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रेप-मर्डर के आरोप में रोज गिरफ्तार हो रहे 7 नाबालिग; डराते हैं आंकड़े

NCRB की रिपोर्ट बताती है कि 2023 में नाबालिगों के खिलाफ 31,365 केस दर्ज किए थे। 2022 की तुलना में यह 2.7% ज्यादा है। नाबालिगों के खिलाफ मर्डर के 995 और रेप के 977 मामले दर्ज हुए थे।

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प्रतीकात्मक तस्वीर। (AI Generated Image)

  • जून 2025: राजधानी दिल्ली के अशोक विहार में इस साल 10 जून को एक शख्स की चाकू मारकर हत्या कर दी गई थी। 40 साल के अमित कुमार फैक्ट्री से काम कर रात 8:30 बजे अपने घर लौट रहे थे। साइकिल से घर की तरफ आ रहे अमित कुमार को पहले रोका और फिर चाकू मारकर उनकी हत्या कर दी गई। यह हत्या लूटपाट के इरादे से की गई थी। अमित कुमार की हत्या के इल्जाम में पुलिस ने 3 नाबालिगों को हिरासत में लिया था। 
  • जुलाई 2025: गाजियाबाद पुलिस ने 4 नाबालिगों के खिलाफ केस दर्ज किया था। इन पर 9वीं क्लास की नाबालिग लड़की के साथ गैंगरेप करने का आरोप था। लड़की एक प्राइवेट स्कूल में पढ़ती थी। बताया गया था दो आरोपी उसी स्कूल में पढ़ते थे। घटना तब हुई जब लड़की घर पर अकेली थी। चारों आरोपी उसके घर पहुंचे और कथित तौर पर उसका गैंगरेप किया। इसके बाद कथित तौर पर आरोपियों ने उसे धमकाया भी था।

ये दो घटनाएं बताती हैं कि अब नाबालिगों में हिंसा और अपराध की प्रवृत्ति किस हद तक बढ़ती जा रही है। अब कम उम्र से ही अपराध की दुनिया की तरफ बढ़ रहे हैं। हाल ही में नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो (NCRB) की रिपोर्ट आई है। इसमें 2023 में हुए अपराधों का लेखा-जोखा दिया गया है। इसमें सामने आया है कि 2022 की तुलना में 2023 में नाबालिगों के खिलाफ आपराधिक मामलों में 2.7% की बढ़ोतरी हो गई है।

 

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कितने नाबालिग आरोपी?

NCRB की रिपोर्ट बताती है कि 2021 में नाबालिगों के खिलाफ 31,170 केस दर्ज किए गए थे। 2022 में यह आंकड़ा थोड़ा कम हुआ और 30,555 मामले दर्ज किए गए। हालांकि, 2023 में क्राइम का ग्राफ फिर बढ़ा और नाबालिगों के खिलाफ 31,365 केस दर्ज हुए।


इस रिपोर्ट में बताया गया था कि 31,365 मामलों में कुल 40,036 नाबालिगों को हिरासत में लिया गया था। इनमें से 34,674 नाबालिगों को IPC के मामलों में पकड़ा गया था। वहीं, विशेष कानूनों के तहत 5,362 नाबालिग पकड़े गए थे।


रिपोर्ट के मुताबिक, नाबालिगों के खिलाफ सबसे ज्यादा 3,970 मामले मध्य प्रदेश में दर्ज हुए थे। इसके बाद 3,619 मामले महाराष्ट्र में और 2,999 मामले तमिलनाडु में दर्ज हुए थे। राजधानी दिल्ली में नाबालिगों के खिलाफ 2,278 केस दर्ज किए गए थे।

 

किन अपराधों में शामिल रहे नाबालिग?

