भारत सरकार आने वाले समय में देश में बढ़ती बिजली की मांग को देखते हुए कई बड़े कदम उठाएगी। इसको लेकर खुद केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण (Central Electricity Authority) ने अपनी रिपोर्ट में जानकारी दी है।
केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण ने सोमवार को कहा कि केंद्र सरकार ने देश में बढ़ती बिजली मांग को पूरा करने के लिए 2047 तक ब्रह्मपुत्र बेसिन से 76 गीगावाट से भी ज्यादा ट्रांसमिशन योजना तैयार की है। इस योजना पर 6 लाख 40 हजार करोड़ रुपये (77 बिलियन डॉलर) खर्च होंगे।
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कितनी होगी क्षमता?
सोमवार को जारी एक रिपोर्ट में, सीईए ने कहा कि इस योजना में पूर्वोत्तर राज्यों के 12 उप-बेसिनों में 208 बड़े हाइड्रो प्रोजेक्ट्स शामिल हैं। इन सभी प्रोजेक्ट्स की संभावित क्षमता 64.9 गीगावाट और पंप-स्टोरेज संयंत्रों से 11.1 गीगावाट अतिरिक्त होगी। सीईए ने रिपोर्ट में बताया है कि इन परियोजनाओं के लिए जगह की पहचान कर ली गई है।
सीईए ने रिपोर्ट में कहा, 'ब्रह्मपुत्र नदी बेसिन में पहचानी गई पर्याप्त हाइड्रो क्षमता को देखते हुए, इस अनुमानित क्षमता से बिजली पैदा करने के लिए एक कॉम्प्रिहेंसिव ट्रांसमिशन सिस्टम प्लान की जरूरत महसूस की गई। परिणामस्वरूप, ब्रह्मपुत्र बेसिन के 12 उप-बेसिनों से 65 गीगावाट हाइड्रो उत्पादन क्षमता की निकासी के लिए एक कॉम्प्रिहेंसिव ट्रांसमिशन सिस्टम प्लान तैयार किया गया है।'
ब्रह्मपुत्र नदी का भारत में भूगोल
बता दें कि ब्रह्मपुत्र नदी का कुछ हिस्सा भारत से होकर बहता है। यह नदी तिब्बत से निकलती है और भारत से होते हुए बांग्लादेश में जाती है। ब्रह्मपुत्र नदी विशेष रूप से चीन सीमा के पास अरुणाचल प्रदेश में बहती है। यहां नदी के ऊपर महत्वपूर्ण जलविद्युत क्षमताएं हैं।

ब्रह्मपुत्र बेसिन भारत और चीन दोनों से होकर बहती है। नदी की चीन सीमा से काफी नजदीकी है, ऐसे में यह भारत के जल प्रबंधन और बुनियादी ढांचे की योजना को एक रणनीतिक मुद्दा बनाती है, जबकि भारत सरकार को इस बात की चिंता है कि ब्रह्मपुत्र नदी पर चीन जो बांध बना रहा है उससे भारतीय सीमा में गर्मियों के मौसम के जलप्रवाह को 85 प्रतिशत तक कम कर सकता है।
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रिपोर्ट को विस्तार से जानिए
रिपोर्ट में कहा गया है कि ब्रह्मपुत्र बेसिन अरुणाचल प्रदेश, असम, सिक्किम, मिजोरम, मेघालय, मणिपुर, नागालैंड और पश्चिम बंगाल के कुछ हिस्सों को कवर करता है। भारत जो भविष्य में जो जलविद्युत प्रोजेक्ट्स बनाएगा उसका 80 प्रतिशत से भी ज्यादा हिस्सा इसमें आता है। समाचार एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक, अकेले अरुणाचल प्रदेश में 52.2 गीगावाट बिजली उत्पादन कर सकता है।
कितने रुपये खर्च होंगे?
सीईए के मुताबिक, इस अति महत्वपूर्ण योजना का पहला चरण 2035 तक चलेगा। पहले चरण के लिए सरकार को 1.91 लाख करोड़ रुपये की जरूरत होगी। वहीं, इसके दूसरे चरण पर 4.52 लाख करोड़ रुपये खर्च होंगे। भारत का लक्ष्य 2030 तक 500 गीगावाट गैर-जीवाश्म बिजली उत्पादन क्षमता प्राप्त करके और 2070 तक शुद्ध शून्य ऊर्जा तक पहुंचकर पेट्रोल-डीजल पर अपनी निर्भरता कम करना है।
चीन का ब्रह्मपुत्र पर बांध निर्माण शुरू
इन सबके बीच चीन ने इसी साल जुलाई महीने में दक्षिण-पूर्वी तिब्बत में भारत की सीमा के पास ब्रह्मपुत्र पर एक बड़े बांध का निर्माण शुरू कर दिया है। चीन के प्रधानमंत्री ली कियांग इसके भूमिपूजन में शामिल हुए थे।
हालांकि, भारत इस परियोजना को लेकर चीन के सामने अपनी चिंता जता चुका है। इसी साल जनवरी में, भारत के विदेश मंत्रालय ने कहा था, 'चीन से यह सुनिश्चित करने का आग्रह किया गया है कि ब्रह्मपुत्र के निचले इलाकों के हितों को ऊपरी इलाकों में हो रही गतिविधियों से नुकसान न पहुंचे।'