लखनऊ की विशेष पीएमएलए अदालत ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की ओर से दायर किए गए मनी लॉन्ड्रिंग केस में संज्ञान लिया है। यह मामला कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद की पत्नी लुईस खुर्शीद, डॉ. जाकिर हुसैन मेमोरियल ट्रस्ट और कुछ अन्य लोगों से जुड़ा है।
ईडी ने मंगलवार को बताया कि 2009-10 में सरकारी फंड का गलत इस्तेमाल करके कृत्रिम अंग (आर्टिफिशियल लिम्ब) और उपकरण बांटने के कार्यक्रम में कथित धोखाधड़ी हुई थी। इस मामले में ईडी ने 11 अगस्त 2025 को विशेष अदालत में चार्जशीट दाखिल की थी। अदालत ने 25 नवंबर 2025 को इस पर संज्ञान लिया।
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71 लाख रुपये का है मामला
ईडी के मुताबिक, ट्रस्ट को केंद्र सरकार से 71.50 लाख रुपये की अनुदान राशि मिली थी। यह पैसा विकलांग लोगों के लिए कैंप आयोजित करने के लिए दिया गया था। लेकिन जांच में पता चला कि यह रकम कैंप के लिए नहीं, बल्कि ट्रस्ट और कुछ लोगों के निजी फायदे के लिए इस्तेमाल की गई।
अन्य लोगों का भी है नाम
इस मामले में मुख्य आरोपी लुईस खुर्शीद (तत्कालीन प्रोजेक्ट डायरेक्टर), प्रतीक शुक्ला (ट्रस्ट के प्रतिनिधि, जिनका कुछ साल पहले निधन हो चुका है) और मोहम्मद अथर फारूकी (तत्कालीन सचिव) हैं। उत्तर प्रदेश पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा ने 2017 में इस मामले में 17 एफआईआर दर्ज की थी। बाद में ईडी ने इसकी जांच शुरू की और मनी लॉन्ड्रिंग का केस बनाया।
ईडी ने पहले ही ट्रस्ट से जुड़ी 15 जमीनों (करीब 29.51 लाख रुपये की) और चार बैंक खातों में पड़े 16.41 लाख रुपये को अस्थायी रूप से जब्त कर लिया था। अब ईडी कुल 45.92 लाख रुपये की संपत्ति जब्त करने की मांग कर रही है।
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फर्जी मुहर और हस्ताक्षर का इस्तेमाल
विशेष लोक अभियोजक अचिंत्य द्विवेदी ने कहा कि 2009-10 में भोजीपुरा इलाके में चलाए गए कार्यक्रम में फर्जी मुहर और हस्ताक्षर का इस्तेमाल करके सरकारी पैसों का दुरुपयोग किया गया। सलमान खुर्शीद और लुईस खुर्शीद ने पहले इन आरोपों से इनकार किया था और कहा था कि वे किसी गलत काम में शामिल नहीं हैं। लुईस खुर्शीद से इस मामले पर उनकी प्रतिक्रिया मांगने के लिए सवाल भेजे गए थे, लेकिन उनका कोई जवाब नहीं आया। यह मामला 2012 से चर्चा में है, जब सलमान खुर्शीद उस समय केंद्र सरकार में मंत्री थे।