  • मर्डर: नाबालिगों के खिलाफ 995 मामले हत्या से जुड़े थे। सबसे ज्यादा 145 मामले महाराष्ट्र में दर्ज हुए थे। हत्या की कोशिश के मामले में नाबालिगों के खिलाफ 1,476 केस दर्ज किए गए थे।
  • रेप: 2023 में नाबालिगों के खिलाफ रेप के 977 मामले दर्ज हुए थे। सबसे ज्यादा 224 मामले मध्य प्रदेश में सामने आए थे। अप्राकृति यौन संबंध के 70 मामले दर्ज हुए थे। वहीं, रेप की कोशिश के 16 केस दर्ज किए गए थे।
  • चोरी-डकैती: रिपोर्ट बताती है कि नाबालिगों के खिलाफ चोरी के 6,557 मामले और किसी के घर में चोरी के इरादे से घुसने के 2,015 मामले दर्ज हुए थे। लूटपाट के 1,030 और डकैती के 137 केस दर्ज किए गए थे।
  • रैश ड्राइविंग: 2023 में नाबालिगों के खिलाफ रैश ड्राइविंग के 938 मामले दर्ज हुए थे। सबसे ज्यादा 291 केस तमिलनाडु में सामने आए थे। पब्लिक प्लेस में अश्लील गाने बजाने या हरकतें करने के जुर्म में 102 केस दर्ज हुए थे।
  • पॉक्सो ऐक्ट: रिपोर्ट से पता चलता है कि नाबालिगों के खिलाफ 2,478 केस POCSO ऐक्ट के तहत भी दर्ज हुए थे। वहीं, आर्म्स ऐक्ट के तहत 504 और शराब-ड्रग्स से जुड़े मामलों में 1,167 मामले नाबालिगों पर दर्ज किए गए थे।

कौन हैं ये नाबालिग?

NCRB के आंकड़े बताते हैं कि 2023 में अपराध में जिन नाबालिगों को गिरफ्तार किया गया था, उनमें से लगभग 80 फीसदी की उम्र 16 से 18 साल के बीच थी।


मर्डर के 995 मामलों में कुल 1,485 नाबालिगों पर केस दर्ज हुआ था। इनमें 1,458 लड़के और 27 लड़कियां थीं। इनमें से 1,171 की उम्र 16 से 18 साल के बीच थी। 12 से 16 साल की उम्र के 308 नाबालिग थे। वहीं, 6 नाबालिगों की उम्र 12 साल से भी कम थी।


इसी तरह रेप के 977 मामलों में 1,085 नाबालिगों को हिरासत में लिया गया था, जिनमें से 5 लड़कियां भी थीं। इनमें से 16 से 18 साल की उम्र के 811 नाबालिग थे। वहीं, 12 से 16 साल की उम्र के 264 नाबालिग थे। देखा जाए तो रेप और मर्डर के ही आरोप में 2023 में 2,543 नाबालिगों को पकड़ा गया। इस हिसाब से हर दिन औसतन 7 नाबालिग सिर्फ रेप और मर्डर के आरोप में गिरफ्तार हुए।


हैरान करने वाली बात यह है कि 2023 में जिन 40,036 नाबालिगों को पकड़ा गया था, उनमें से 34,748 यानी लगभग 87 फीसदी अपने माता-पिता के साथ रहते थे। जबकि, आमतौर पर यह माना जाता है कि अकेले रहने वाले नाबालिग अपराध की तरफ ज्यादा मुड़ते हैं। रिपोर्ट बताती है कि सिर्फ 1,960 नाबालिग ही ऐसे थे जो बेघर थे। और तो और जिन्हें गिरफ्तार किया गया था उनमें से 28,648 ऐसे थे जो ठीक-ठाक पढ़े-लिखे थे। इनमें से सिर्फ 11,388 नाबालिग ही ऐसे थे जो या तो बिल्कुल अनपढ़ थे या फिर प्राइमरी तक ही पढ़ाई की थी।

 

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...और सजा कितनों को?

हमारे देश में जिनकी उम्र 18 साल से कम है, उन्हें नाबालिग माना जाता है। ऐसे अपराधियों से जुड़े मामलों की सुनवाई अदालतों में नहीं, बल्कि जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड में होती है। 


अगर लगता है कि किसी नाबालिग ने जघन्य अपराध किया है और उस पर वयस्क की तरह मुकदमा चले तो मामला जुवेनाइल जस्टिस कोर्ट के पास जाता है। 2012 से पहले तक किसी नाबालिग पर वयस्क की तरह मुकदमा नहीं चलाया जा सकता था। हालांकि, इसके बावजूद किसी भी नाबालिग को उम्रकैद या फांसी की सजा नहीं दी जा सकती।


NCRB की रिपोर्ट बताती है कि 16,898 नाबालिगों को सुधार गृह भेज दिया गया था। सिर्फ 936 नाबालिगों को ही सजा सुनाई गई थी। 4,270 नाबालिगों को बरी कर दिया गया था।

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