ही महिला को उसके ससुराल न ले जाने का मुख्य कारण था।'

 

मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की ग्वालियर पीठ द्वारा महिला के पति के खिलाफ दहेज और क्रूरता का मामला खारिज किए जाने के बाद, अलग रह रहे दंपति का विवाद सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था।

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